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यजुर्वेद अध्याय - 26

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  • यजुर्वेद - अध्याय 26/ मन्त्र 13
    ऋषिः - भारद्वाज ऋषिः देवता - अग्निर्देवता छन्दः - विराड्गायत्री स्वरः - षड्जः
    2

    एह्यू॒ षु ब्रवा॑णि॒ तेऽग्न॑ऽ इ॒त्थेत॑रा॒ गिरः॑। ए॒भिर्व॑र्द्धास॒ऽइन्दु॑भिः॥१३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ। इ॒हि॒। ऊँ॒ इत्यूँ॑। सु। ब्रवा॑णि। ते॒। अग्ने॑। इ॒त्था। इत॑राः। गिरः॑। ए॒भिः। व॒र्द्धा॒से॒। इन्दु॑भि॒रितीन्दु॑ऽभिः ॥१३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    एह्यू षु ब्रवाणि तेग्नऽइत्थेतरा गिरः । एभिर्वर्धास इन्दुभिः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    आ। इहि। ऊँ इत्यूँ। सु। ब्रवाणि। ते। अग्ने। इत्था। इतराः। गिरः। एभिः। वर्द्धासे। इन्दुभिरितीन्दुऽभिः॥१३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 26; मन्त्र » 13
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    संस्कृत (1)

    विषयः

    विद्वद्भिः किं कार्यमित्याह॥

    अन्वयः

    हे अग्नेऽहमित्था त इतरा गिरः सु ब्रवाणि यतस्त्वमेता एहि उ एभिरिन्दुभिर्वर्द्धासे॥१३।

    पदार्थः

    (आ) समन्तात् (इहि) प्राप्नुहि (उ) वितर्के (सु) शोभने (ब्रवाणि) उपदिशेयम् (ते) तुभ्यम् (अग्ने) प्रकाशितप्रज्ञ (इत्था) अस्माद्धेतोः (इतराः) त्वयाऽज्ञाताः (गिरः) वाचः (एभिः) (वर्द्धासे) वृद्धो भव (इन्दुभिः) जलादिभिः॥१३॥

    भावार्थः

    यया शिक्षया विद्यार्थिनो विज्ञानेन वर्द्धेरँस्तामेव विद्वांस उपदिशेयुः॥१३॥

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    हिन्दी (3)

    विषय

    विद्वानों को क्या करना चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥

    पदार्थ

    हे (अग्ने) प्रकाशित बुद्धि वाले विद्वन्! मैं (इत्था) इस हेतु से (ते) आप के लिये (इतराः) जिन को तुम ने नहीं जाना है, उन (गिरः) वाणियों का (सु, ब्रवाणि) सुन्दर प्रकार से उपदेश करूं कि जिस से आप इन वाणियों को (आ, इहि) अच्छे प्रकार प्राप्त हूजिये (उ) और (एभिः) इन (इन्दुभिः) जलादि पदार्थों से (वर्द्धासे) वृद्धि को प्राप्त हूजिये॥१३॥

    भावार्थ

    जिस शिक्षा से विद्यार्थी लोग विज्ञान से बढ़ें, उसी शिक्षा का विद्वान् लोग उपदेश किया करें॥१३॥

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    विषय

    उत्तम विद्वानों, नायकों और शासकों से भिन्न-भिन्न कार्यों की कामना ।

    भावार्थ

    हे (अग्ने) अग्रणी नायक ! (एहि ) आ । (ते) तुझे मैं विद्वान पुरुष (इतराः) और नाना (गिरः) उपदेश वाणियों का ( इत्था ) यथार्थ रूप से (सु वाणि) उत्तम रीति से उपदेश करूं । (एभि:) इन ( इन्दुभि:) ऐश्वर्यों से तू (वर्धा) वृद्धि को प्राप्त हो ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    भरद्वाज ऋषिः । अग्निर्देवता । गायत्री । षड्जः ॥

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    विषय

    वेद का उपदेश

    पदार्थ

    १. प्रभु की अर्चना से ज्ञान का प्रकाश तो प्राप्त होता ही है, प्रभु की शक्ति भी हममें प्रवाहित होती है और हम 'भारद्वाज' बनते है, अपने में शक्ति को भरनेवाले। इस भारद्वाज से प्रभु कहते हैं कि हे (अग्ने) = आगे बढ़ने की प्रवृत्तिवाले ! (एहि उ) = तुम मेरे समीप आओ ही, अर्थात् प्रातः-सायं मेरा ध्यान करने का प्रयत्न करो। २. मैं (ते) = तेरे लिए (इत्था) = इस प्रकार से, अर्थात् तेरे मेरे समीप आने से (गिरः) = उन वाणियों को (ब्रुवाणि) = उत्तमता से कहता हूँ जोकि (इतरा:) = [इ तराः] कामवासना से तुझे तैरानेवाली होती हैं, जिनके उच्चारण से तू वासना को जीत लेता है । ३. हे भारद्वाज ! तू (एभिः) = इन (इन्दुभिः) = सोमकणों से (वर्द्धासे) = वृद्धि को प्राप्त कर । तुझमें ये सोमकण उत्पन्न होते हैं, यदि तू इनकी सम्यक् रक्षा करेगा तो ये तेरे शरीर को नीरोग करनेवाले होंगे, तेरे मन को वासनाओं से बचाकर निर्मल बनाएँगे, तेरी ज्ञानाग्नि का ये ईंधन होंगे। इस प्रकार तेरी उन्नति उसी अनुपात में होगी जिस अनुपात में तू इन सोमकणों की रक्षा कर सकेगा।

    भावार्थ

    भावार्थ- हम प्रभु-सम्पर्क में आकर वेदवाणियों का श्रवण करें और सोम की रक्षा करनेवाले हों।

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    मराठी (2)

    भावार्थ

    ज्या शिक्षणाने विद्यार्थ्यांचे विज्ञान वाढते. त्याच शिक्षणाचा विद्वान लोकांनी उपदेश करावा.

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    विषय

    विद्वानांनी काय करावे, याविषयी -

    शब्दार्थ

    शब्दार्थ - हे (अग्ने) विचारशील बुद्धी असणार्‍या विद्यावान जिज्ञासू मनुष्या, मी (एक विद्वान उपदेशक) (इव्या) या उद्देशाने (ते) तुझ्यासाठी (इतराः) काही दूसरे असे विषय की ज्याविषयी तू अजून जाणले नाहीस, त्या (गिरः) वाणीचा वा विषयाचा (सु, ब्रवाणि) सुंदर प्रकारे उपदेश करतो की ज्यामुळे तू या वाणीचा विषयांपर्यंत (आ, इति) चांगल्याप्रकारे येशील (तुला ते विषय पूर्णपणे समजतील) (उ) आणि (एभिः) या (इन्दुभिः) जल आदी पदार्थांचा (उचित उपयोग करून) (वद्धसिे वृद्धिंगत होशील. ॥13॥

    भावार्थ

    भावार्थ - ज्या शिक्षण वा अध्यापन रीतीने विद्यार्थी जन विज्ञानात प्रगती करतील, विद्वज्जनांनी वा वैज्ञानिकांनी त्याच विषयांचा उपदेश विद्यार्थ्यांना करावा. ॥13॥

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    इंग्लिश (3)

    Meaning

    O wise, learned person, come, here I sing verily other songs to thee. With these praises shalt thou grow strong.

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    Meaning

    Agni, seeker of light, come gently without reservation. I would speak to you other words (than I have yet spoken) and you would then advance with these sparks of light and drops of soma (in health and wisdom).

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    Translation

    O adorable Lord, may you be with us, We shall augument you with drops of divine love. (1)

    Notes

    Itthetarā, other than these, uttered by the udgătr, and the stotr etc. Indubhih, सोमै:, with Soma juice or with loving devotion. Ehi, şu bravāni te, come. I speak to you in a friendly way.

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    बंगाली (1)

    विषय

    বিদ্বদ্ভিঃ কিং কার্য়মিত্যাহ ॥
    বিদ্বান্দিগের কী করা উচিত, এই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥

    पदार्थ

    পদার্থঃ–হে (অগ্নে) প্রকাশিত বুদ্ধিযুক্ত বিদ্বান্! আমি (ইত্থা) এই হেতু দ্বারা (তে) আপনার জন্য (ইতরাঃ) যাহারা তোমার নিকট অজ্ঞাত, সেই (গিরঃ) বাণীগুলির (সু, ব্রবাণি) সুন্দর প্রকারে উপদেশ করিব যে, যাহাতে আপনি এই সমস্ত প্রাণীসমূহকে (আ, ইহি) সম্যক্ প্রকার প্রাপ্ত হউন (উ) এবং (এভিঃ) এই সব (ইন্দুভিঃ) জলাদি পদার্থ দ্বারা (বর্দ্ধাসে) বুদ্ধিকে প্রাপ্ত হউন ॥ ১৩ ॥

    भावार्थ

    ভাবার্থঃ–যে শিক্ষা দ্বারা বিদ্যার্থীগণ বিজ্ঞানে অগ্রসর হয় সেই শিক্ষার বিদ্বান্গণ উপদেশ করিবে ॥ ১৩ ॥

    मन्त्र (बांग्ला)

    এহূ্য॒ ষু ব্রবা॑ণি॒ তেऽগ্ন॑ऽ ই॒ত্থেত॑রা॒ গিরঃ॑ ।
    এ॒ভির্ব॑র্দ্ধাস॒ऽইন্দু॑ভিঃ ॥ ১৩ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    এহীত্যস্য ভারদ্বাজ ঋষিঃ । অগ্নির্দেবতা । বিরাডগায়ত্রী ছন্দঃ ।
    ষড্জঃ স্বরঃ ॥

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