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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 131

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 131/ मन्त्र 4
    सूक्त - देवता - प्रजापतिर्वरुणो वा छन्दः - प्राजापत्या गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त

    श॒तं वा॒ भार॑ती॒ शवः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    श॒तम् । वा॒ । भार॑ती॒ । शव॑: ॥१३१.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    शतं वा भारती शवः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    शतम् । वा । भारती । शव: ॥१३१.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 131; मन्त्र » 4

    भाषार्थ -
    (বা) তথা (শতং ভারতী শবঃ) ভরণ-পোষণকারী জগন্মাতার শত শক্তি [তস্য অনু যান্তি] তাঁর পেছন-পেছন চলে/অনুগমন করে।

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