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यजुर्वेद अध्याय - 24

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  • यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 13
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - विराजादयो देवताः छन्दः - निचृदनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
    3

    प॒ष्ठ॒वाहो॑ वि॒राज॑ऽउ॒क्षाणो॑ बृह॒त्याऽऋ॑ष॒भाः क॒कुभे॑ऽन॒डवाहः॑ प॒ङ्क्त्यै धे॒नवोऽति॑छन्दसे॥१३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प॒ष्ठ॒वाह॒ इति॑ पष्ठ॒वाहः॑। वि॒राज॒ इति॑ वि॒ऽराजे॑। उ॒क्षाणः॑। बृ॒ह॒त्यै। ऋ॒ष॒भाः। क॒कुभे॑। अ॒न॒ड्वाहः॑। प॒ङ्क्त्यै। धे॒नवः॑। अति॑छन्दस॒ऽइत्यति॑ऽछन्दसे ॥१३।


    स्वर रहित मन्त्र

    पष्ठवाहो विराजऽउक्षणो बृहत्याऽऋषभाः ककुभेनड्वाहः पङ्क्त्यै धेनवो तिच्छन्दसे ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    पष्ठवाह इति पष्ठवाहः। विराज इति विऽराजे। उक्षाणः। बृहत्यै। ऋषभाः। ककुभे। अनड्वाहः। पङ्क्त्यै। धेनवः। अतिछन्दसऽइत्यतिऽछन्दसे॥१३।

    यजुर्वेद - अध्याय » 24; मन्त्र » 13
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    पुनस्तमेव विषयमाह॥

    अन्वयः

    यैर्मनुष्यैर्विराजे पष्ठवाहो बृहत्या उक्षाणः ककुभे ऋषभाः पङ्क्त्या अनड्वाहोऽतिच्छन्दसे धेनवः स्वीक्रियन्ते तेऽतिसुखं लभन्ते॥१३॥

    पदार्थः

    (पष्ठवाहः) ये पष्ठेन पृष्ठेन वहन्ति ते (विराजे) विराट्छन्दसे (उक्षाणः) वीर्यसेचनसमर्थाः (बृहत्यै) बृहतीछन्दोऽर्थाय (ऋषभाः) बलिष्ठाः (ककुभे) ककुबुष्णिक्छन्दोऽर्थाय (अनड्वाहः) शकटवहनसमर्थाः (पङ्क्त्यै) पङ्क्तिच्छन्दोऽर्थाय (धेनवः) दुग्धदात्र्यः (अतिछन्दसे) अतिजगत्यादिच्छन्दोऽर्थाय॥१३॥

    भावार्थः

    यथा विद्वांसो विराडादिच्छन्दोभ्यो बहूनि विद्याकार्याणि साध्नुवन्ति तथोष्ट्रादिभ्यः पशुभ्यो गृहस्था अखिलानि कार्य्याणि साध्नुयुः॥१३॥

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    हिन्दी (2)

    विषय

    फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥

    पदार्थ

    जिन मनुष्यों ने (विराजे) विराट् छन्द के लिये (पष्ठवाहः) जो पीठ से पदार्थों को पहुंचाते (बृहत्यै) बृहती छन्द के अर्थ को (उक्षाणः) वीर्य सींचने में समर्थ (ककुभे) ककुप् उष्णिक् छन्द के अर्थ को (ऋषभाः) अतिबलवान् प्राणी (पङ्क्त्यै) पंक्ति छन्द के अर्थ को (अनड्वाहः) लढ़ा पहुंचाने में समर्थ बैलों को (अतिछन्दसे) अतिजगती आदि छन्द के अर्थ को (धेनवः) दूध देने वाली गौएं स्वीकार कीं, वे अतीव सुख पाते हैं॥१३॥

    भावार्थ

    जैसे विद्वान् विराट् आदि छन्दों के लिये बहुत विद्या-विषयक कामों को सिद्ध करते हैं, वैसे ऊँट आदि पशुओं से गृहस्थ लोग समस्त कामों को सिद्ध करें॥१३॥

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    विषय

    अन्यान्य प्रत्यंगों तथा अधीन रहने वाले नाना विभागों के भृत्यों और उनकी विशेष पोशाकों और चिह्नों का विवरण ।

    भावार्थ

    (षष्ठवाहः विराजे) पृष्ठ से बोझ उठाने वाली गो-जाति विराट् छन्द के समान है । (उक्षाणः बृहत्याः) वीर्यसेचन में समर्थ बैल बृहती के समान हैं (ऋषभाः कुकुभे) ऋषभ, बड़े बैल, ककुप् छन्द के समसान हैं । (अनडवाहः पंक्त्यै) शकट या बोझ उठाने वाले बैल, पंक्ति छन्द के समान हैं और ( धेनवः) दुधार गौवें (अतिछन्दसे) अति शब्दयुक्त छन्द के समान हैं ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    निचृदनुष्टुप् । गान्धारः ॥

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    मराठी (2)

    भावार्थ

    जसे विद्वान लोक विराट् बृहती, उष्णिक इत्यादी छंदापासून भिन्न भिन्न अर्थाची विद्या प्राप्त करतात. तसे उंट, बैल गाय इत्यादी पशूंकडून गृहस्थी लोकांनी संपूर्ण कार्य सिद्ध करावे.

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    विषय

    पुनश्‍च, त्याच विषयी -

    शब्दार्थ

    शब्दार्थ - ज्या मनुष्यांनी (विराजे) विद्वानांनी, विराट (वेदातील छंदविशेषचा अभ्यास केला आणि (षृष्ठवाहः) पाठीवर ओझे नेणार्‍या (उंट, अश्‍व व बैल) पशूंची कृषकादीनी योजना केली) ते अवश्य सुखी होतात. ज्या विद्वानांनी (बृहत्यै) बृहती छंदाचा अभ्यास केला आणि ज्यांनी (उक्षाणः) वीर्यसंचनात समर्थ अशा (वळू) साठी पालन-कर्म केले, तसेच ज्या विद्वानांनी (ककभु) ककुप् उष्णिक् छंदाच्या अर्थाचा अभ्यास केला आणि (ऋषभाः) ज्या कृषकांनी अतिबलवान बैल आदी प्राण्यांचे संगोपन केले, ते सुखी होतात. तसेच (पङ्वत्त्यै) पंक्ति छंदाच्या अर्थाचा ज्या विद्वानांनी अभ्यास केला आणि (अनड्वाहः) भारवाही समर्थ बैलांचा उपयोग केला ते अवश्य अतीव सुख प्राप्त करतात आणि (अतिच्छन्दसे) अतिजगती आदी छंदातील मंत्राच्या ज्या विद्वानांनी अभ्यास केला व आणि ज्या (वैश्यादींनी) (धेनवः) दूध देणार्‍या गायी पाळल्या, ते अतीव सुख प्राप्त करतात. ॥13॥

    भावार्थ

    भावार्थ - ज्याप्रमाणे विद्वज्जन विराट आदी छंदातील मंत्रांच्या अभ्यासासाठी प्रभूत विद्याभ्यास व शोधकार्य करतात, तद्वत गृहस्थजनांनी उंट आदी पशूंच्या द्वारे आपली समस्त कार्ये सिद्ध करावीत. ॥13॥

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    इंग्लिश (3)

    Meaning

    Animals who carry burden on the back belong to the virat. Full grown bulls belong to the Brihati. Strong bulls belong to the Kakup. Bulls who carry the cart belong to the Pankti. Milch cows belong to the Atichhand.

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    Meaning

    Those which bear the burdens on their back are for the virat metre to sing; the virile bulls are for brihati; the sturdy and most excellent bulls are for kakup; the cart-bullocks are for the pankti; and the cows are for the ati-chhanda metre to sing of.

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    Translation

    Load carrying bullocks he secures for viraj metre; fully mature bulls for brhati metre; powerful bulls for kakup metre; draught oxen for рrankti metre; and milchcows for aticchandas metre. (1)

    Notes

    Paşthavahaḥ, a four years old steer. Here animals are said belonging to the various metres of the Vedic compositions.

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    बंगाली (1)

    विषय

    পুনস্তমেব বিষয়মাহ ॥
    পুনঃ সেই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥

    पदार्थ

    পদার্থঃ–যে মনুষ্যগণ (বিরাজে) বিরাট ছন্দ হেতু (পষ্ঠবাহঃ) যাহারা পৃষ্ঠ দিয়া পদার্থগুলিকে বহন করে (বৃহত্যৈ) বৃহতী ছন্দের অর্থকে (উক্ষাণঃ) বীর্য্য সিঞ্চনে সমর্থ (ককুভে) ককুপ্ উষ্ণিক্ ছন্দের অর্থকে (ঋষভাঃ) অতিবলবান প্রাণী (পঙ্ক্তয়ৈ) পঙ্ক্তিছন্দের অর্থকে (অনড্বাহঃ) শকট বহনে সমর্থ বৃষকে (অতিচ্ছন্দসে) অতি জগতী আদি ছন্দের অর্থকে (ধেনবঃ) দুগ্ধদাত্রী গাভিকে স্বীকার করিয়াছে, তাহারা অতীব সুখ লাভ করে ॥ ১৩ ॥

    भावार्थ

    ভাবার্থঃ–যেমন বিদ্বান্ বিরাট্ আদি ছন্দ দ্বারা বহু বিদ্যাবিষয়ক কর্ম্মকে সিদ্ধ করেন তদ্রূপ উট আদি পশুগুলির দ্বারা তোমরা সমস্ত কর্ম্মকে সিদ্ধ করিবে ॥ ১৩ ॥

    मन्त्र (बांग्ला)

    প॒ষ্ঠ॒বাহো॑ বি॒রাজ॑ऽউ॒ক্ষাণো॑ বৃহ॒ত্যাऽঋ॑ষ॒ভাঃ ক॒কুভে॑ऽন॒ড্বাহঃ॑ প॒ঙ্ক্ত্যৈ ধে॒নবোऽতি॑ছন্দসে ॥ ১৩ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    পষ্ঠবাডিত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । বিরাজাদয়ো দেবতাঃ । নিচৃদনুষ্টুপ্ ছন্দঃ ।
    গান্ধারঃ স্বরঃ ॥

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