अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 129/ मन्त्र 5
ऋषिः -
देवता - प्रजापतिः
छन्दः - प्राजापत्या गायत्री
सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
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सा॒धुं पु॒त्रं हि॑र॒ण्यय॑म् ॥
स्वर सहित पद पाठसा॒धुम् । पु॒त्रम् । हि॑र॒ण्यय॑म् ॥१२९.५॥
स्वर रहित मन्त्र
साधुं पुत्रं हिरण्ययम् ॥
स्वर रहित पद पाठसाधुम् । पुत्रम् । हिरण्ययम् ॥१२९.५॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
मनुष्य के लिये प्रयत्न का उपदेश।
पदार्थ
(साधुम्) साधु [कार्य साधनेवाले], (हिरण्ययम्) तेजोमय (पुत्रम्) पुत्र [सन्तान] को (क्व) कहाँ (आहतम्) ताडा हुआ (परास्यः) तूने दूर फेंक दिया है ॥, ६॥
भावार्थ
सृष्टि के बीच माता अपने पुरुष से प्रीति करके सन्तान उत्पन्न करके उनको कुमार्ग से बचाके तेजस्वी और सुमार्गी बनावें ॥३-६॥
टिप्पणी
−(साधुम्) कार्यसाधकम् (पुत्रम्) सन्तानम् (हिरण्ययम्) तेजोमयम् ॥
विषय
प्रभु की ओर
पदार्थ
१. अन्तर्मुखी चित्तवृत्ति (साधुम्) = [सानोति कार्याणि] कार्यसाधक-जीवन के पोषण के लिए आवश्यक धन को चाहती है। २. यह (पुत्रम्) = उस जीवात्मा को चाहती है जो [पुनाति त्रायते] अपने जीवन को पवित्र और वासनाओं के आक्रमण से रक्षित करता है। ३. (हिरण्ययम्) = यह उस ज्योतिर्मय-'रुक्माभम्' स्वर्णसम दीसिवाले प्रभु को चाहती है।
भावार्थ
मानव जीवन को दीस करनेवाली चित्तवृत्ति तीन वस्तुओं की कामना करती है [क] कार्यसाधक धन की, [ख] जीवन को पवित्र व वासनाओं से अनाक्रान्त-सुरक्षित बनानेवाले जीवात्मा की, [ग] स्वर्णसम दीस ज्योतिर्मय प्रभु की।
भाषार्थ
मैं चाहती हूँ कि (पुत्रम्) मेरा पुत्र अर्थात् जीवात्मा, (साधुम्) धर्मयुक्त कार्यों का करनेवाला, तथा (हिरण्ययम्) सुवर्ण के समान बहुमूल्य तथा सर्वप्रिय बन जाए।
टिप्पणी
[साधुः=साध्नोति धर्म्य कर्मेति (उणादि कोष, वैदिक यन्त्रालय, अजमेर)। पुत्रम्=योगदर्शन के व्यासभाष्य में श्रद्धा को—जो कि सात्विक-चित्तवृत्ति है—जननी कहा है, जो कि माता के सदृश योगी की रक्षा करती है। यथा—“श्रद्धा चेतसः सम्प्रसादः, सा हि जननीव कल्याणी योगिनं पाति” (योग १.२०)। इसलिए जीवात्मा को या अभ्यासी को सात्विक चित्तवृत्ति का पुत्र कहा है।]
इंग्लिश (4)
Subject
Prajapati
Meaning
I am in search of love and faith, a noble child of golden virtue born of divinity.
Translation
The able son refulgent with enlightenment.
Translation
The able son refulgent with enlightenment.
Translation
Those three are also very far (i.e., two difficult to realize).
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
−(साधुम्) कार्यसाधकम् (पुत्रम्) सन्तानम् (हिरण्ययम्) तेजोमयम् ॥
बंगाली (2)
मन्त्र विषय
মনুষ্যপ্রয়ত্নোপদেশঃ
भाषार्थ
(সাধুম্) সাধু [কার্য সাধনকারী], (হিরণ্যযম্) তেজোময় (পুত্রম্) পুত্রকে [সন্তানকে] (ক্ব) কোথায় (আহতম্) তাড়িত করে (পরাস্যঃ) তুমি দূরে নিক্ষেপ করেছো॥৫, ৬॥
भावार्थ
সৃষ্টির মাঝে মা নিজের পুরুষের প্রতি প্রীতিপূর্বক সন্তান উৎপন্ন করে, সেই সন্তানকে কুমার্গ থেকে রক্ষা করে তেজস্বী ও সদাচারী করুক ॥৩-৬॥
भाषार्थ
আমি চাই, (পুত্রম্) আমার পুত্র অর্থাৎ জীবাত্মা, (সাধুম্) ধর্মযুক্ত কার্যকর্তা, তথা (হিরণ্যয়ম্) সুবর্ণের সমান বহুমূল্য তথা সর্বপ্রিয় হোক।
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