अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 129/ मन्त्र 16
बद्ध॑ वो॒ अघा॒ इति॑ ॥
स्वर सहित पद पाठबद्ध॑ । व॒: । अघा॒: । इति॑ ॥१२९.१६॥
स्वर रहित मन्त्र
बद्ध वो अघा इति ॥
स्वर रहित पद पाठबद्ध । व: । अघा: । इति ॥१२९.१६॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
मनुष्य के लिये प्रयत्न का उपदेश।
पदार्थ
(अघाः) हे पापियो ! (वः) तुह्मारा (बद्ध इति) यह [प्राणी] प्रबन्ध करनेवाला है ॥१६॥
भावार्थ
मनुष्य सावधान जितेन्द्रिय होकर पाप से बचने का उपाय करते रहें ॥१, १६॥
टिप्पणी
१६−(बद्ध) विभक्तेर्लुक्। प्रबन्धकः (वः) युष्माकम् (अघाः) अघं पापम्-अर्शआद्यच्। हे पापिनः (इति) ॥
विषय
क्रियाशीलता व व्रत-बन्धन
पदार्थ
१. (पल्प) = [पल् गतौ, पा रक्षणे] हे गति के द्वारा रक्षण करनेवाले! (बद्ध) = व्रतों के बन्धन में अपने को बाँधनेवाले जीव! तू अपना (इति) = यही लक्ष्य बना कि (वयः) = [वे तन्तुसन्ताने] मैंने अपने कर्मतन्तु को विच्छिन्न नहीं होने देना-इस कर्मतन्तु का विस्तार ही करना है। मैंने इस यज्ञ-तन्तु को जीवन में कभी विलुप्त नहीं होने देना। २. हे (अघा:) = पापो! आज तक तुम्हारे में फँसा हुआ यह (वः) = तुम्हारा व्यक्ति (बद्ध इति) = अब व्रतों के बन्धन में बँधा है, ऐसा समझ लो और अब इसे अपने वशीभूत करने की आशा छोड़ दो।
भावार्थ
हम क्रियाशील बनें, व्रतों के बन्धन में अपने को बाँधे और यज्ञ-तन्तु को विच्छिन्न न होने देने का निश्चय करें। पाप भी ये समझ लें कि अब मैं व्रतों के बन्धन में बँधा हूँ, अब वे मुझे अपने वशीभूत न कर सकेंगे।
भाषार्थ
(बद्ध) हे शरीर में बन्धे हुए! (वः) तुम सब इसलिए शरीरों में बन्धे हुए हो, चूँकि तुम (अघा इति) पापकर्मों के करनेवाले हो।
इंग्लिश (4)
Translation
O unrighteous people, He is to manage you.
Translation
O unrighteous people, He is to manage you.
Translation
Thou requirest that state of spirituality which protects the learned person.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१६−(बद्ध) विभक्तेर्लुक्। प्रबन्धकः (वः) युष्माकम् (अघाः) अघं पापम्-अर्शआद्यच्। हे पापिनः (इति) ॥
बंगाली (2)
मन्त्र विषय
মনুষ্যপ্রয়ত্নোপদেশঃ
भाषार्थ
(অঘাঃ) হে পাপী! (বঃ) তোমাদের (বদ্ধ ইতি) এই [প্রাণী] প্রবন্ধক/ব্যবস্থাপক হয়॥১৬॥
भावार्थ
মনুষ্য সচেতন জিতেন্দ্রিয় হয়ে পাপ থেকে রক্ষার উপায় করুক ॥১৫, ১৬॥
भाषार्थ
(বদ্ধ) হে শরীরে আবদ্ধ! (বঃ) তোমরা সবাই এজন্যই শরীরে আবদ্ধ, কারণ তোমরা (অঘা ইতি) পাপকর্মকারী।
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