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अथर्ववेद के काण्ड - 5 के सूक्त 31 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 31/ मन्त्र 4
    ऋषिः - शुक्रः देवता - कृत्याप्रतिहरणम् छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - कृत्यापरिहरण सूक्त
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    यां ते॑ च॒क्रुर॑मू॒लायां॑ वल॒गं वा॑ नरा॒च्याम्। क्षेत्रे॑ ते कृ॒त्यां यां च॒क्रुः पुनः॒ प्रति॑ हरामि॒ ताम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    याम् । ते॒ । च॒क्रु: । अ॒मू॒लाया॑म् । व॒ल॒गम् । वा॒ । न॒रा॒च्याम् । क्षेत्रे॑ । ते॒ । कृ॒त्याम् । याम् । च॒क्रु: । पुन॑: । प्रति॑ । ह॒रा॒मि॒ । ताम् ॥३१.४ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यां ते चक्रुरमूलायां वलगं वा नराच्याम्। क्षेत्रे ते कृत्यां यां चक्रुः पुनः प्रति हरामि ताम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    याम् । ते । चक्रु: । अमूलायाम् । वलगम् । वा । नराच्याम् । क्षेत्रे । ते । कृत्याम् । याम् । चक्रु: । पुन: । प्रति । हरामि । ताम् ॥३१.४ ॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 5; सूक्त » 31; मन्त्र » 4
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    राजा के धर्म का उपदेश।

    पदार्थ

    (याम्) जिस [हिंसा] को (बलगम्) गुप्त कर्म से (ते) तेरे (अमूलायाम्) प्राप्ति योग्य (वा) अथवा (नराच्याम्) मनुष्यों से सत्कार योग्य [ओषधि] में (चक्रुः) उन्होंने किया है। अथवा (याम्) जिस (कृत्याम्) हिंसा को (ते) तेरे (क्षेत्रे) ऐश्वर्य के हेतु खेत में... म० १ ॥४॥

    भावार्थ

    राजा प्रबन्ध करे कि औषधि आदि पदार्थ दूषित न होवें ॥४॥

    टिप्पणी

    ४−(अमूलायाम्) खर्जिपिञ्चादिभ्य ऊरोलचौ। उ० ४।९०। इति अम गतौ भोजने−ऊलच्, टाप्। प्रापणीयायाम् (वलगम्) मुदिग्रोर्गग्गौ। उ० १।१२८। इति वल संवरणे−ग प्रत्ययः, अकारागमः, तृतीयास्थाने प्रथमा। संवरणेन। आच्छादनेन (वा) (नराच्याम्) नर+अञ्चु गतिपूजनयोः−क्विन्, ङीप्। नरैः पूजनीयायाम् ओषध्याम् (क्षेत्रे) ऐश्वर्यहेतौ शस्याद्युत्पत्तिस्थाने। अन्यद् गतम् ॥

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    विषय

    अमूला, नराची,

    पदार्थ

    १. (याम्) = जिस कृत्या को (ते) = वे (अमूलायाम्) = अग्नि-शिखा नामक ओषधि में (चक्रुः) = करते हैं (वा) = या (वलगम्) = [वल संवरणे] संवृतरूप में-छिपे रूप में (नराच्याम्) = नराची नामक औषधि में करते हैं, (या कृत्याम्) = जिस हिंसन-कार्य को (ते) = वे (क्षेत्रे चक्रुः) = खेत के विषय में करते हैं, अर्थात् खेत को नष्ट करने के लिए यत्नशील होते हैं, (ताम्) = उस हिंसन-कार्य को पुन: (प्रतिहरामि) = फिर वापस उन्हें ही प्राप्त कराता हूँ।

    भावार्थ

    राष्ट्र में ओषधि-विशेषों व अन्नोत्पत्ति स्थानभूत क्षेत्रों की रक्षा की व्यवस्था नितान्त आवश्यक है।

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    भाषार्थ

    [हे राष्ट्रपति !] (ते) तेरी (अमूलायाम् ) अल्प मूल्यवाली सम्पत्ति१ में (याम्) जिस हिंस्रक्रिया को (चक्रु:) शत्रुओं ने किया है, (वा) अथवा (नराच्याम्) नरों द्वारा आचित अर्थात् भरी हुई नगरी में (बलगम् ) वलयाकार में गति करनेवाले विस्फोटक को [गाड़ा है, निचख्नुः, मन्त्र ८]। (ते) तेरे (क्षेत्रे) खेत में (याम् कृत्याम् ) जिस हिंस्रक्रिया को (चक्रुः) किया है, (ताम् ) उस प्रकार की हिंस्रक्रिया को (पुनः) फिर (प्रति ) प्रतिक्रिया रूप मैं (हरामि) शत्रु के प्रति मैं सम्राट् ले-जाता हूँ [पहुँचाता या वापस करता हूँ।]

    टिप्पणी

    [वलगम् =वलयाकार में गति करनेवाला विस्फोटक। यह गोलाकार में घूम-घूमकर सब ओर आग लगाकर विध्वंसन देता है। अमलायाम्, देखो मूलिनम् (मन्त्र १२)। वलगम्= वलय + गम् ।] [१. जो सम्पत्ति मूल रूप नहीं, उत्पादक नहीं जोकि मूलभूत सम्पत्ति के आश्रित है।]

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    विषय

    गुप्त हिंसा के प्रयोग करने वालों का दमन।

    भावार्थ

    (ते) वे लोग (यां) जिस हिंसा और (वलगम) गुप्त पाप को (अमूलायां नराच्यां वा) असूला और नराची नामक ओषधि के आधार पर (चक्रुः) करते हैं और (यां कृत्यां) जिस करतूत को (ते) वे (क्षेत्रे) खेत में करते हैं, वही दुःखदायी दण्ड मैं पुनः उन को दूं। अमूरा और नराची दोनों विषैली ओषधि हैं। लोग खेत में हत्या और गड्ढे आदि द्वारा धोखाबाजी से परघात किया करते हैं।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    शुक्र ऋषिः। कृत्यादूषणं देवता। १-१० अनुष्टुभः। ११ बुहती गर्भा। १२ पथ्याबृहती। द्वादशर्चं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Refutation of Evil

    Meaning

    Whatever they have done to the amula and narachi herbs in secret, or whatever mischief they have done to the field, all that I counter and return to the

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    Translation

    What fatal contrivance they have put for you in a rootless herb (amulayam) a hidden contrivance in naraci (a plant), and what they have put in your field, that I hereby take away and send it back again.

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    Translation

    I send back on them their harmful artificial device which they sacretly use in Amula herb and which they use in Narachi and which they fix in the field.

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    Translation

    The mischief and the secret sin, they commit upon the medicinal plants Anula or Narachi, to render them ineffective, or upon thy field, the same doI remove.

    Footnote

    Amula: the Methonicasuperba; a species of lily. Narachi: an unidentified plant.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ४−(अमूलायाम्) खर्जिपिञ्चादिभ्य ऊरोलचौ। उ० ४।९०। इति अम गतौ भोजने−ऊलच्, टाप्। प्रापणीयायाम् (वलगम्) मुदिग्रोर्गग्गौ। उ० १।१२८। इति वल संवरणे−ग प्रत्ययः, अकारागमः, तृतीयास्थाने प्रथमा। संवरणेन। आच्छादनेन (वा) (नराच्याम्) नर+अञ्चु गतिपूजनयोः−क्विन्, ङीप्। नरैः पूजनीयायाम् ओषध्याम् (क्षेत्रे) ऐश्वर्यहेतौ शस्याद्युत्पत्तिस्थाने। अन्यद् गतम् ॥

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