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अथर्ववेद > काण्ड 16 > सूक्त 7

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  • अथर्ववेद - काण्ड 16/ सूक्त 7/ मन्त्र 13
    सूक्त - दुःस्वप्ननासन देवता - आसुरी त्रिष्टुप् छन्दः - यम सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त

    स मा जी॑वी॒त्तंप्रा॒णो ज॑हातु ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । मा । जी॒वी॒त् । तम् । प्रा॒ण: । ज॒हा॒तु॒ ॥७.१३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स मा जीवीत्तंप्राणो जहातु ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । मा । जीवीत् । तम् । प्राण: । जहातु ॥७.१३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 16; सूक्त » 7; मन्त्र » 13

    पदार्थ -
    (सः) वह [कुमार्गी] (मा जीवीत्) न जीता रहे, (तम्) उसको (प्राणः) प्राण (जहातु) छोड़ देवे ॥१३॥

    भावार्थ - प्रतापी राजादुराचारियों को सर्वथा नाश करके प्रजापालन करे ॥१३॥

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