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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 29 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 29/ मन्त्र 4
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - दर्भमणिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - दर्भमणि सूक्त
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    मृ॒ण द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे मृ॒ण मे॑ पृतनाय॒तः। मृ॒ण मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ मृ॒ण मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    मृ॒ण। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। मृ॒ण। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। मृ॒ण। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। मृ॒ण। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒ ॥२९.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    मृण दर्भ सपत्नान्मे मृण मे पृतनायतः। मृण मे सर्वान्दुर्हार्दो मृण मे द्विषतो मणे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    मृण। दर्भ। सऽपत्नान्। मे। मृण। मे। पृतनाऽयतः। मृण। मे। सर्वान्। दुःऽहार्दः। मृण। मे। द्विषतः। मणे ॥२९.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 29; मन्त्र » 4
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    हिन्दी (3)

    विषय

    सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

    पदार्थ

    (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (मृण) मार डाल, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (मृण) मार डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (मृण) मार डाल, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (मृण) मार डाल ॥४॥

    भावार्थ

    स्पष्ट है ॥४॥

    टिप्पणी

    ४−(मृण) मृण हिंसायाम्। मारय ॥

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    विषय

    रोगों को मसल [to slay] डालना

    भावार्थ

    शरीर में सुरक्षित वीर्य रोगों का संहार कर डालता है।

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    भाषार्थ

    (दर्भ) हे शत्रुविदारक, (मणे) शिरोमणि सेनापति! तू (मे) मेरे (सपत्नान्) आन्तरिक-विद्रोहियों को (मृण) प्राणदण्ड दे। (मे) मेरे राष्ट्र पर (पृतनायतः) सेना द्वारा आक्रमण चाहनेवालों को (मृण) प्राणदण्ड दें। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट-हार्दिक भावनाओं वालों को (मृण) प्राणदण्ड दे। (मे) मेरे (द्विषतः) द्वेषी=अमित्रों को (मृण) तू प्राणदण्ड दे। [मृण=मृङ् प्राणत्यागे।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Darbha Mani

    Meaning

    O Darbha, destroyer of negativities, reduce to dust my rivals, crush to dust my fighting rivals. Crush to dust all forces evil at heart against me, crush to dust, O Mani, all the jealous forces that stand against me.

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    Translation

    Kill, O darbha, my rivals; kill them who invade me; kill all my enemies; O blessing, kill them who hate me.

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    Translation

    Let this nice Darbha crush my foe-men, let it, sash them who bear malignancy for me, let it crush all those who bear evils for me in their hearts and let it crush them who bear malice for me.

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    Translation

    O darbha-mani, murder the foes of mine and those who rush their armies against me. Kill those who wish me evil and those who hate me.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ४−(मृण) मृण हिंसायाम्। मारय ॥

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