अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 29/ मन्त्र 6
पि॒ण्ड्ढि द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे पि॒ण्ड्ढि मे॑ पृतनाय॒तः। पि॒ण्ड्ढि मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ पि॒ण्ड्ढि मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥
स्वर सहित पद पाठपि॒ण्ड्ढि। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। पि॒ण्ड्ढि। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। पि॒ण्ड्ढि। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। पि॒ण्ड्ढि। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒ ॥२९.६॥
स्वर रहित मन्त्र
पिण्ड्ढि दर्भ सपत्नान्मे पिण्ड्ढि मे पृतनायतः। पिण्ड्ढि मे सर्वान्दुर्हार्दो पिण्ड्ढि मे द्विषतो मणे ॥
स्वर रहित पद पाठपिण्ड्ढि। दर्भ। सऽपत्नान्। मे। पिण्ड्ढि। मे। पृतनाऽयतः। पिण्ड्ढि। मे। सर्वान्। दुःऽहार्दः। पिण्ड्ढि। मे। द्विषतः। मणे ॥२९.६॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
सेनापति के लक्षण का उपदेश ॥
पदार्थ
(दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (पिण्ड्ढि) पीस डाल, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (पिण्ड्ढि) पीस डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (पिण्ड्ढि) पीस डाल, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (पिण्ड्ढि) पीस डाल ॥१॥
भावार्थ
स्पष्ट है ॥६॥
टिप्पणी
६−(पिण्ड्ढि) पिष्लृ संचूर्णने। चूर्णीकुरु ॥
विषय
रोग-संचूर्णन
भावार्थ
शरीर में सुरक्षित वीर्य रोगों का चूरा-चूरा कर डालता है [पिष् संचूर्णने]।
भाषार्थ
(दर्भ) हे शत्रुविदारक, (मणे) शिरोमणि सेनापति! तू (मे) मेरे (सपत्नान्) आन्तरिक-विद्रोहियों को (पिण्ढि) पीस डाल। (मे) मेरे राष्ट्र पर (पृतनायतः) सेना द्वारा आक्रमण चाहनेवालों को (पिण्ढि) पीस डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट-हार्दिक भावनाओंवालों को (पिण्ढि) पीस डाल। (मे) मेरे (द्विषतः) द्वेषी=अमित्रों को (पिण्ढि) पीस डाल।
इंग्लिश (4)
Subject
Darbha Mani
Meaning
O Darbha, destroyer of destroyers, batter all my rivals, batter all my adversaries, O Mani, batter all the evil hearted ranged against me, batter all the jealous forces active against me.
Translation
Crush, O darbha, my rivals; crush them who invade me, crush all my enemies; O blessing, crush them who hate me.
Translation
Let this nee Darbha batter my foe-men, let it batter them who bear evils for me in their hearts and let it batter those men who bear malice for me.
Translation
O darbha-mani, thoroughly crush my rivals and those who to fight with me with armies. Completely crush those who wish me ill and those who hate me.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
६−(पिण्ड्ढि) पिष्लृ संचूर्णने। चूर्णीकुरु ॥
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