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अथर्ववेद के काण्ड - 4 के सूक्त 39 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 39/ मन्त्र 8
    ऋषिः - अङ्गिराः देवता - चन्द्रमाः छन्दः - संस्तारपङ्क्तिः सूक्तम् - सन्नति सूक्त
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    दिशो॑ धे॒नव॒स्तासां॑ च॒न्द्रो व॒त्सः। ता मे॑ च॒न्द्रेण॑ व॒त्सेनेष॒मूर्जं॒ कामं॑ दुहा॒म्। आयुः॑ प्रथ॒मं प्र॒जां पोषं॑ र॒यिं स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    दिश॑: । धे॒नव॑: । तासा॑म् । च॒न्द्र: । व॒त्स: । ता: । मे॒ । च॒न्द्रेण॑ । व॒त्सेन॑ । इष॑म् । ऊर्ज॑म् । काम॑म् । दु॒हा॒म् । आयु॑: । प्र॒थ॒मम् । प्र॒ऽजाम् । पोष॑म् । र॒यिम् । स्वाहा॑ ॥३९.८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    दिशो धेनवस्तासां चन्द्रो वत्सः। ता मे चन्द्रेण वत्सेनेषमूर्जं कामं दुहाम्। आयुः प्रथमं प्रजां पोषं रयिं स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    दिश: । धेनव: । तासाम् । चन्द्र: । वत्स: । ता: । मे । चन्द्रेण । वत्सेन । इषम् । ऊर्जम् । कामम् । दुहाम् । आयु: । प्रथमम् । प्रऽजाम् । पोषम् । रयिम् । स्वाहा ॥३९.८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 4; सूक्त » 39; मन्त्र » 8
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    परमेश्वर के गुणों का उपदेश।

    पदार्थ

    (दिशः) सब दिशाएँ (धेनवः) दुधैल गौओं के समान हैं। (तासाम्) उन [गौ रूपों] का (वत्सः) बच्चा रूप (चन्द्रः) चन्द्रमा है। (ताः) वे [गौ रूप] (मे) मुझे (वत्सेन) बच्चा रूप (चन्द्रेण) चन्द्रमा के साथ (इषम्) अन्न, (ऊर्जम्) पराक्रम, (कामम्) उत्तम मनोरथ (प्रथमम् आयुः) प्रधान जीवन, (प्रजाम्) प्रजा, (पोषम्) पोषण और (रयिम्) धन (दुहाम्=दुहताम्) परिपूर्ण करें। (स्वाहा) यह आशीर्वाद हो ॥८॥

    भावार्थ

    मनुष्य चन्द्रमा के गुणों का पृथिवी के साथ सम्बन्ध जानकर अन्न आदि पदार्थों को पुष्ट करके आनन्द भोगें ॥८॥

    टिप्पणी

    ८−(दुहाम्) दुहताम् प्रपूरयन्तु। अन्यत् पूर्ववत्। म– २, ७ ॥

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    विषय

    दिशारूप धेनुओं का वत्स 'चन्द्र'

    पदार्थ

    १. (दिशः धेनवः) = शरीर के सब दिग्भाग धेनुएँ हैं, तो (चन्द्र:) = आहाद व विकास ही (तासाम्) = उनका (वत्सः) = बछड़ा है। (ता:) = वे दिशाएँ (वत्सेन चन्द्रेण) = इस वत्सभूत चन्द्र [विकास] के साथ (मे) = मेरे लिए (इषम्) = अन्न को, (ऊर्जम्) = बलकर रस को तथा (कामम्) = अभिलषित तत्वों को (दुहाम्) = प्रपूरित करें। २. ये मुझे (प्रथमम्) = शतसंवत्सरपर्यन्त विस्तीर्ण आयुष्य (प्रजाम्) = शक्तियों का प्रादुर्भाव, (पोषम्) = अङ्ग-प्रत्यङ्ग का पोषण व (रयिम्) = उत्कृष्ट धन प्राप्त कराएँ । (स्वाहा) = मैं इन चन्द्र-शक्तियों के विकास व आहाद के लिए अपना अर्पण करता हूँ-पूर्ण प्रयत्न से इन्हें प्राप्त करने में लगता हूँ।

    भावार्थ

    शरीर के सब दिग्भागों के विकसित होने पर सब अभिलषित तत्त्वों की प्रासि होती है। इसी से दीर्घ जीवन, शक्तियों का विकास व पोषण प्राप्त होता है।

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    भाषार्थ

    (दिशः) दिशाएँ हैं (धेनवः) दुग्ध देनेवाली गौएँ, (तासाम्) उन दिशाओं का (वत्स:) वत्स है (चन्द्रः) चाँद। (ताः) वे दिशाएँ (मे) मुझे (चन्द्रेण वत्सेन) चाँदरूपी वत्स द्वारा (इषम्) अभीष्ट अन्न, (ऊर्जम्) बल और प्राण के प्रदाता अन्नरस, (कामम्) तथा काम्यमान अन्य वस्तुरूपी दुग्ध (दुहाम्) दोहन करें, प्रदान करें (आयुः प्रथमम्) पहले या प्रथित अर्थात् विस्तृत आयु, लम्बी आयु, (प्रजाम्) प्रजा अर्थात् सन्तान, (पोषम्) इन सबकी पुष्टि अर्थात् अभिवृद्धि, (रयिम्) और धन। (स्वाहा) इन सबकी प्राप्ति के लिए यज्ञ किये जाएँ।

    टिप्पणी

    [भिन्न-भिन्न दिशाओं में जो अन्न आदि पैदा हो रहे हैं, उनका सम्बन्ध चन्द्र के साथ क्या है, यह विचारणीय है।]

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    विषय

    विभूतियों और समृद्धियों को प्राप्त करने की साधना।

    भावार्थ

    (दिशः धेनवः) दिशाएं भी गौएं हैं। (तासां चन्द्रः वत्सः) उनका चन्द्र ही उन में निवास करने वाला बछड़े के समान है। (ताः चन्द्रेण वत्सेन मे कामं इषम् ऊर्जम् दुहाम्) वे दिशाएं चन्द्र वत्स की प्रेरणा से मेरे लिये मेरी कामना के अनुसार खूब अधिक मात्रा में अन्न और उससे उत्पन्न पुष्टिकारक रस को पैदा करें। (प्रथमं आयुः प्रजां पोषं रयिम्) और सब से श्रेष्ठ प्रजा, पुष्टि धन सम्पत्ति और यश वीर्य भी प्रदान करें (स्वाहा) यही हमारी उत्तम प्रार्थना है। दिशाओं में चन्द्र प्रकाशित हो, उत्तम बल, आयु, प्रजा, सम्पदा, यश प्राप्त हों।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अंगिरा ऋषिः। संनतिर्देवता। १, ३, ५, ७ त्रिपदा महाबृहत्यः, २, ४, ६, ८ संस्तारपंक्तयः, ९, १० त्रिष्टुभौ। दशर्चं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Divine Prosperity

    Meaning

    The quarters of space are a mother cow, the moon is their calf. May mother space with her calf-like beauty, peace and soma give me the energy that is in peace and fulfilment with prime health, long age, noble progeny, nourishment, and the wealth of honour and excellence. This is my prayer to the mother in truth of thought, word and deed in all sincerity.

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    Translation

    The regions of heaven are milch-cows. The moon is their calf. May they, with the moon as their calf, yield milk to me as food, vigour long life and riches Svaha.

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    Translation

    These quarters of Space are like the cows and the moon like their calf. Let these quarters with their calf, the moon yield grain etc. etc.

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    Translation

    The quarters are the Cows, their calf is the Moon. May they (Cows) yield with their calf the Moon, food, strength, my nice resolve, noble life, off-spring, plenty and wealth. This is our excellent prayer, that Moon shines in the quarters and grants us long life, strength, and peace of mind.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ८−(दुहाम्) दुहताम् प्रपूरयन्तु। अन्यत् पूर्ववत्। म– २, ७ ॥

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