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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 29 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 29/ मन्त्र 8
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - दर्भमणिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - दर्भमणि सूक्त
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    दह॑ दर्भ स॒पत्ना॑न्मे॒ दह॑ मे पृतनाय॒तः। दह॑ मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॒ दह॑ मे द्विष॒तो म॑णे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    दह॑। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। दह॑। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। दह॑। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। दह॑। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒ ॥२९.८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    दह दर्भ सपत्नान्मे दह मे पृतनायतः। दह मे सर्वान्दुर्हार्दो दह मे द्विषतो मणे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    दह। दर्भ। सऽपत्नान्। मे। दह। मे। पृतनाऽयतः। दह। मे। सर्वान्। दुःऽहार्दः। दह। मे। द्विषतः। मणे ॥२९.८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 29; मन्त्र » 8
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    हिन्दी (3)

    विषय

    सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

    पदार्थ

    (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (दाह) दाह कर दे, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (दाह) दाह कर दे। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (दाह) दाह कर दे, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (दाह) दाह कर दे ॥१॥

    भावार्थ

    स्पष्ट है ॥८॥

    टिप्पणी

    ८−(दह) भस्मसात्कुरु ॥

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    विषय

    रोगों को भस्मीभूत कर देना

    भावार्थ

    शरीर में सुरक्षित वीर्य रोगों को भस्मीभूत कर देता है।

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    भाषार्थ

    (दर्भ) हे शत्रुविदारक, (मणे) शिरोमणि सेनापति! तू (मे) मेरे (सपत्नान्) आन्तरिक-विद्रोहियों को (दह) दग्ध कर दे। (मे) मेरे राष्ट्र पर (पृतनायतः) सेना द्वारा आक्रमण चाहनेवालों को (दह) दग्ध कर दे। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्द्रः) दुष्ट-हार्दिक भावनाओं वालों को (दह) दग्ध कर दे। (मे) मेरे (द्विषतः) द्वेषी=अमित्रों को (दह) दग्ध कर दे।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Darbha Mani

    Meaning

    O Darbha, destroyer of negativities, bum and consume all my rivals, burn and consume all my adversaries. O Mani, burn and consume all the evil hearted ranged against me, bum and consume all the jealous forces active against me.

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    Translation

    Burn, O darbha, my rivals to ashes; burn them to ashes who invade me; burn all my enemies to ashes; O blessing, burn them to ashes who hate me.

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    Translation

    Let this nice Dharbha consume my foe-men, let it consume them who bear malignancy for me, let it consume all those who bear evils for me in their hearts and let it consume those men who bear malice for me.

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    Translation

    O darbha-mani, burn up my adversaries and those who approach me with armies to battle with me. Burn up the people who wish me evil and those who hate me.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ८−(दह) भस्मसात्कुरु ॥

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