Loading...

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 3/ मन्त्र 29
    सूक्त - भृग्वङ्गिराः देवता - शाला छन्दः - एकावसाना त्रिपदा प्रतिष्ठा गायत्री सूक्तम् - शाला सूक्त

    ध्रु॒वाया॑ दि॒शः शाला॑या॒ नमो॑ महि॒म्ने स्वाहा॑ दे॒वेभ्यः॑ स्वा॒ह्येभ्यः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ध्रु॒वाया॑: । दि॒श: शाला॑या: । नम॑: । म॒हि॒म्ने । स्वाहा॑ । दे॒वेभ्य॑: । स्वा॒ह्ये᳡भ्य: ॥३.२९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ध्रुवाया दिशः शालाया नमो महिम्ने स्वाहा देवेभ्यः स्वाह्येभ्यः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ध्रुवाया: । दिश: शालाया: । नम: । महिम्ने । स्वाहा । देवेभ्य: । स्वाह्येभ्य: ॥३.२९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 3; मन्त्र » 29

    पदार्थ -
    (ध्रुवायाः दिशः) नीचेवाली दिशा से.... म० २५ ॥२९॥

    भावार्थ - मनुष्यों को योग्य है कि पूर्वादि सब दिशाओं से पुष्कल अन्न आदि पदार्थ संग्रह करके शाला में रक्खें, जिस में विद्वान् लोग वेदों का विचार करते रहें ॥२५-३१॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top