अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 131/ मन्त्र 15
ऋषिः -
देवता - प्रजापतिर्वरुणो वा
छन्दः - याजुषी गायत्री
सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
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अर॑दुपरम ॥
स्वर सहित पद पाठअर॑दुपरम् ॥१३१.१५॥
स्वर रहित मन्त्र
अरदुपरम ॥
स्वर रहित पद पाठअरदुपरम् ॥१३१.१५॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।
पदार्थ
(अरदुपरम) हे हिंसा से निवृत्तिवाले ! ॥१॥
भावार्थ
मनुष्य उचित रीति से भोजन आदि का उपहार वा दान और कर आदि का ग्रहण करके दृढ़चित्त होकर शत्रुओं का नाश करे ॥१२-१६॥
टिप्पणी
१−(अरदुपरम) वर्त्तमाने पृषद्बृहन्महज्। उ० २।८४। ऋ हिंसायाम-अति+उप-रम निवृत्तौ-घञ्। हिंसनात् निवृत्तिशील ॥
विषय
अहिंसा-वासनाशून्यता
पदार्थ
१. गतमन्त्र के अनुसार हे ब्रह्मनिष्ठ [अश्वत्थ]! तू (अरत् उपरम) = [ऋto kill]-हिंसा से उपरत हो। किसी भी प्राणी का तू हिंसन करनेवाला न बन। २. (हत: इव) = जिसकी सब वासनाएँ मर गई हैं, ऐसा बना हुआ तू (शय:) = [शी अच्] इस संसार में निवास करनेवाला हो [शेते इति शयः] ३. ऐसे वासनाशुन्य व्यक्ति को (पूरुषः) = वह परम पुरुष प्रभु (व्याप) = विशेष रूप से प्राप्त होता है।
भावार्थ
हम हिंसा से निवृत्त हों। वासनाओं को मारकर संसार में पवित्र जीवनवाले बनें। तभी हमें उस परमपुरुष की प्राप्ति होगी।
भाषार्थ
(अरत्) हे समाधि को प्राप्त हुए उपासक! तू (उपरम) सांसारिक इच्छाओं से पूर्णतया उपरत हो जा। [अरत्=ऋ प्राप्तौ+शतृ।]
इंग्लिश (4)
Subject
Prajapati
Meaning
Risen above existential involvements, come to absolute renunciation and freedom.
Translation
O man be free from violence.
Translation
O man be free from violence.
Translation
He (God) is Free from attachment of all sorts, like the leaves of an Artoo tree.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१−(अरदुपरम) वर्त्तमाने पृषद्बृहन्महज्। उ० २।८४। ऋ हिंसायाम-अति+उप-रम निवृत्तौ-घञ्। हिंसनात् निवृत्तिशील ॥
बंगाली (2)
मन्त्र विषय
ঐশ্বর্যপ্রাপ্ত্যুপদেশঃ
भाषार्थ
(অরদুপরম) হে হিংসা থেকে নিবৃত্তিকারী/নিবৃত্তিশীল! ॥১৫॥
भावार्थ
মনুষ্য উচিত রীতিতে ভোজন আদির উপহার বা দান এবং কর আদি গ্রহণ করে দৃঢ়চিত্ত হয়ে শত্রুদের বিনাশ করুক ॥১২-১৬॥
भाषार्थ
(অরৎ) হে সমাধিপ্রাপ্ত উপাসক! তুমি (উপরম) সাংসারিক ইচ্ছা-সমূহ থেকে পূর্ণরূপে উপরত হয়ে যাও। [অরৎ=ঋ প্রাপ্তৌ+শতৃ।]
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