Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 70 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 70/ मन्त्र 16
    ऋषिः - मधुच्छन्दाः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-७०
    0

    इन्द्रं॑ वो वि॒श्वत॒स्परि॒ हवा॑महे॒ जने॑भ्यः। अ॒स्माक॑मस्तु॒ केव॑लः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इन्द्र॑म् । व॒: । वि॒श्वत॑: । परि॑ । हवा॑महे । जने॑भ्य: ॥ अ॒स्माक॑म् । अ॒स्तु॒ । केव॑ल: ॥७०.१६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इन्द्रं वो विश्वतस्परि हवामहे जनेभ्यः। अस्माकमस्तु केवलः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इन्द्रम् । व: । विश्वत: । परि । हवामहे । जनेभ्य: ॥ अस्माकम् । अस्तु । केवल: ॥७०.१६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 70; मन्त्र » 16
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    १०-२० परमेश्वर की उपासना का उपदेश।

    पदार्थ

    [हे मनुष्यो !] (इन्द्रम्) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवान् परमात्मा] को (वः) तुम्हारे लिये और (विश्वतः) सब (जनेभ्यः) प्राणियों के लिये (परि) सब प्रकार (हवामहे) हम बुलाते हैं। वह (अस्माकम्) हमारा (केवलः) सेवनीय (अस्तु) होवे ॥१६॥

    भावार्थ

    सब मनुष्य सर्वहितकारी जगदीश्वर की आज्ञा में रहकर आनन्द पावें ॥१६॥

    टिप्पणी

    यह मन्त्र आचुका है-अ० २०।३९।१ ॥ १६−अयं मन्त्रो व्याख्यातः-अ० २०।३९।१ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    देखो व्याख्या, अथर्व० २०.३९.१॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (वः) हे उपासको! तुम्हारे लिए, तथा (जनेभ्यः) सभी अन्य जनों के लिए, (विश्वतः परि) सर्वत्र परिगत (इन्द्रम्) परमेश्वर का (हवामहे) हम आह्वान करते हैं। वह परमेश्वर (अस्माकम्) हम सबका (केवलः) एकमात्र सेवनीय (अस्तु) हो, या वह कैवल्य प्राप्त परमेश्वर हम सबका सेवनीय हो। [केवलः=केवृ सेवने।]

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    India Devata

    Meaning

    For the sake of you all of humanity, we invoke and worship Indra, the one lord ruler over the universe, and we pray He may be with us in vision in a state of absolute bliss.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    O people, we invoke Almighty who is over and above all the living and non-living creation and who is only protector of you and of us.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    O people, we invoke Almighty who is over and above all the living and non-living creation and who is only protector of you and of us.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    यह मन्त्र आचुका है-अ० २०।३९।१ ॥ १६−अयं मन्त्रो व्याख्यातः-अ० २०।३९।१ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    ১০-২০ পরমেশ্বরোপাসনোপদেশঃ

    भाषार्थ

    [হে মনুষ্যগণ!] (ইন্দ্রম্) ইন্দ্র [পরম ঐশ্বর্যবান পরমাত্মাকে] (বঃ) তোমার জন্য ও (বিশ্বতঃ) সকল (জনেভ্যঃ) প্রাণীদের জন্য (পরি) সকল প্রকারে (হবামহে) আমরা আহ্বান করি। তিনি (অস্মাকম্) আমাদের (কেবলঃ) সেবনীয় (অস্তু) হবে/হোক॥১৬॥

    भावार्थ

    সকল মনুষ্য সর্বহিতকারী জগদীশ্বরের আজ্ঞাবহ হয়ে আনন্দ পাবেন॥১৬॥ এই মন্ত্র আছে-অ০ ২০।৩৯।১ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (বঃ) হে উপাসকগণ! তোমাদের জন্য, তথা (জনেভ্যঃ) সকল অন্যদের জন্য, (বিশ্বতঃ পরি) সর্বত্র পরিগত (ইন্দ্রম্) পরমেশ্বরের (হবামহে) আমরা আহ্বান করি। সেই পরমেশ্বর (অস্মাকম্) আমাদের সকলের (কেবলঃ) একমাত্র সেবনীয় (অস্তু) হন/হোক, বা সেই কৈবল্য প্রাপ্ত পরমেশ্বর আমাদের সকলের সেবনীয় হোক। [কেবলঃ=কেবৃ সেবনে।]

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top