अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 27/ मन्त्र 14
ऋषिः - भृग्वङ्गिराः
देवता - त्रिवृत्
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - सुरक्षा सूक्त
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अ॑सप॒त्नं पु॒रस्ता॑त्प॒श्चान्नो॒ अभ॑यं कृतम्। स॑वि॒ता मा॑ दक्षिण॒त उ॑त्त॒रान्मा॑ शची॒पतिः॑ ॥
स्वर सहित पद पाठअ॒स॒प॒त्नम्। पु॒रस्ता॑त्। प॒श्चात्। नः॒। अभ॑यम्। कृ॒त॒म्। स॒वि॒ता। मा॒। द॒क्षि॒ण॒तः। उ॒त्त॒रात्। मा॒। शची॒ऽपतिः॑ ॥२७.१४॥
स्वर रहित मन्त्र
असपत्नं पुरस्तात्पश्चान्नो अभयं कृतम्। सविता मा दक्षिणत उत्तरान्मा शचीपतिः ॥
स्वर रहित पद पाठअसपत्नम्। पुरस्तात्। पश्चात्। नः। अभयम्। कृतम्। सविता। मा। दक्षिणतः। उत्तरात्। मा। शचीऽपतिः ॥२७.१४॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
आशीर्वाद देने का उपदेश।
पदार्थ
(नः) हमारे लिये (मा) मुझको (पुरस्तात्) सामने से [वा पूर्व दिशा से], (पश्चात्) पीछे से [वा पश्चिम से], (दक्षिणतः) दाहिनी ओर [वा दक्खिन] से और (मा) मुझको (उत्तरात्) बाईं ओर से [वा उत्तर से] (सविता) सर्वप्रेरक राजा और (शचीपतिः) वाणियों वा कर्मों का पालनेवाला [मन्त्री] तुम दोनों (असपत्नम्) शत्रुरहित और (अभयम्) निर्भय (कृतम्) करो ॥१४॥
भावार्थ
जहाँ पर राजा और मन्त्री, अपनी वाणी और कर्म में पक्के होते हैं, उस राज्य में प्रजागण शत्रुओं से सुरक्षित रहते हैं ॥१४॥
टिप्पणी
यह मन्त्र पहिले आ चुका है अथ०१९।१६।१॥१४−अयं मन्त्रो व्याख्यातः-अ०१९।१९।१॥
विषय
असपत्नम्-अभयम, अघ्न्या, जातवेदाः
पदार्थ
१. व्याख्या १९.१६.१-२ पर द्रष्टव्य है। EOLSEPयह अध्या [अहन्तव्या] वेदवाणी का स्वाध्याय करनेवाला व्यक्ति 'ब्रह्मा' बनता है। इसी के अगले तीन सूक्त हैं
भाषार्थ
१४, १५– अथर्व० १९.१६.१-२ में।
इंग्लिश (4)
Subject
Protection
Meaning
May Savita, inspirer of life, and Shachipati, master of power and noble action, make us free from fear and enemies from the east and from the west. May they render us free from fear and enemies from the south and from the north.
Translation
Freedom from rivals in front, behind us (is) fearlessness made; Savita (protect) me on the south, the Lord of Sachi (protect) me on the north. (See also Av. XIX.16.1)
Translation
Let our front or east be free from foes let my. Behind side be done dangerless.
Translation
Let there be freedom from enemies for us from the front side, and freedom from fear from behind. Let the creative and stirring king protect me from the south or the right side. Let the commander of the powerful army guard me from the north or the left side.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
यह मन्त्र पहिले आ चुका है अथ०१९।१६।१॥१४−अयं मन्त्रो व्याख्यातः-अ०१९।१९।१॥
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