अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 1/ मन्त्र 9
ऋषिः - प्रजापति
देवता - आसुरी पङ्क्ति
छन्दः - अथर्वा
सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त
3
इन्द्र॑स्य वइन्द्रि॒येणा॒भि षि॑ञ्चेत् ॥
स्वर सहित पद पाठइन्द्र॑स्य । व॒: । इ॒न्द्रि॒येण॑ । अ॒भि । सि॒ञ्चे॒त् ॥१.९॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्रस्य वइन्द्रियेणाभि षिञ्चेत् ॥
स्वर रहित पद पाठइन्द्रस्य । व: । इन्द्रियेण । अभि । सिञ्चेत् ॥१.९॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
दुःख से छूटने का उपदेश।
पदार्थ
वह [परमात्मा] (वः)तुम को (इन्द्रस्य) बड़े ऐश्वर्यवान् पुरुष के [योग्य] (इन्द्रियेण) बड़ेऐश्वर्य से (अभि षिञ्चेत्) अभिषेकयुक्त [राज्य का अधिकारी] करे ॥९॥
भावार्थ
विद्वान् लोग उसजगदीश्वर को सर्वव्यापक और सर्वबलदायक समझकर बड़े महात्माओं के समान अधिकारी बनकर संसार में बड़े-बड़े काम करें ॥८, ९॥
टिप्पणी
९−(इन्द्रस्य) परमैश्वर्यवतःपुरुषस्य (वः) (युष्मान्) (इन्द्रियेण) परमैश्वर्येण (अभि षिञ्चेत्) अभिषेकयुक्तान्राज्याधिकारिणः कुर्यात् ॥
विषय
इन्द्र का इन्द्रिय से अभिषेचेन
पदार्थ
१. उल्लिखित मन्त्र के अनुसार कामाग्नि का शमन (व:) = तुम्हें (इन्द्रस्य) = एक जितेन्द्रिय पुरुष के (इन्द्रियेण) = वीर्य व बल से (अभिषिञ्चेत्) = सित करे। कामाग्नि के शमन से शरीर में शक्ति सुरक्षित रहती है। यह शक्ति प्रत्येक इन्द्रिय को उस-उस सामर्थ्य से सम्पन्न करती है।
भावार्थ
हम कामानि को शान्त करके वीर्यरक्षण द्वारा इन्द्रियों को शक्ति-सम्पन्न बनाएँ।
भाषार्थ
(इन्द्रस्य च) आत्मा१ की (इन्द्रियेण) आत्म शक्ति द्वारा (अभि षिञ्चेत) आत्मोद्धारक सींचे।
टिप्पणी
[कामाग्नि को, आत्मशक्ति द्वारा सींचने पर, यह अशुभ अग्नि शान्त होती है, जैसे कि जल द्वारा सींचने पर प्राकृतिक अग्नि शान्त हो जाती है।]
विषय
पापशोधन।
भावार्थ
हे पुरुषो ! (वः) आप लोगों में से (इन्द्रस्य) इन्द्र, ऐश्वर्यवान् पुरुष का ही (इन्द्रियेण) राजा के ऐश्वर्य, मान प्रतिष्ठा से (अभिषिञ्चत्) अभिषेक किया जाय।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
प्रजापतिर्देवता। १, ३ साम्नी बृहत्यौ, २, १० याजुपीत्रिष्टुभौ, ४ आसुरी गायत्री, ५, ८ साम्नीपंक्त्यौ, (५ द्विपदा) ६ साम्नी अनुष्टुप्, ७ निचृद्विराड् गायत्री, ६ आसुरी पंक्तिः, ११ साम्नीउष्णिक्, १२, १३, आर्च्यनुष्टुभौ त्रयोदशर्चं प्रथमं पर्यायसूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Vratya-Prajapati daivatam
Meaning
That fire, let the flood of divine waters of the ‘cloud’ in the soul and in the power of the senses and mind sprinkle and consecrate into peace.
Translation
Let him anoint you with the strength of the resplendent Lord.
Translation
May be ointed with the power of Indra, the mighty one.
Translation
May He anoint you with the mighty power of a ruler.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
९−(इन्द्रस्य) परमैश्वर्यवतःपुरुषस्य (वः) (युष्मान्) (इन्द्रियेण) परमैश्वर्येण (अभि षिञ्चेत्) अभिषेकयुक्तान्राज्याधिकारिणः कुर्यात् ॥
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