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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 39 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 39/ मन्त्र 9
    ऋषिः - भृग्वङ्गिराः देवता - कुष्ठः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - कुष्ठनाशन सूक्त
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    यं त्वा॒ वेद॒ पूर्व॒ इक्ष्वा॑को॒ यं वा॑ त्वा कुष्ठ का॒म्यः। यं वा॒ वसो॒ यमात्स्य॒स्तेना॑सि वि॒श्वभे॑षजः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यम्। त्वा॒। वेद॑। पूर्वः॑। इक्ष्वा॑कः। यम्। वा॒। त्वा॒। कु॒ष्ठः॒। का॒म्यः᳡। यम्। वा॒। वसः॑। यम्। आत्स्यः॑। तेन॑। अ॒सि॒। वि॒श्वऽभे॑षजः ॥३९.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यं त्वा वेद पूर्व इक्ष्वाको यं वा त्वा कुष्ठ काम्यः। यं वा वसो यमात्स्यस्तेनासि विश्वभेषजः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यम्। त्वा। वेद। पूर्वः। इक्ष्वाकः। यम्। वा। त्वा। कुष्ठः। काम्यः। यम्। वा। वसः। यम्। आत्स्यः। तेन। असि। विश्वऽभेषजः ॥३९.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 39; मन्त्र » 9
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    रोगनाश करने का उपदेश।

    पदार्थ

    (कुष्ठ) हे कुष्ठ ! [मन्त्र १] (यम् त्वा) जिस तुझको (पूर्वः) पहिला [मुख्य] (इक्ष्वाकः) ज्ञान को प्राप्त होनेवाला, (वा) अथवा (यम् त्वा) जिस तुझको (काम्यः) कामनायुक्त, (वा) अथवा (यम्) जिसको (वसः) निवास देनेवाला, [वा] (यम्) जिसको (आत्स्यः) सब ओर को सदा चलनेवाला [पुरुष] (वेद) जानता है, (तेन) उस [कारण] से तू (विश्वभेषजः) सर्वौषध (असि) है ॥९॥

    भावार्थ

    बड़े-बड़े विद्वान्, पुरुषार्थी लोग परीक्षा करके कुष्ठ को सर्वौषध जानते हैं ॥९॥

    टिप्पणी

    ९−(यम्) (त्वा) त्वां कुष्ठम् (वेद) वेत्ति (इक्ष्वाकः) इषेः क्सुः। उ०३।१५७। इष गतौ-क्सु+अक गतौ-अण्। इक्षुं ज्ञानम् अकति गच्छति प्राप्नोतीति सः। ज्ञानप्राप्तः पुरुषः (यम्) (वा) (त्वा) (कुष्ठ) म०१। हे औषधविशेष (काम्यः) कामनायुक्तः (यम्) (वा) (वसः) वस निवासे-अच्। निवासयिता (यम्) (आत्स्यः) ऋतन्यञ्जिवन्यञ्०। उ०४।२। आङ्+अत सातत्यगमने-स्यन्-प्रत्ययः। समन्तात्सदागतिशीलः (तेन) कारणेन (असि) (विश्वभेषजः) सर्वौषधः ॥

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    भाषार्थ

    (कुष्ठ) हे उत्तम कुष्ठ! (पूर्वः) जन्मतः (इक्ष्वाकः) वाग्दर्शी वाक्शक्त्यभिलाषी (यं त्वा) जिस तुझ को (वेद) अपने रोग की ओषधिरूप जानता है; (यं वा) तथा जिस (त्वा) तुझ को (काम्यः) कामातुर व्यक्ति अपने कामरोग की ओषधिरूप जानता है; (यं वा) या जिस तुझ को (वसो) वास अर्थात् चर्बीप्रधान मोटा व्यक्ति अपने मोटापे की ओषधि रूप जानता है; (यम्) और जिस तुझ को (आत्स्यः) वातरोगी या उपक्षीण अपने रोग की ओषधिरूप जानता है, (तेन) इस कारण (विश्वभेषजः) सर्वरोगौषधरूप (असि) तू है।

    टिप्पणी

    [इक्ष्वाकः= इक्ष, ईक्ष (दर्शने)+ वाक् (वाणी), ईक्षते वाकं वाचमिति। काम्यः= कामपुत्रः (सायण), कामातुर। वसो= वसा+उ=वसाप्रधानः स्थूलः। आत्स्यः=अतस (wind, air आप्टे); अतसः=अतति निरन्तरं गच्छतीति अतसः, वायुर्वा (उणा० ३.११७), महर्षि दयानन्द। अथवा= आत्स्यः=आ+तसु (उपक्षये), क्षीणः मनुष्यः।]

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    विषय

    'ज्ञानी-ध्यानी-कर्मी'

    पदार्थ

    १. हे कुष्ठ-कुष्ठ नामक औषध ! तू वह है यम्-जिस त्वा-तुझको पूर्व: अपना पालन व पूरण करनेवाला इक्ष्वाक:-[इक्षु ज्ञानं अकति] ज्ञान की ओर गतिवाला-ज्ञानरुचि पुरुष वेद-जानता है या प्राप्त करता है। हे कुष्ठ । वा-अथवा यं त्वा-जिस तुझको काम्य:-प्रभु-प्राप्ति की कामनावाला उत्तम पुरुष प्राप्त करता है। २. वा-अथवा यम्-जिस तुझको वस: अपने निवास को उत्तम बनानेवाला पुरुष प्राप्त करता है, यम्-जिसको आत्स्यः -[अत् गमने, षोऽन्तकर्मणि] निरन्तर गति द्वारा बुराइयों का विध्वंस करनेवाला पुरुष प्राप्त करता है। तेन-उससे तू विश्वभेषजः असि-सब रोगों का औषध है।

    भावार्थ

    हे कुष्ठ ! तेरै प्रयोग से ज्ञानी, प्रभु-प्राप्ति की कामनावाले, अपने निवास को उत्तम बनानेवाले व निरन्तर गति द्वारा पवित्रता का सम्पादन करनेवाले सभी लाभान्वित होते हैं।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Cure by Kushtha

    Meaning

    O Kushtha, whom the first lover of Divinity in the medium of language knew and realised, or whom the lover and seeker of divine panacea sought and found, and whom Vasa, brilliant scientist sought and practically realised, or whom the versatile wandering pioneer discovered, for all these reasons you are the universal cure of sickness, disease and depressive alienation.

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    Translation

    You, O kustha, whom the sugar-cane eater knew previously, or whom the sensual one know, or whom the one of sedentary habits or whom the gourmand knew, so you are à panacea (all-cure-remedy).

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    Translation

    Where is not any kind of snow-melting and where is the summit of snowy hill is there found the spring of vitality immortal. This Kustha is produced from there. This Kustha is the healing medicine of multifarious diseases. This stands by the Soma group of the herbs. Let it dispel away all the fevers and all the infections thereof.

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    Translation

    O kushtha, thou art the all-round physician, whom already know the Ikshwaka, a bird of high speed, the crows, the matsya-named bird, desirous of making use of thee.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ९−(यम्) (त्वा) त्वां कुष्ठम् (वेद) वेत्ति (इक्ष्वाकः) इषेः क्सुः। उ०३।१५७। इष गतौ-क्सु+अक गतौ-अण्। इक्षुं ज्ञानम् अकति गच्छति प्राप्नोतीति सः। ज्ञानप्राप्तः पुरुषः (यम्) (वा) (त्वा) (कुष्ठ) म०१। हे औषधविशेष (काम्यः) कामनायुक्तः (यम्) (वा) (वसः) वस निवासे-अच्। निवासयिता (यम्) (आत्स्यः) ऋतन्यञ्जिवन्यञ्०। उ०४।२। आङ्+अत सातत्यगमने-स्यन्-प्रत्ययः। समन्तात्सदागतिशीलः (तेन) कारणेन (असि) (विश्वभेषजः) सर्वौषधः ॥

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