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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 131 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 131/ मन्त्र 3
    ऋषिः - देवता - प्रजापतिर्वरुणो वा छन्दः - प्राजापत्या गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
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    वरु॑णो॒ याति॒ वस्व॑भिः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वरू॑ण॒: । याति॒ । वस्व॑भि: ॥१३१.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    वरुणो याति वस्वभिः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    वरूण: । याति । वस्वभि: ॥१३१.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 131; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।

    पदार्थ

    (वरुणः) श्रेष्ठ [धनी पुरुष] (वस्वभिः) श्रेष्ठ वस्तुओं के साथ (याति) चलता है ॥३॥

    भावार्थ

    मनुष्य पूर्वज विद्वानों के समान विघ्नों को हटाकर अनेक प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त करें ॥१-॥

    टिप्पणी

    ३−(वरुणः) श्रेष्ठः। धनी पुरुषः (याति) गच्छति (वस्वभिः) वसुभिः। श्रेष्ठवस्तुभिः ॥

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    विषय

    भारती+शवः

    पदार्थ

    १. गतमन्त्र में धनमदमत्त भोगासक्त पुरुष के विनाश का उल्लेख हुआ है। इसके विपरीत (वरुण:) = व्यसनों व ईर्ष्या-द्वेष से अपना निवारण करनेवाला वरुण (वस्वभिः) = सदा निवास के लिए उत्तम वसुओं के साथ (याति) = गतिवाला होता है। इसके धन इसके विनाश का कारण न होकर इसके उत्तम निवास का साधन बनते हैं। २. (वा) = निश्चय से (शतम्) = शतवर्षपर्यन्त, अर्थात् आजीवन यह (भारती) = सरस्वती-विद्या की अधिष्ठात्री देवता तथा (शव:) = बल का अधिष्ठान बनता है। इसके जीवन में ज्ञान व शक्ति का समन्वय होता है इसके ब्रह्म व क्षत्र दोनों श्रीसम्पन्न होते हैं।

    भावार्थ

    विषयासक्ति के न होने पर धन 'ब्रह्म व क्षत्र' के विकास का साधन बनता है।

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    भाषार्थ

    तब (वरुणः) क्लेश-निवारक श्रेष्ठ परमेश्वर, उसकी ओर (वस्वभिः) आध्यात्मिक सम्पत्ति के साथ (याति) प्राप्त होता है।

    टिप्पणी

    [याति=या प्रापणे।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Prajapati

    Meaning

    Varuna, lord of grace, moves and blesses him with the riches of his divine gifts.

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    Translation

    The man of virtues always moves with good things.

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    Translation

    The man of virtues always moves with good things.

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    Translation

    There are hundreds of means of enjoyment and reveling like the chariots or ships.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ३−(वरुणः) श्रेष्ठः। धनी पुरुषः (याति) गच्छति (वस्वभिः) वसुभिः। श्रेष्ठवस्तुभिः ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    ঐশ্বর্যপ্রাপ্ত্যুপদেশঃ

    भाषार्थ

    (বরুণঃ) শ্রেষ্ঠ [ধনী পুরুষ] (বস্বভিঃ) শ্রেষ্ঠ বস্তুর সহিত (যাতি) চলে/গমন করে ॥৩॥

    भावार्थ

    মনুষ্য পূর্বজ বিদ্বানদের মতো বিঘ্নসমূহ দূর করে অনেক প্রকার ঐশ্বর্য প্রাপ্ত করুক॥১-৫॥

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    भाषार्थ

    তখন (বরুণঃ) ক্লেশ-নিবারক শ্রেষ্ঠ পরমেশ্বর, তাঁর দিকে (বস্বভিঃ) আধ্যাত্মিক সম্পত্তি সহিত (যাতি) প্রাপ্ত হয়।

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