Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 16 > सूक्त 7

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 16/ सूक्त 7/ मन्त्र 2
    सूक्त - दुःस्वप्ननासन देवता - साम्नी अनुष्टुप् छन्दः - यम सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त

    दे॒वाना॑मेनंघो॒रैः क्रू॒रैः प्रै॒षैर॑भि॒प्रेष्या॑मि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    दे॒वाना॑म् । ए॒न॒म् । घो॒रै: । क्रू॒रै: । प्र॒ऽए॒षै: । अ॒भ‍ि॒ऽप्रेष्या॑मि ॥७.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    देवानामेनंघोरैः क्रूरैः प्रैषैरभिप्रेष्यामि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    देवानाम् । एनम् । घोरै: । क्रूरै: । प्रऽएषै: । अभ‍िऽप्रेष्यामि ॥७.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 16; सूक्त » 7; मन्त्र » 2

    पदार्थ -
    (एनम्) इस [कुमार्गी]को (देवानाम्) [परमात्मा के] उत्तम नियमों के (घोरैः) घोर [भयानक] और (क्रूरैः)क्रूर [निर्दय] (प्रैषैः) शासनों से (अभिप्रेष्यामि) मैं सामने से प्राप्त होताहूँ ॥२॥

    भावार्थ - दुराचारी लोग परमात्माके नियमों से घोर क्रूर क्लेशों में पड़ते हैं ॥२॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top