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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 29 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 29/ मन्त्र 3
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - दर्भमणिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - दर्भमणि सूक्त
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    रु॒न्द्धि द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे रु॒न्द्धि मे॑ पृतनाय॒तः। रु॒न्द्धि मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ रु॒न्द्धि मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    रु॒न्द्धि। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। रु॒न्द्धि। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। रु॒न्द्धि। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। रु॒न्द्धि। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒ ॥२९.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    रुन्द्धि दर्भ सपत्नान्मे रुन्द्धि मे पृतनायतः। रुन्द्धि मे सर्वान्दुर्हार्दो रुन्द्धि मे द्विषतो मणे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    रुन्द्धि। दर्भ। सऽपत्नान्। मे। रुन्द्धि। मे। पृतनाऽयतः। रुन्द्धि। मे। सर्वान्। दुःऽहार्दः। रुन्द्धि। मे। द्विषतः। मणे ॥२९.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 29; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

    पदार्थ

    (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (रुन्द्धि) रोक दे, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (रुन्द्धि) रोक दे। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (रुन्द्धि) रोक दे, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (रुन्द्धि) रोक दे॥३॥

    भावार्थ

    स्पष्ट है ॥३॥

    टिप्पणी

    ३−(रुन्द्धि) रुधिर् आवरणे। आवृणु। निरोधं कुरु ॥

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    विषय

    रोग-निरोध

    भावार्थ

    शरीर में वीर्य के सुरक्षित होने पर रोगों का स्वभावतः निरोध हो जाता है।

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    भाषार्थ

    (दर्भ) हे शत्रुविदारक, (मणे) शिरोमणि सेनापति! (मे) मेरे (सपत्नान्) आन्तरिक-विद्रोहियों को (रुन्धि) आवृत कर, अर्थात् उन पर घेरा डाल। (मे) मेरे राष्ट्र पर (पृतनायतः) सेना द्वारा आक्रमण चाहने वालों को (रुन्धि) तू आवृत कर, अर्थात् उन पर घेरा डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हार्दिक भावनाओं वालों को (रुन्धि) आवृत कर, अर्थात् उन पर घेरा डाल। (मे) मेरे (द्विषतः) द्वेषीः= अमित्रों को (रुन्धि) आवृत कर, अर्थात् उन पर घेरा डाल।

    टिप्पणी

    [रुन्द्धि=रुधिर् आवरणे। आवरण अर्थात् घेरा डालने से इन के बाह्य व्यापार आदि को रोकना, और इनके बाहर आने-जाने की स्वतन्त्रता को रोक देना होता है। यह भी एक प्रकार का साम उपाय है, उग्र उपाय नहीं। घेरा डालने को “अवरोध तथा उपरोध” कहते हैं।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Darbha Mani

    Meaning

    O Darbha, destroyer of negativities, shut off all my rivals, shut off all my adversaries. O Mani, shut off all negative forces which are evil at heart, shut out all jealous forces active against me.

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    Translation

    Obstruct, O darbha, my rivals; obstruct them who invade me, obstruct all my enemies; O blessing, obstruct them who hate me.

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    Translation

    Let this nice Darbha obstruct my foe-men, let it obstruct them who bear malignancy for me, let it obstruct all those who bear evils for me in their hearts, and let it obstruct those men who bear malice for me.

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    Translation

    Let the darbha-mani obstruct my rivals as well those who intend to fight with me. Let it obstruct all the wicked-hearted people and those who are full of hatred for me.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ३−(रुन्द्धि) रुधिर् आवरणे। आवृणु। निरोधं कुरु ॥

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