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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 130

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 130/ मन्त्र 4
    सूक्त - देवता - प्रजापतिः छन्दः - याजुषी गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त

    कः का॒र्ष्ण्याः पयः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    क: । का॒र्ष्ण्या: । पय॑: ॥१३०.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कः कार्ष्ण्याः पयः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    क: । कार्ष्ण्या: । पय: ॥१३०.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 130; मन्त्र » 4

    पदार्थ -
    (कः) कौन (कार्ष्ण्याः) आकर्षणवाली, क्रिया के (पयः) अन्न को [पावे] ॥४॥

    भावार्थ - मनुष्य विवेकी, क्रियाकुशल विद्वानों से शिक्षा लेता हुआ विद्याबल से चमत्कारी, नवीन-नवीन आविष्कार करके उद्योगी होवे ॥१-६॥

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