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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 62 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 62/ मन्त्र 3
    ऋषिः - सौभरिः देवता - इन्द्रः छन्दः - प्रगाथः सूक्तम् - सूक्त-६२
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    यो न॑ इ॒दमि॑दं पु॒रा प्र वस्य॑ आनि॒नाय॒ तमु॑ व स्तुषे। सखा॑य॒ इन्द्र॑मू॒तये॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    य: । न॒: । इ॒दम्ऽइ॑दम् । पु॒रा । प्र । वस्य॑: । आ॒ऽनि॒नाय॑ । तम् । ऊं॒ इति॑ । व॒: । स्तु॒षे॒ ॥ सखा॑य: । इन्द्र॑म् । ऊ॒तये॑ ॥६२.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यो न इदमिदं पुरा प्र वस्य आनिनाय तमु व स्तुषे। सखाय इन्द्रमूतये ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    य: । न: । इदम्ऽइदम् । पुरा । प्र । वस्य: । आऽनिनाय । तम् । ऊं इति । व: । स्तुषे ॥ सखाय: । इन्द्रम् । ऊतये ॥६२.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 62; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    १-४ राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (यः) जो [पराक्रमी] (नः) हमारे लिये (इदमिदम्) इस-इस (वस्यः) उत्तम वस्तु को (प्र) अच्छे प्रकार (आनिनाय) लाया है, (तम् उ) उस ही (इन्द्रम्) इन्द्र [महाप्रतापी वीर] को, (सखायः) हे मित्रो ! (वः) तुम्हारी (ऊतये) रक्षा के लिये (स्तुषे) मैं सराहता हूँ ॥३॥

    भावार्थ

    जो पुरुष पहले ही से धीर-वीर होवें, लोग उसकी बड़ाई करके गुण ग्रहण करें ॥३॥

    टिप्पणी

    १-४−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अ० २०।१४।१-४ ॥

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    विषय

    देखो व्याख्या अथर्व २०.१४.१-४

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    भाषार्थ

    हे उपासको! (यः) जो परमेश्वर, (नः) हम सबके लिए, (पुरा) अनादिकाल से, (इदम् इदम्) अमुक-अमुक (वस्यः) उत्तमोत्तम सम्पत्तियाँ (प्र आनिनाय) लाता रहा है, (वः) तुम्हारे ज्ञान के लिए (तम् उ) उस ही परमेश्वर का (स्तुषे) मैं कथन करता हूँ। (सखायः) हे सर्वभूत-मैत्री से सम्पन्न उपासको! (ऊतये) तुम्हारी रक्षा के लिए (इन्द्रम्) उस परमेश्वर का (स्तुषे) मैं कथन करता हूँ।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Indra Devata

    Meaning

    O friends, for the peace, freedom, progress and protection of you all, I pray to the same Indra, lord almighty, who has provided this beautiful world of joy for us since the very time of creation.

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    Translation

    O friend, we for your guard praise that Almighty God who first gives us and that thing of our benefit.

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    Translation

    O friend, we for your guard praise that Almighty God who first gives us and that thing of our benefit.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १-४−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अ० २०।१४।१-४ ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    ১-৪ রাজপ্রজাকর্তব্যোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (যঃ) যে [পরাক্রমী] (নঃ) আমাদের জন্য (ইদমিদম্) এই সকল/এই-এই (বস্যঃ) উত্তম বস্তু (পুরা) সর্বপ্রথম (প্র) উত্তমরূপে (আনিনায়) আনয়ন করেছে, (তম্ উ) সেই (ইন্দ্রম্) ইন্দ্র [মহাপ্রতাপী বীর] কে, (সখায়ঃ) হে মিত্রগণ! (বঃ) তোমাদের (ঊতয়ে) রক্ষার জন্য (স্তুবে) আমি স্তুতি করি॥৩॥

    भावार्थ

    যে ব্যক্তি পূর্বেই ধীর-বীর হয়, সবাই তাঁর প্রসংশা করে গুণ গ্রহণ করে/করুক॥৩॥

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    भाषार्थ

    হে উপাসকগণ! (যঃ) যে পরমেশ্বর, (নঃ) আমাদের সকলের জন্য, (পুরা) অনাদিকাল থেকে, (ইদম্ ইদম্) অমুক-অমুক (বস্যঃ) উত্তমোত্তম সম্পত্তি (প্র আনিনায়) আনয়ন করছেন, (বঃ) তোমাদের জ্ঞানের জন্য (তম্ উ) সেই পরমেশ্বরের (স্তুষে) আমি কথন/স্তুতি করি। (সখায়ঃ) হে সর্বভূত-মৈত্রীসম্পন্ন উপাসকগণ! (ঊতয়ে) তোমাদের রক্ষার জন্য (ইন্দ্রম্) সেই পরমেশ্বরের (স্তুষে) আমি কথন/স্তুতি করি।

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