Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 34 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 34/ मन्त्र 4
    ऋषिः - अङ्गिराः देवता - जङ्गिडो वनस्पतिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - जङ्गिडमणि सूक्त
    0

    कृ॑त्या॒दूष॑ण ए॒वायमथो॑ अराति॒दूष॑णः। अथो॒ सह॑स्वाञ्जङ्गि॒डः प्र ण॒ आयूं॑षि तारिषत् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    कृ॒त्या॒ऽदूष॑णः। ए॒व। अ॒यम्। अथो॒ इति॑। अ॒रा॒ति॒ऽदूष॑णः। अथो॒ इति॑। सह॑स्वान्। ज॒ङ्गि॒डः। प्र। नः॒। आयूं॑षि। ता॒रि॒ष॒त् ॥३४.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कृत्यादूषण एवायमथो अरातिदूषणः। अथो सहस्वाञ्जङ्गिडः प्र ण आयूंषि तारिषत् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    कृत्याऽदूषणः। एव। अयम्। अथो इति। अरातिऽदूषणः। अथो इति। सहस्वान्। जङ्गिडः। प्र। नः। आयूंषि। तारिषत् ॥३४.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 34; मन्त्र » 4
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    सबकी रक्षा का उपदेश।

    पदार्थ

    (अयम्) यह [पदार्थ] (एव) निश्चय करके (कृत्यादूषणः) पीड़ाओं का नाश करनेवाला (अथो) और भी (अरातिदूषणः) कंजूसी मिटानेवाला है। (अथो) और भी (सहस्वान्) वह महाबली (जङ्गिडः) जङ्गिड [संचार करनेवाला औषध] (नः) हमारे (आयूंषि) जीवनों को (प्र तारिषत्) बढ़ावे ॥४॥

    भावार्थ

    मनुष्य उत्तम औषध जङ्गिड के सेवन से रोगों का नाश करके आत्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य बढ़ावें ॥४॥

    टिप्पणी

    यह मन्त्र कुछ भेद से आ चुका है-अ०२।४।६॥४−(कृत्यादूषणः) पीडानां खण्डयिता (एव) (अयम्) प्रसिद्धः (अथो) अपि च (अरातिदूषणः) अदानशीलताया नाशकः (अथो) (सहस्वान्) बलवान् (जङ्गिडः) म०१। संचारक औषधविशेषः (नः) अस्माकम् (आयूंषि) जीवनानि (प्र तारिषत्) प्रवर्धयेत् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    कृत्यादूषण-अरातिदूषण

    पदार्थ

    १. (अयम्) = यह जङ्गिडमणि (एव) = निश्चय से (कृत्यादूषण:) = छेदन-भेदन की क्रियाओं को दूषित करनेवाला है। शरीर में रोगजनित छेदन-भेदन को यह समाप्त कर देता है। (अथ उ) = और निश्चय से (अरातिदूषण:) = मन में उत्पन्न होनेवाली अदानवृत्तियों को भी दूषित करता है, अर्थात् वीर्यरक्षण से मनुष्य उदारवृत्ति का बनता है। २. (अथ उ) = अब निश्चय से यह (सहस्वान्) = शत्रुओं को कुचलने के बलवाला (जङ्गिड:) = वीर्यमणि (न:) = हमारे (आयूंषि) = जीवनों को (प्रतारिषत्) = बढ़ानेवाला हो।

    भावार्थ

    सुरक्षित वीर्य शरीर के रोगों को दूर करता है और मन से राक्षसीभावों को अदानवृत्तियों को विनष्ट करता है। इसप्रकार यह आधि-व्याधियों को कुचलता हुआ हमारे जीवनों को दीर्घ बनाता है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (अयम्) यह जङ्गिड औषध (कृत्यादूषणः एव) रोगजन्य हिंसा को अवश्य दूर करती, (अथो) और (अरातिदूषणः) अदानभावना अर्थात् कंजूसी भावना को दूर करती है। (अथो) तथा (सहस्वान्) रोगों का पराभव करनेवाली (जङ्गिडः) जङ्गिड औषध (नः) हमारी (आयूँषि) आयुओं को (प्र तारिषत्) बढ़ाती है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Jangida Mani

    Meaning

    Jangida is the cure of indigence and evil tendencies of the mind. May Jangida, patient, resistant and powerful, save our health and vigour and help us to live a long, full life of good cheer.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    This is indeed, a counterer of evil devices, and also counterer on of enemies. Now, may the overpowering jangida, extend our life-spans.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Let this Jangida weaken the artificial sound in ears of the diseased one, let it make impotent the seven kinds of decays (in seven organs) and let this Janagida destroy the loss of understanding like an archer speeding shaft.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    This Jangida is the destroyer of the secret weapons of destruction like mines etc., he is the killer of the enemy and hence capable of subduing the foe. Let it guard our lives well.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    यह मन्त्र कुछ भेद से आ चुका है-अ०२।४।६॥४−(कृत्यादूषणः) पीडानां खण्डयिता (एव) (अयम्) प्रसिद्धः (अथो) अपि च (अरातिदूषणः) अदानशीलताया नाशकः (अथो) (सहस्वान्) बलवान् (जङ्गिडः) म०१। संचारक औषधविशेषः (नः) अस्माकम् (आयूंषि) जीवनानि (प्र तारिषत्) प्रवर्धयेत् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top