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यजुर्वेद अध्याय - 24

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  • यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 7
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - इन्द्रादयो देवताः छन्दः - अतिजगती स्वरः - निषादः
    3

    उ॒न्न॒त ऋ॑ष॒भो वा॑म॒नस्तऽएे॑न्द्रावैष्ण॒वाऽउ॑न्न॒तः शि॑तिबा॒हुः शि॑तिपृ॒ष्ठस्तऽऐ॑न्द्राबार्हस्प॒त्याः शुक॑रूपा वाजि॒नाः क॒ल्माषा॑ऽआग्निमारु॒ताः श्या॒माः पौ॒ष्णाः॥७॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒न्न॒त इत्यु॑त्ऽन॒तः। ऋ॒ष॒भः। वा॒म॒नः। ते। ऐ॒न्द्रा॒वै॒ष्ण॒वाः। उ॒न्न॒त इत्यु॑त्ऽन॒तः। शि॒ति॒बा॒हुरिति॑ शितिऽबा॒हुः। शि॒ति॒पृ॒ष्ठ इति॑ शितिऽपृ॒ष्ठः। ते। ऐ॒न्द्रा॒बा॒र्ह॒स्प॒त्याः। शुक॑रू॒पा इति॒ शुक॑ऽरू॒पाः। वा॒जि॒नाः। क॒ल्माषाः॑। आ॒ग्नि॒मा॒रु॒ता इत्या॑ग्निमारु॒ताः। श्या॒माः। पौ॒ष्णाः ॥७ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उन्नतऽऋषभो वामनस्तऽऐन्द्रवैष्णवाऽउन्नतः शितिबाहुः शितिपृष्ठस्तऽऐन्द्राबार्हस्पत्याः शुकरूपा वाजिनाः कल्माषाऽआग्निमारुताः श्यामाः पौष्णा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    उन्नत इत्युत्ऽनतः। ऋषभः। वामनः। ते। ऐन्द्रावैष्णवाः। उन्नत इत्युत्ऽनतः। शितिबाहुरिति शितिऽबाहुः। शितिपृष्ठ इति शितिऽपृष्ठः। ते। ऐन्द्राबार्हस्पत्याः। शुकरूपा इति शुकऽरूपाः। वाजिनाः। कल्माषाः। आग्निमारुता इत्याग्निमारुताः। श्यामाः। पौष्णाः॥७॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 24; मन्त्र » 7
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    पुनस्तमेव विषयमाह॥

    अन्वयः

    हे मनुष्या! भवद्भिर्ये उन्नत ऋषभो वामनश्च सन्ति, त ऐन्द्रावैष्णवाः। य उन्नतः शितिबाहुः शितिपृष्ठश्च सन्ति, त ऐन्द्राबार्हस्पत्याः। ये शुकरूपा वाजिनाः कल्माषाः सन्ति, त आग्निमारुताः। ये श्यामाः सन्ति, ते च पौष्णाः विज्ञेयाः॥७॥

    पदार्थः

    (उन्नतः) उच्छ्रितः (ऋषभः) श्रेष्ठः (वामनः) वक्राङ्गः (ते) (ऐन्द्रावैष्णवाः) विद्युद्वायुदेवताकाः (उन्नतः) (शितिबाहुः) शिती तनूकर्त्तारौ बाहू इव बलं यस्य सः (शितिपृष्ठः) शितिस्तनूकरणं पृष्ठं यस्य सः (ते) (ऐन्द्राबार्हस्पत्याः) वायुसूर्यदेवताकाः (शुकरूपाः) शुकस्य रूपमिव रूपं येषान्ते (वाजिनाः) वेगवन्तः (कल्माषाः) श्वेतकृष्णवर्णाः (आग्निमारुताः) अग्निवायुदेवताकाः (श्यामाः) श्यामवर्णाः (पौष्णाः) पुष्टिनिमित्त-मेघदेवताकाः॥७॥

    भावार्थः

    ये मनुष्याः पशूनामुन्नतिं पुष्टिं च कुर्वन्ति ते नानाविधानि सुखानि लभन्ते॥७॥

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    हिन्दी (2)

    विषय

    फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥

    पदार्थ

    हे मनुष्यो! तुम को जो (उन्नतः) ऊंचा (ऋषभः) और श्रेष्ठ (वामनः) टेढ़े अङ्गों वाले नाटा पशु हैं, (ते) वे (ऐन्द्रावैष्णवाः) बिजुली और पवन देवता वाले, जो (उन्नतः) ऊंचा (शितिबाहुः) जिसका दूसरे पदार्थ को काटती-छांटती हुई भुजाओं के समान बल और (शितिपृष्ठः) जिसकी सूक्ष्म की हुई पीठ ऐसे जो पशु हैं, (ते) वे (ऐन्द्राबार्हस्पत्याः) वायु और सूर्य देवता वाले (शुकरूपाः) जिनका सुग्गों के समान रूप और (वाजिनाः) वेग वाले (कल्माषाः) कबरे भी हैं, वे (आग्निमारुताः) अग्नि और पवन देवता वाले तथा जो (श्यामाः) काले रंग के हैं, वे (पौष्णाः) पुष्टिनिमित्तक मेघ देवता वाले जानने चाहियें॥७॥

    भावार्थ

    जो मनुष्य पशुओं की उन्नति और पुष्टि करते हैं, वे नाना प्रकार के सुखों को पाते हैं॥७॥

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    विषय

    अन्यान्य प्रत्यंगों तथा अधीन रहने वाले नाना विभागों के भृत्यों और उनकी विशेष पोशाकों और चिह्नों का विवरण ।

    भावार्थ

    (उन्नतः) ऊंचा, (ऋषभः) हृष्ट पुष्ट और (वामनः) बौना, या अतिसुन्दर रूप वाले ये तीनों प्रकार के पुरुष (ऐन्द्रावैष्णवाः) इन्द्र और विष्णु नाम अधिकारी के अधीन हों। (उन्नतः शितिबाहुः शितिपृष्ठं : ते) ऊंचे, बाहु पर श्वेत वस्त्र वाले और पीठ पर श्वेत वस्त्र वाले ये तीनों (ऐन्द्राबार्हस्पत्या:) 'इन्द्र वृहस्पति' राजा, राजमन्त्री के विभाग के हों । (शुकरूपाः वाजिना:) तोते के समान हरे पोशाक के पुरुष वेगवान् अश्वों के ऊपर नियत हों । (कल्माषाः आग्निमारुताः) श्वेत काले, खाखी रङ्ग की 'पोशाक वाले 'अग्नि और मरुत्' विभाग के हों । (श्यामाः पौष्णाः) नीले रंग के पूषा अर्थात् कर संग्राहक विभाग के हों ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    इन्द्रादयो देवताः । प्रतिजगती । निषादः ॥

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    मराठी (2)

    भावार्थ

    जी माणसे पशूंची वाढ करून त्यांना पुष्ट करतात ती नाना प्रकारचे सुख भोगतात.

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    विषय

    पुनश्‍च, त्याच विषयी -

    शब्दार्थ

    शब्दार्थ - हे मनुष्यांनो, जो (उन्नतः) उंच, (ऋषभः) श्रेष्ट आणि जो (वामनः) बुटक्या वा वाकड्या-तिकड्या अवयव असलेला पशु आहे, (ते) ते सर्व पशू (ऐन्द्रवैष्णवाः) विघत आणि वायू देवतात्मक आहेत, असे जाणावेत (ते चपळ उद्यमी आहेत, असे ओळखावे) जे पशू (उन्नतः) उन्नत असून (शितिबाहुः) ज्या अंगी अन्य पदार्थांना कापणे- तोडणे सारखी कामें करताना बाहूंमधे जसे बळ हवे, तसे बळ त्या पशूंच्या ठिकाणी आहे तसेच ज्यांची पाठ (शितिपृष्ठः) मऊ वा भारवहनात समर्थ आहे, (ते) असे ते सर्व पशू (ऐन्द्राबार्हस्पत्याः) वायू आणि सूर्यदेवता मय आहेत, असे जाणावे. या शिवाय (शुकरूपाः) ज्यांच्या रंग वा अकार पोपटाप्रमाणे असून जे (वाजिनाः) वेगवान आहेत आणि काही पशू जे (कल्माषाः) कबरे वा रंगी-बेरंगी आहेत, ते सर्व (आग्निमारुताः) अग्नी व पवनदेवतामय आणि जे (श्यामाः) काळ्या रंगाचे आहेत, ते (पौष्णाः) पुष्ठिनिमित्तक मेघदेवतामय जाणावेत. ॥7॥

    भावार्थ

    भावार्थ - जे लोक पशूंचे पालन, संवर्धन व पोषण करतात, ते अनेक विविध सुख प्राप्त करतात. ॥7॥

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    इंग्लिश (3)

    Meaning

    The tall, the sturdy, the animals with distorted organs possess the qualities of electricity and air. Animals possessing the strength of arms that cut and shear things, and delicate back, possess the qualities of air and sun. The parrot-coloured, fast, variegated animals possess the qualities of fire and air. Dark-coloured possess the qualities of a cloud.

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    Meaning

    The tall, strong animals with supple and tortuous limbs are of the quality Indra and Vishnu, electricity and wind. The tall ones of razor-sharp stroke and adamantine back have the quality of Indra and Brihaspati, wind and the sun. Those of the form and colour of the parrot, fast as horse, white and black have the quality of Agni and Maruts, fire and the winds. The black ones have the quality of Pushan, energising as the cloud.

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    Translation

    The tall, the sturdy and the dwarf, these belong to Indra-Visnu; the tall, the one with white forefeet and the one with white back, these belong to Indra- Brhaspati; the parrot-coloured belong to Vajins (the speedy); black with white spots belong to Agni- Maruts; dark-coloured belong to Pusan. (1)

    Notes

    Vājināḥ, belonging to Vajins (deities), or the speedy persons. Pauṣṇāḥ, belonging to Puşan.

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    बंगाली (1)

    विषय

    পুনস্তমেব বিষয়মাহ ॥
    পুনঃ সেই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥

    पदार्थ

    পদার্থঃ–হে মনুষ্যগণ! যাহা (উন্নতঃ) উচ্চ (ঋষভঃ) ও শ্রেষ্ঠ (বামনঃ) বক্রাঙ্গ যুক্ত বামন পশু (তে) তাহারা (ঐন্দ্রাবৈষ্ণবাঃ) বিদ্যুৎ ও পবন দেবতাযুক্ত, যাহা (উন্নতঃ) উচ্চ (শিতিবাহুঃ) যাহার অন্য পদার্থের কর্ত্তন করিয়া ভুজ সদৃশ বল এবং (শিতিপৃষ্ঠঃ) যাহার সূক্ষ্মকৃত পৃষ্ঠ এমন যে পশু (তে) তাহারা (ইন্দ্রাবার্হস্পত্যাঃ) বায়ু ও সূর্য্য দেবতাযুক্ত (শুকরূপাঃ) যাহার শুকসমান রূপ এবং (বাজিনঃ) বেগযুক্ত (কল্মাষাঃ) শ্বেতকৃষ্ণবর্ণও, তাহারা (আগ্নিমারুতাঃ) অগ্নি ও পবন দেবতাযুক্ত তথা যাহারা (শ্যামাঃ) কৃষ্ণ বর্ণের তাহারা (পৌষ্ণাঃ) পুষ্টি নিমিত্তক মেঘ দেবতাযুক্ত তোমাকে জানা উচিত ॥ ৭ ॥

    भावार्थ

    ভাবার্থঃ–যে মনুষ্য পশুদিগের উন্নতি ও পুষ্টি করে তাহারা নানা প্রকারের সুখ লাভ করে ॥ ৭ ॥

    मन्त्र (बांग्ला)

    উ॒ন্ন॒ত ঋ॑ষ॒ভো বা॑ম॒নস্তऽঐ॑ন্দ্রাবৈষ্ণ॒বাऽউ॑ন্ন॒তঃ শি॑তিবা॒হুঃ শি॑তিপৃ॒ষ্ঠস্তऽঐ॑ন্দ্রাবার্হস্প॒ত্যাঃ শুক॑রূপা বাজি॒নাঃ ক॒ল্মাষা॑ऽআগ্নিমারু॒তাঃ শ্যা॒মাঃ পৌ॒ষ্ণাঃ ॥ ৭ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    উন্নত ইত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । ইন্দ্রাদয়ো দেবতাঃ । অতিজগতী ছন্দঃ ।
    নিষাদঃ স্বরঃ ॥

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