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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 131 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 131/ मन्त्र 10
    ऋषिः - देवता - प्रजापतिर्वरुणो वा छन्दः - प्राजापत्या गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
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    इ॒दं मह्यं॒ मदू॒रिति॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इ॒दम् । मह्य॒म् । मदू॒: । इति॑ ॥१३१.१०॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इदं मह्यं मदूरिति ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इदम् । मह्यम् । मदू: । इति ॥१३१.१०॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 131; मन्त्र » 10
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।

    पदार्थ

    (इदम्) यह [वचन] (मह्यम्) मेरे लिये (मदूः) आनन्द देनेवाली नीति है−(इति) यह निश्चय है ॥१०॥

    भावार्थ

    सब मनुष्य और स्त्रियाँ सदा उपकार करके क्लेशों से बचें और परस्पर प्रीति से रहें ॥६-११॥

    टिप्पणी

    १०−(इदम्) वचनम् (मह्यम्) मनुष्याय (मदूः) कृषिचमि०। उ० १।८०। मदी हर्षे-ऊप्रत्ययः। हर्षकरी नीतिः (इति) अवधारणे ॥

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    विषय

    वृक्ष

    पदार्थ

    १. गतमन्त्र का बनिष्ठ कहता है कि (इदम्) = यह संविभजन-सबके साथ बाँटकर खाना (मह्यम्) = मेरे लिए (मदूः इति) = आनन्द देनेवाला है। इस संविभाग में सबके साथ मिलकर खाने में मैं आनन्द का अनुभव करता हूँ। २. (ते) = वे वनिष्ठ (वृक्षा:) = [प्रश्चू छेदने] वासनाओं के झाड़ झंकाड़ों को काटनेवाले होते हैं। सब वासनाओं को छिन्न करके पवित्र जीवनवाले होते हैं। (सह तिष्ठति) = प्रभु इनके साथ निवास करते हैं। प्रभु को वही प्रिय होता है जो सबके साथ बाँटकर खानेवाला होता है।

    भावार्थ

    संविभाग में हम आनन्द का अनुभव करें। यह संविभाग ही हमारी वासनाओं को विनष्ट करेगा। इन वनिष्ठों को ही-संभक्ताओं को ही प्रभु मिलते हैं।

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    भाषार्थ

    (इदम्) यह संसारिक वस्तु (मह्यम्) मेरे लिए (मदूः इति) हर्षोत्पादक तथा आनन्ददायक है।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Prajapati

    Meaning

    This is the joy for me, this Grace!

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    Translation

    This word is pleasant for me.

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    Translation

    This word is pleasant for me.

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    Translation

    O happiness-generating force, let this clear-cut knowledge be mine.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १०−(इदम्) वचनम् (मह्यम्) मनुष्याय (मदूः) कृषिचमि०। उ० १।८०। मदी हर्षे-ऊप्रत्ययः। हर्षकरी नीतिः (इति) अवधारणे ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    ঐশ্বর্যপ্রাপ্ত্যুপদেশঃ

    भाषार्थ

    (ইদম্) এই [বচন] (মহ্যম্) আমার জন্য (মদূঃ) আনন্দদায়ী নীতি −(ইতি) তা নিশ্চিত॥১০॥

    भावार्थ

    সকল নর-নারী পরস্পর সর্বদা উপকার করে ক্লেশ মুক্ত এবং আনন্দিত থাকুক ॥৬-১১॥

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    भाषार्थ

    (ইদম্) এ সংসারিক বস্তু (মহ্যম্) আমার জন্য (মদূঃ ইতি) হর্ষোৎপাদক তথা আনন্দদায়ক।

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