अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 14/ मन्त्र 6
ऋषिः - शुक्रः
देवता - कृत्यापरिहरणम्
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - कृत्यापरिहरण सूक्त
1
यदि॒ स्त्री यदि॑ वा॒ पुमा॑न्कृ॒त्यां च॒कार॑ पा॒प्मने॑। तामु॒ तस्मै॑ नयाम॒स्यश्व॑मिवाश्वाभि॒धान्या॑ ॥
स्वर सहित पद पाठयदि॑ । स्त्री । यदि॑ । वा॒ । पुमा॑न् । कृ॒त्याम् । च॒कार॑ । पा॒प्मने॑ । ताम् । ऊं॒ इति॑ । तस्मै॑ । न॒या॒म॒सि॒ । अश्व॑म्ऽइव । अ॒श्व॒ऽअ॒भि॒धान्या॑ ॥१४.६॥
स्वर रहित मन्त्र
यदि स्त्री यदि वा पुमान्कृत्यां चकार पाप्मने। तामु तस्मै नयामस्यश्वमिवाश्वाभिधान्या ॥
स्वर रहित पद पाठयदि । स्त्री । यदि । वा । पुमान् । कृत्याम् । चकार । पाप्मने । ताम् । ऊं इति । तस्मै । नयामसि । अश्वम्ऽइव । अश्वऽअभिधान्या ॥१४.६॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
शत्रु के विनाश का उपदेश।
पदार्थ
(यदि) चाहे (स्त्री) स्त्री ने (यदि वा) अथवा (पुमान्) पुरुष ने जो (कृत्याम्) हिंसा (पाप्मने) पाप करने के लिये (चकार) की है। (तत्) उसको (उ) निश्चय करके (तस्मै) उसी पुरुष के लिये (नयामसि) हम लिये चलते हैं, (इव) जैसे (अश्वम्) घोड़े को (अश्वाभिधान्या) घोड़े बाँधने की रस्सी से ॥६॥
भावार्थ
मनुष्य दुष्ट स्त्री पुरुषों को यथावत् दण्ड देवें ॥६॥
टिप्पणी
६−(यदि) पक्षान्तरे (स्त्री) (यदि वा) अथवा (पुमान्) अ० १।८।१। पा रक्षणे डुमसुन्। पुरुषः (कृत्याम्) हिंसाम् (चकार) कृतवान् (पाप्मने) पा रक्षणे−मनिन् पुक् च। पापकरणाय (ताम्) कृत्याम् (उ) अवश्यम् (तस्मै) जनाय (नयामसि) गमयामः (अश्वम्) तुरङ्गम् (अश्वाभिधान्या) अभि+धा−ल्युट् ङीप्। अश्वबन्धनरज्ज्वा ॥
विषय
अश्वम् इव अश्वाभिधान्या
पदार्थ
१. (यदि) = यदि (स्त्री) = कोई स्त्री (यदि वा) = अथवा (पुमान्) = पुरुष (पाप्मने) = पाप के लिए-अशुभ के लिए (कृत्यां चकार) = हिंसक प्रयोग करता है तो (ताम्) = उस हिंसक प्रयोग को (उ) = निश्चय से (तस्मै नयामसि) = उस कृत्याकृत के लिए ही प्राप्त कराते है, उसी प्रकार (इव) = जैसेकि (अश्वाभिधान्या) = घोड़े को बाँधनेवाली रज से (अश्वम्) = अश्व को पुनः उसके स्थान पर पहुँचाया जाता है। २. हम कृत्याकृत् से किसी प्रकार का बदला लेने की भावना से कोई कार्य न करें। कृत्या को कृत्याकृत के सामने इसलिए उपस्थित करें, जिससे कि वह उसकी अकरणीयता को समझ ले।
भावार्थ
कृत्या करनेवाला चाहे स्त्री हो या पुरुष, इस कृत्या को पुन: उसी के पास पहुँचाया जाए।
भाषार्थ
[राजपदाधिष्ठात्री] (यदि स्त्री) यदि स्त्री ने, (यदि वा) अथवा (पुमान्) पुरुष [राजा] ने, (पाप्मने) पापकर्म के लिए [परराज्य के राजा की हत्या के लिए], (कृत्याम् चकार) हिंस्रसेना का संग्रह किया है, तो (ताम् उ) उस सेना को (तस्मै) उसी [राणी या राजा के लिए ही] (नयामसि) हम ले-जाते हैं, पहुँचा देते हैं, (इव ) जैसेकि (अश्वम्) अश्व को (अश्चाभिधान्या) अश्व के बाँधने की रस्सी द्वारा अश्व के स्वामी को पहुँचा दिया जाता है।
टिप्पणी
[वेदिक युद्ध-नीति की उत्तमता का प्रदर्शन मन्त्र में हुआ है । शत्रु-राजा ने यद्यपि निज सेना को परराज्य के राजा की हत्या के लिए भेजा है, तो भी शक्तिशाली वैदिक राजा, उस सेना का विनाश नहीं करता अपितु उसे बांधकर उसके राजा के प्रति सुपुर्द कर देता है।]
विषय
दुष्टों के विनाश के उपाय।
भावार्थ
न्यायपूर्वक स्त्री पुरुष दोनों को दण्ड देना चाहिये। (यदि) चाहे (स्त्री) स्त्री हो (यदि वा पुमान्) चाहे पुरुष हो यदि वह (पाप्मने) पाप के भाव से (कृत्यां चकार) दूसरे की हत्या या षड्यन्त्र करता है, (तस्मै ताम् उ) तो उस पर उसी प्रकार का प्रयोग (नयामसि) दण्ड रूप में हम प्रयोग करें तब जिस प्रकार (अश्व-अभि-धान्या) घोड़े को बांधने की रस्सी से (अश्वम् इव) घोड़े को बांधकर काबू कर लिया जाता है उसी प्रकार वह भी काबू आ जाता है।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
शुक्र ऋषिः। वनस्पतिर्देवता। कृत्याप्रतिहरणं सूक्तम्। १, २, ४, ६, ७, ९ अनुष्टुभः। ३, ५, १२ भुरित्रः। ८ त्रिपदा विराट्। १० निचृद् बृहती। ११ त्रिपदा साम्नी त्रिष्टुप्। १३ स्वराट्। त्रयोदशर्चं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Krtyapratiharanam
Meaning
If a woman or man does the evil deed for the satisfaction of his evil mind, the same deed we lead unto the doer like a horse by the halter.
Translation
If a woman or a man has made a fatal contrivance for some evil purpose; we hereby conduct the fatal contrivance back to him like a horse with a horse-halter.
Translation
If man or if woman used device inflict harm with malignant intention I lead this infliction back to him or to her as a horse is conducted through the rope fastened in its mouth.
Translation
When a woman or a man commits violence with an intention of sin, we overpower him with a similar violence, just as we control a horse with a rope.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
६−(यदि) पक्षान्तरे (स्त्री) (यदि वा) अथवा (पुमान्) अ० १।८।१। पा रक्षणे डुमसुन्। पुरुषः (कृत्याम्) हिंसाम् (चकार) कृतवान् (पाप्मने) पा रक्षणे−मनिन् पुक् च। पापकरणाय (ताम्) कृत्याम् (उ) अवश्यम् (तस्मै) जनाय (नयामसि) गमयामः (अश्वम्) तुरङ्गम् (अश्वाभिधान्या) अभि+धा−ल्युट् ङीप्। अश्वबन्धनरज्ज्वा ॥
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