Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 10 के सूक्त 1 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 1/ मन्त्र 28
    ऋषिः - प्रत्यङ्गिरसः देवता - कृत्यादूषणम् छन्दः - त्रिपदा गायत्री सूक्तम् - कृत्यादूषण सूक्त
    0

    ए॒तद्धि शृ॒णु मे॒ वचोऽथे॑हि॒ यत॑ ए॒यथ॑। यस्त्वा॑ च॒कार॒ तं प्रति॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ए॒तत् । हि । शृ॒णु । मे॒ । वच॑: । अथ॑ । इ॒हि॒ । यत॑: । आ॒ऽइ॒यथ॑ । य: । त्वा॒ । च॒कार॑ । तम् । प्रति॑ ॥१.२८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    एतद्धि शृणु मे वचोऽथेहि यत एयथ। यस्त्वा चकार तं प्रति ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    एतत् । हि । शृणु । मे । वच: । अथ । इहि । यत: । आऽइयथ । य: । त्वा । चकार । तम् । प्रति ॥१.२८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 10; सूक्त » 1; मन्त्र » 28
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    राजा के कर्तव्य दण्ड का उपदेश।

    पदार्थ

    (मे) मेरे (एनत्) इस [निर्णयसूचक] (वचः) वचन को (हि) अवश्य (शृणु) सुन, (अथ) फिर (इहि) जा, (यतः) जहाँ से (एयथ) तू आयी है। (यः) जिसने (त्वा) तुझे (चकार) बनाया है (तम् प्रति) उसके पास [जा] ॥२८॥

    भावार्थ

    राजा निर्णयपूर्वक अपराधी को दोष बताकर दोष के अनुसार दण्ड देवे ॥२८॥

    टिप्पणी

    २८−(एतत्) इदं निर्णयसूचकम् (हि) अवश्यम् (शृणु) (मे) मम (वचः) वचनम् (अथ) तदा (इहि) गच्छ (यतः) यस्मात् स्थानात् (एयथ) आङ्+इण् गतौ-लिट्। एयेथ। आगतवती त्वम् (यः त्वा, चकार, तम् प्रति) ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    यः त्वा चकार, तं प्रति

    पदार्थ

    हे कृत्ये! हिंसनक्रिये! (मे एतत् वच:) = मेरे इस वचन को (शृणु हि) = निश्चय से सुन ही। (अथ इहि) = और अब वहाँ ही जा (यत: आइयथ) = जहाँ सेतू आई है। (यः त्वा चकार) = जो तुझे करता है, (तं प्रति) = उसी के प्रति तू जा।

    भावार्थ

    हम कभी भी पहले आक्रमण न करें, परन्तु शत्रुकृत् हिंसा को उसी के प्रति लौटाएँ।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    [हे शत्रुसेना !] (एतद्) इस (मे) मेरे (वचः) वचन को (हि) निश्चय से (श्रृणु) तू सुन, (अथ) और (इहि) चली जा (यतः) जहां से (एयथ) तू आई है, (तम् प्रति) उस की ओर [चली जा] (यः) जिसने (त्वा) तेरी (चकार) रचना की है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Countering Evil Designs

    Meaning

    O sin and violence in intention and action, better listen to this word of mine and go, go off from here to where you come from. Go to him that conceived, created and sent you hither.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Listen carefully to what I say. Now go whee you ħave come from; to him,. who has made you.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Let this device hear of my word and let it return back whence it has come or let it go to him who has fashioned it.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    O violent deed! hearken to this my word; then go thither away whence thou hast come, to him who designed thee go thou back.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २८−(एतत्) इदं निर्णयसूचकम् (हि) अवश्यम् (शृणु) (मे) मम (वचः) वचनम् (अथ) तदा (इहि) गच्छ (यतः) यस्मात् स्थानात् (एयथ) आङ्+इण् गतौ-लिट्। एयेथ। आगतवती त्वम् (यः त्वा, चकार, तम् प्रति) ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top