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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 24 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 24/ मन्त्र 7
    ऋषिः - विश्वामित्रः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-२४
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    इ॒ममि॑न्द्र॒ गवा॑शिरं॒ यवा॑शिरं च नः पिब। आ॒गत्या॒ वृष॑भिः सु॒तम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इ॒मम् । इ॒न्द्र॒ । गोऽआ॑शिरम् । यव॑ऽआशिरम् । च॒ । न॒: । पि॒ब॒ ॥ आ॒ऽगत्य॑ । वृष॑ऽभि: । सु॒तम् ॥२४.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इममिन्द्र गवाशिरं यवाशिरं च नः पिब। आगत्या वृषभिः सुतम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इमम् । इन्द्र । गोऽआशिरम् । यवऽआशिरम् । च । न: । पिब ॥ आऽगत्य । वृषऽभि: । सुतम् ॥२४.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 24; मन्त्र » 7
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    विद्वानों के गुणों का उपदेश।

    पदार्थ

    (इन्द्र) हे इन्द्र ! [बड़े ऐश्वर्यवाले पुरुष] (नः) हमारे (इमम्) इस (वृषभिः) बलवानों करके (सुतम्) सिद्ध किये गये (गवाशिरम्) पृथिवी पर फैले हुए (च) और (यवाशिरम्) अन्न के भोजनवाले पदार्थ को (आगत्य) आकर (पिब) पी ॥७॥

    भावार्थ

    मनुष्य संसार के बीच उत्तम पदार्थों का भोजन-पान करके बलवान् होवें ॥७॥

    टिप्पणी

    ७−(इमम्) (इन्द्र) हे परमैश्वर्यवन् (गवाशिरम्) म० १। पृथिव्यां व्याप्तम् (यवाशिरम्) अशेर्नित्। उ० १।२। यव+आङ्+अश भोजने-किरन्। अन्नभोजनयुक्तं पदार्थम् (च) (नः) अस्माकम् (पिब) (आगत्य) अस्मान् प्राप्य (वृषभिः) बलवद्भिः (सुतम्) साधितम् ॥

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    विषय

    'गवाशिर, यवाशिर' सोम इममिन्द्र

    पदार्थ

    १. हे (इन्द्र) = शत्रुविद्रावक प्रभो! (न:) = हमारे (इमम्) = इस (वृषभिः) = अपने अन्दर शक्ति का सेचन करनेवाले पुरुषों के द्वारा (सुतम्) = उत्पन्न किये गये सोम को (आगत्य) = हमें प्राप्त होकर (पिब) = आप पीजिए। वृषा पुरुष अपने अन्दर सोम का सम्पादन करते हैं। प्रभु ही उसका उनके अन्दर रक्षण करते हैं, अतः ये प्रभु की उपासना में प्रवृत्त होते हैं। २. उस सोम का आप पान कीजिए जो (गवाशिरम) = ज्ञान की वाणियों के द्वारा समन्तात् वासनाओं को शीर्ण करनेवाला है तथा (यवाशिरम्) = [यु मिश्रणामिश्रणयोः] बुराइयों को दूर करने व अच्छाइयों को प्राप्त कराने के द्वारा सब अवाञ्छनीय तत्वों को विनष्ट करता है।

    भावार्थ

    प्रभु हमारे अन्दर होते हैं तो सोम का रक्षण करते हैं। यह सोम-ज्ञान की वाणियों के द्वारा वासनाओं को शीर्ण करता है तथा बुराइयों को दूर करके सब अच्छाइयों को प्राप्त कराता है।

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    भाषार्थ

    (इन्द्र) हे परमेश्वर! (वृषभिः) भक्तिरसों की वर्षा करनेवाले उपासकों द्वारा (सुतम्) निष्पादित (इमम्) इस (नः) हमारे भक्तिरस का (पिब) आप पान कीजिए। जैसे कि कोई अभ्यागत अतिथि (आगत्य) आकर हमारे तैयार किये (गवाशिरम्) पकाए हुए गोदुग्ध का, तथा (यवाशिरम्) पकाई जौं की लप्सी का पान करता है।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Self-integration

    Meaning

    Indra, lord of power, honour and energy, come and have a drink of this soma of ours filtered with the shower of clouds, reinforced with rays of the sun and accompanied by a diet of barley milk.

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    Translation

    O man of proper perspective, you coming to us eat and drink this preparation made by strong men mixed with milk and mixed with barley.

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    Translation

    O man of proper perspective, you coming to us eat and drink this preparation made by strong men mixed with milk and mixed with barley.

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    Translation

    O Mighty king, coming along with powerful warriors, protect and enjoy this national fortune, produced from the land by cattle and scientific knowledge and based on. food-grains and the enemy-destroying soldiers.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ७−(इमम्) (इन्द्र) हे परमैश्वर्यवन् (गवाशिरम्) म० १। पृथिव्यां व्याप्तम् (यवाशिरम्) अशेर्नित्। उ० १।२। यव+आङ्+अश भोजने-किरन्। अन्नभोजनयुक्तं पदार्थम् (च) (नः) अस्माकम् (पिब) (आगत्य) अस्मान् प्राप्य (वृषभिः) बलवद्भिः (सुतम्) साधितम् ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    বিদ্বদ্গুণোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (ইন্দ্র) হে ইন্দ্র! [ঐশ্বর্যবান্ পুরুষ] (নঃ) আমাদের (ইমম্) এই (বৃষভিঃ) বলবানদের দ্বারা (সুতম্) সিদ্ধকৃত (গবাশিরম্) পৃথিবীতে ব্যাপ্ত (চ) এবং (যবাশিরম্) অন্নভোজনযুক্ত পদার্থ (আগত্য) এসে (পিব) পান করো ॥৭॥

    भावार्थ

    মনুষ্য সংসারে উত্তম পদার্থসমূহ ভোজন-পান করে বলবান হোক ॥৭॥

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    भाषार्थ

    (ইন্দ্র) হে পরমেশ্বর! (বৃষভিঃ) ভক্তিরসের বর্ষণকারী উপাসকদের দ্বারা (সুতম্) নিষ্পাদিত (ইমম্) এই (নঃ) আমাদের ভক্তিরস (পিব) আপনি পান করুন। যেমন কোনো অভ্যাগত অতিথি (আগত্য) এসে আমাদের প্রস্তুতকৃত (গবাশিরম্) পরিপক্ক গোদুগ্ধ, তথা (যবাশিরম্) পরিপক্ক যব এর লপসি[gruel) পান করে।

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