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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 128 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 128/ मन्त्र 11
    ऋषिः - देवता - प्रजापतिरिन्द्रो वा छन्दः - विराडार्ष्यनुष्टुप् सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
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    वा॑वा॒ता च॒ महि॑षी स्व॒स्त्या च यु॒धिंग॒मः। श्वा॒शुर॑श्चाया॒मी तो॒ता कल्पे॑षु सं॒मिता॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वा॒वा॒ता । च॒ । महि॑षी । स्व॒स्त्या । च । युधिंगम: ॥ श्वा॒शुर॑: । च । अया॒मी । तो॒ता । कल्पे॑षु । सं॒मिता ॥१२८.११॥


    स्वर रहित मन्त्र

    वावाता च महिषी स्वस्त्या च युधिंगमः। श्वाशुरश्चायामी तोता कल्पेषु संमिता ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    वावाता । च । महिषी । स्वस्त्या । च । युधिंगम: ॥ श्वाशुर: । च । अयामी । तोता । कल्पेषु । संमिता ॥१२८.११॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 128; मन्त्र » 11
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    मनुष्य के कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (च) जैसे (वावाता) अति शीघ्रकारिणी (महिषी) पूजनीया पत्नी, [वैसे ही] (स्वस्त्या) सुख के साथ [धर्म समझकर] (युधिंगमः) युद्ध में जानेवाला (च च) और (श्वाशुरः) बड़ा वेगशील (आयामी) शासन करनेवाला [सुखदायी है], (तोता) यह-यह कर्म (कल्पेषु) शास्त्रविधानों में (संमिता) प्रमाणित है ॥११॥

    भावार्थ

    कर्तव्य में दक्षा स्त्री, हर्ष के साथ युद्ध को जानेवाला शूर और शीघ्र स्वभाववाला राजा सुखदायी है ॥११॥

    टिप्पणी

    ११−(वावाता) हसिमृग्रिण्वामिदमि०। उ० ३।८६। वा गतिगन्धनयोः यङि तन् प्रत्ययः, टाप्। भृशं शीघ्रकारिणी (च) (महिषी) म० १०। पूजनीया पत्नी (स्वस्त्या) सुखेन। धर्मभावेन (च) (युधिंगमः) म० १०। युधौ युद्धे गमनशीलः शूरः (श्वाशुरः) म० १०। सु+आशुरः। सुष्ठु वेगवान् (च) (आयामी) म० १०। शासकः। अन्यद् गतम् ॥

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    विषय

    स्वस्त्या च युधिंगमः

    पदार्थ

    १. (वावाता च) = [वा गतिगन्धनयोः] उत्तम पुण्य सुगन्ध-[सम्बन्ध]-युक्त-सुखपूर्वक पति के साथ संगत (महिषी) = कुलीन स्त्री जैसे आदरणीय होती है, (च) = उसी प्रकार (च) = उसी प्रकार स्वस्त्या स्वस्थ कल्याणयुक्त होता हुआ (युधिंगमः) = युद्ध में जानेवाला वीर आदरणीय होता है। २. (शु आसुर:) = शीघ्रता से [शु] मार्ग को व्यापनेवाला-कार्यों को करनेवाला, (आयामी च) = शासक भी उसी प्रकार आदरणीय होता है। (ता उता ता) = वे सब और निश्चय से वे सब (कल्पेषु) = शास्त्र विधानों में (संमिता) = समान माने गये हैं।

    भावार्थ

    पतिसंगत कुलीन स्त्री, युद्ध में वीरतापूर्वक अग्रसर होनेवाला स्वस्थ योद्धा तथा शीघ्रता से कार्यों में व्याप्त होनेवाला शासक-ये सब शास्त्र-विधानों में समानरूप से आदरणीय माने गये हैं।

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    भाषार्थ

    (च) और (वावाता) वायु की तरह सक्रिय (महिषी) महागुणवती स्त्री, (च) और (स्वस्त्या) देश के कल्याण की भावना से (युधिंगमः) युद्ध में जानेवाला योद्धा, (च) और (श्वाशुरः) शीघ्रता से कार्यों को करनेवाला (अयामी) अदीर्घसूत्री अर्थात् कार्यों से उपराम न लेने वाला भृत्य, (ता उ ता) ये सब (कल्पेषु) कल्प-कल्पान्तरों में एक समान माने गये हैं अर्थात् उपादेय हैं।

    टिप्पणी

    [महिषी=मन्त्र १० में दुराचारिणी। An immoral women (आप्टे)। ११ में महिषी=महागुणवती स्त्री। श्वाशुरः=शु (शीघ्र)+आशु (शीघ्र)+र; अर्थात् अतिशीघ्र कार्य करनेवाला। अयामी=अ+यम् (उपरमे)। उपरम=आराम, कार्य-विमुखता।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Indra Prajapati

    Meaning

    A great woman, a queen, active loved and favoured, a healthy warrior keen for battle, a swift horse and a smart servant, all these are believed to be equally worthy in society for social purposes.

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    Translation

    The favourite wife most dearly loved, the man who safely goes to war, the steed having good speed and the man under control are treated to be of equal rank and utility in good dealings.

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    Translation

    The favorite wife most dearly loved, the man who safely goes to war, the steed having good speed and the man under control are treated to be of equal rank and utility in good dealings.

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    Translation

    O fortunate, powerful and chief leader, thou bendest low the jealous enemy, who has spread his tentacles far and wide like a tree. Thou completely rootest out the deep-root foe and thoroughly shatterest the head of thy adversary who tries to overwhelm thee like a cloud.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ११−(वावाता) हसिमृग्रिण्वामिदमि०। उ० ३।८६। वा गतिगन्धनयोः यङि तन् प्रत्ययः, टाप्। भृशं शीघ्रकारिणी (च) (महिषी) म० १०। पूजनीया पत्नी (स्वस्त्या) सुखेन। धर्मभावेन (च) (युधिंगमः) म० १०। युधौ युद्धे गमनशीलः शूरः (श्वाशुरः) म० १०। सु+आशुरः। सुष्ठु वेगवान् (च) (आयामी) म० १०। शासकः। अन्यद् गतम् ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    মনুষ্যকর্তব্যোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (চ) যেমন (বাবাতা) অতি শীঘ্রকারিণী (মহিষী) পূজনীয়া পত্নী, [তেমনই] (স্বস্ত্যা) সুখপূর্বক [ধর্ম বুঝে] (যুধিঙ্গমঃ) যুদ্ধে গমনকারী (চ চ) এবং (শ্বাশুরঃ) অতি বেগবান (আয়ামী) শাসন কর্তা [সুখদায়ী হয়], (তোতা) এই-এই কর্ম (কল্পেষু) শাস্ত্রীয় বিধান দ্বারা (সংমিতা) প্রমাণিত॥১১॥

    भावार्थ

    কর্তব্যে দক্ষা স্ত্রী, আনন্দের সাথে যুদ্ধে গমনকারী বীর এবং শীঘ্র স্বভাবযুক্ত রাজা সুখদায়ী হয় ॥১১॥

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    भाषार्थ

    (চ) এবং (বাবাতা) বায়ুর সমান সক্রিয় (মহিষী) মহাগুণবতী স্ত্রী, (চ) এবং (স্বস্ত্যা) দেশের কল্যাণ ভাবনা কামনা করে (যুধিঙ্গমঃ) যুদ্ধে গমনকারী যোদ্ধা, (চ) এবং (শ্বাশুরঃ) শীঘ্রতাপূর্বক কার্যকর্তা (অয়ামী) অদীর্ঘসূত্রী অর্থাৎ কার্য থেকে উপরাম/বিশ্রাম না নেওয়া ভৃত্য, (তা উ তা) এঁরা সবাই (কল্পেষু) কল্প-কল্পান্তরে এক সমান মান্য হয়েছে—অর্থাৎ উপাদেয়।

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