अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 39/ मन्त्र 2
ऋषिः - भृग्वङ्गिराः
देवता - कुष्ठः
छन्दः - त्र्यवसाना पथ्यापङ्क्तिः
सूक्तम् - कुष्ठनाशन सूक्त
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त्रीणि॑ ते कुष्ठ॒ नामा॑नि नद्यमा॒रो न॒द्यारि॑षः। नद्या॒यं पुरु॑सो रिषत्। यस्मै॑ परि॒ब्रवी॑मि त्वा सा॒यंप्रा॑त॒रथो॒ दिवा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठत्रीणि॑। ते॒। कु॒ष्ठ॒। नामा॑नि। न॒द्य॒ऽमा॒रः। न॒द्यऽरि॑षः। नद्य॑। अ॒यम्। पुरु॑षः। रि॒ष॒त्। यस्मै॑। प॒रि॒ऽब्रवी॑मि। त्वा॒। सा॒यम्ऽप्रा॑तः। अथो॒ इति॑। दिवा॑ ॥३९.२॥
स्वर रहित मन्त्र
त्रीणि ते कुष्ठ नामानि नद्यमारो नद्यारिषः। नद्यायं पुरुसो रिषत्। यस्मै परिब्रवीमि त्वा सायंप्रातरथो दिवा ॥
स्वर रहित पद पाठत्रीणि। ते। कुष्ठ। नामानि। नद्यऽमारः। नद्यऽरिषः। नद्य। अयम्। पुरुषः। रिषत्। यस्मै। परिऽब्रवीमि। त्वा। सायम्ऽप्रातः। अथो इति। दिवा ॥३९.२॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
रोगनाश करने का उपदेश।
पदार्थ
(कुष्ठ) हे कुष्ठ ! [मन्त्र १] (ते) तेरे (त्रीणि) तीन (नामानि) नाम हैं−(नद्यमारः) नद्यमार [नदी में उत्पन्न रोगों का मारनेवाला], और (नद्यरिषः) नद्यरिष [नदी में उत्पन्न रोगों का हानि करनेवाला]। (नद्य) हे नद्य ! [नदी में उत्पन्न कुष्ठ] (अयम्) वह (पुरुषः) पुरुष [रोगों को] (रिषत्) मिटावे। (यस्मै) जिसको (त्वा) तुझे (सायंप्रातः) सायंकाल और प्रातःकाल (अथो) और भी (दिवा) दिन में (परिब्रवीमि) मैं बतलाऊँ ॥२॥
भावार्थ
इस औषध के तीन नाम हैं−कुष्ठ, नद्यमार और नद्यरिष। मनुष्य उसके सेवन से सब रोगों का नाश करें ॥२॥
टिप्पणी
२−(त्रीणि) (ते) तव (कुष्ठ) म०१। हे औषधविशेष (नामानि) (नद्यमारः) नदी-यत्। नद्यां भवानां रोगाणां मारकः (नद्यरिषः) नद्यां भवानां रोगाणां हन्ता (नद्य) हे नद्यां भव (अयम्) सः (पुरुषः) (रिषत्) रोगान् नाशयेत् (यस्मै) रोगिणे (परिब्रवीमि) औषधप्रयोगेण कथयामि (त्वा) कुष्ठम् (सायंप्रातः) सायं प्रातश्च (अथो) अपि च (दिवा) दिवसकाले ॥
भाषार्थ
(कुष्ठ) हे कुष्ठनामक औषध! (ते) तेरे (त्रीणि नामानि) तीन नाम हैं। १. कुष्ठ, २. (नद्यमारः) नद्यमार, ३. (नद्यारिषः) नद्यारिष। (नद्य) हे नदीप्रदेशोत्पन्न रोग! (अयं पुरुषः) यह कुष्ठौषधसेवी पुरुष (आरिषत्) तेरा पूर्ण विनाश करता है, (यस्मै) जिस पुरुष के प्रति हे कुष्ठौषध (परिब्रवीमि) मैं कहता हूं कि वह (त्वा) तेरा सेवन करे, (सायम्) सायंकाल, (प्रातः) प्रातःकाल, (अथो दिवा) और दिन के समय अर्थात् प्रतिदिन ३ तीन बार।
टिप्पणी
[कुष्ठः=कुष्णाति निरन्तरं कर्षतीति कुष्ठः, व्याधिभेदः, “कूट” इत्याख्यौषधिर्वा (उणा० २.२)। नद्यमारः= नद्यां भवः रोगः तस्य मारः मारकः। नद्यारिषः=नद्य+आ+रिष् (हिंसायाम्), नद्यां भवस्य रोगस्य रेषणकर्त्ता। नद्य=नद्यां भवः रोगः, तत्सम्बुद्धौ।]
विषय
"कुष्ठ, नद्यमारः, नद्यारिषः'
पदार्थ
१. हे कुष्ठ रोगों को बाहर निकाल फेंकनेवाले कुष्ठ! (ते) = तेरे (त्रीणि नामानि) = तीन नाम हैं। पहला नाम तो कुष्ठ है ही। दूसरा (नद्यमार:) = नदी के जलों के कारण उत्पन्न होनेवाले मलेरिया आदि रोगों को मारनेवाला तथा तीसरा (नद्यारिष:) = इन नदी-जलों के कारण उत्पन्न होनेवाले रोगों को हिंसित करनेवाला। २. हे (नद्य) = [नद्यानां मारको इति नद्यः सा०] उदकदोषोद्भव रोगों को नष्ट करनेवाले कुष्ठ। (अयं पुरुषः) = यह पुरुष तेरे प्रयोग द्वारा (रिषत:) = रोगों को हिंसित करनेवाला हो। (यस्मै) = जिस पुरुष के लिए मैं (सायंप्रातः अथ उ दिवा) = सायं-प्रातः और दिन में तीन बार (त्वा परिब्रवीमि) = तेरे प्रयोग के लिए कहता है, अर्थात् जो दिन में तीन बार तेरा प्रयोग करता है वह रोगों से हिंसित नहीं होता।
भावार्थ
कुष्ठ औषध विशेषकर जल के दोषों से उत्पन्न रोगों को दूर करनेवाला है। प्रात: सायं व दिन में इसके प्रयोग से पुरुष रोगों का हिंसन करनेवाला होता है।
इंग्लिश (4)
Subject
Cure by Kushtha
Meaning
O Kushtha, three are your descriptive names: Nadyamara, destroyer of waterborne diseases, nadyarisha, cleanser of water from pollution, and Nadya, friend of running water. Therefore, O Kushtha, the person whom I advise that he should take you thrice, morning, evening and in the day, would destroy all water borne ailments.
Translation
O kustha, three are your names-- nadya-mara and nadya sa (never killing and never harming). Let this man, for whom I prescribe you every evening, morning and also by days come to no harm.
Translation
Let this wondrous Kustha (the aromatic medicinal plant of this name) from the snowy hill protecting all be obtained Let it vanish all sort of fevers and all the sorts of pain-causing infections.
Translation
O Kushtha, three are thy names, naghmar. or nadyamar (remover of all diseases caused by impure water from the rivers (like cholera, goitre, etc.) Naghavisha or nadyavisha (having the same meaning), or nagha or nadya (of the same import). This man (the patient)’ whom I (a Physician) prescribe be used thrice, in the morning, in the evening and once during the day (i.e., at noon) may shed off the disease.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
२−(त्रीणि) (ते) तव (कुष्ठ) म०१। हे औषधविशेष (नामानि) (नद्यमारः) नदी-यत्। नद्यां भवानां रोगाणां मारकः (नद्यरिषः) नद्यां भवानां रोगाणां हन्ता (नद्य) हे नद्यां भव (अयम्) सः (पुरुषः) (रिषत्) रोगान् नाशयेत् (यस्मै) रोगिणे (परिब्रवीमि) औषधप्रयोगेण कथयामि (त्वा) कुष्ठम् (सायंप्रातः) सायं प्रातश्च (अथो) अपि च (दिवा) दिवसकाले ॥
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