अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 5/ मन्त्र 44
ऋषिः - सिन्धुद्वीपः
देवता - प्रजापतिः
छन्दः - त्रिपदा गायत्रीगर्भानुष्टुप्
सूक्तम् - विजय प्राप्ति सूक्त
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राज्ञो॒ वरु॑णस्य ब॒न्धोसि॑। सो॒मुमा॑मुष्याय॒णम॒मुष्याः॑ पु॒त्रमन्ने॑ प्रा॒णे ब॑धान ॥
स्वर सहित पद पाठराज्ञ॑: । वरु॑णस्य । ब॒न्ध: । अ॒सि॒ । स: । अ॒मुम् । आ॒मु॒ष्या॒य॒णम् । अ॒मुष्या॑: । पु॒त्रम् । अन्ने॑ । प्रा॒णे । ब॒धा॒न॒ ॥५.४४॥
स्वर रहित मन्त्र
राज्ञो वरुणस्य बन्धोसि। सोमुमामुष्यायणममुष्याः पुत्रमन्ने प्राणे बधान ॥
स्वर रहित पद पाठराज्ञ: । वरुणस्य । बन्ध: । असि । स: । अमुम् । आमुष्यायणम् । अमुष्या: । पुत्रम् । अन्ने । प्राणे । बधान ॥५.४४॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
शत्रुओं के नाश का उपदेश।
पदार्थ
[हे सेनापति !] तू (वरुणस्य) श्रेष्ठ (राज्ञः) राजा का [शत्रुओं के लिये] (बन्धः) बन्धन (असि) है। (सः) सो तू (अमुम्) अमुक पुरुष, (आमुष्यायणम्) अमुक पिता के पुत्र और (अमुष्याः) अमुक माता के (पुत्रम्) पुत्र को (अन्ने) अन्न में और (प्राणे) श्वास में (बधान) बाँध ले ॥४४॥
भावार्थ
मन्त्री, सेनापति आदि राजपुरुषों को योग्य है कि माता-पिता आदि के नाम से पता लगाकर दुराचारी को अन्न और वायु की रोक के साथ कारागार में बन्द कर दें ॥४४॥
टिप्पणी
४४−(राज्ञः) प्रजाशासकस्य (वरुणस्य) श्रेष्ठस्य (बन्धः) पाशरूपः (असि) (सः) स त्वम् (अमुम्) अमुकनामानम् (आमुष्यायणम्) म० ३६। अमुष्य पुरुषस्य पुत्रम् (अमुष्याः) अमुकजनन्याः (पुत्रम्) (अन्ने) अन्नसंयमने (प्राणे) वायुसंयमने (बधान) निगृहाण ॥
विषय
राज्ञो वरुणस्य बन्धः
पदार्थ
१. (राज्ञः) = संसार के शासक व दीस (वरुणस्य) = पापों का निवारण करनेवाले प्रभु को तु (बन्धः असि) = अपने हृदयदेश में बाँधनेवाला है। तू प्रभु को हृदय में 'राजा वरुण' के रूप में स्मरण करता है, इसप्रकार स्मरण करता हुआ तू ऐसा ही बनता है। २. (स:) = वह तू (अमुम्) = उस अपने को (आमुष्यायणम्) = अमुक पिता के व (अमुष्याः पुत्रम्) = अमुक माता के पुत्र को (अन्ने प्राणे) = बधान अन्न व प्राण में बाँधनेवाला हो। तू अन्नों-वानस्पतिक भोजनों का ही सेवन करनेवाला बन तथा इन अन्नों को भी प्राणधारण के उद्देश्य से ही खा-अन्न का भी उतना ही सेवन कर जितना की प्राणधारण के लिए पर्यास हो।
भावार्थ
हम हृदय में उस दीम, पाप-निवारक प्रभु को स्थापित करने का प्रयत्न करें। अपने माता-पिता का स्मरण करते हुए, उनके नाम को कलङ्कित न होने देने के लिए प्राणशक्ति रक्षण के हेतु वानस्पतिक भोजनों का सेवन करें।
भाषार्थ
(राज्ञः वरुणस्य) वरुण राजा का (बन्धः) बन्धन (असि) तू है। (सः) वह तू (आमुष्यायणम्) उस गोत्र के, (अमुष्याः) उस माता के, (अमुम पुत्रम्) उस पुत्र को (अन्ने) अन्न में, (प्राणे१) और प्राण में (बधान) बान्ध, बन्दीकृत कर।
टिप्पणी
[वरुण राजा माण्डलिक राजा है, यथा "इन्द्रश्च सम्राट्, वरुणश्च राजा" (यजु० ८।३७)। जो शासक सार्वभौमशासन या सम्राट् शासन के प्रति अपराधी हो, उसे माण्डलिक राजा के कारागार में बन्द करना चाहिये। मन्त्र में “बन्धोऽसि" द्वारा बन्धन को सम्बोधित किया है। बन्धन या बन्ध का अभिप्राय है "दण्डसंविधान"। परमेश्वररूपी वरुण-राजा और उस के पाशों अर्थात् बन्धनों का वर्णन (अथर्व० ४।१६।१-९) में हुआ है। परन्तु प्रकरणानुसार व्याख्येय मन्त्र में माण्डलिक राजा का वर्णन ही अभिप्रेत है] [१. अग्ने प्राणे (विद्यमाने सति), इन दो के विद्यमान रहते। इन का अभाव न होते हुए।]
इंग्लिश (4)
Subject
The Song of Victory
Meaning
You are subject to the law of the ruler Varuna, i.e., laws of the land subsisting within the laws of Nature and Divinity. O powers of law and order, take this man, son of such and such family and son of such and such mother, subject to his right to life and maintenance in the law.
Translation
You are the fetter of the sovereign venerable Lord (Varunabandha). As such, may you bind so and so, of such and such lineage, the son of such and such mother, through his food (anne) and through his vital breath (prāņe).
Translation
Let this jail which is the custody of the King who is free-from all the evils. Let this keep tight, on the grain suffice to eat and the life only to live, the man who is the grandson of such a grandfather, son of such a man and such a mother.
Translation
O jail, thou art the prison-house of the king, the averter of sins. Bind that prisoner, the son of such a man and such a woman, and feed him with food for maintaining his life-breath.
Footnote
Prisoners should be well-treated and properly fed, so that they may remain healthy and active, and die not of starvation.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
४४−(राज्ञः) प्रजाशासकस्य (वरुणस्य) श्रेष्ठस्य (बन्धः) पाशरूपः (असि) (सः) स त्वम् (अमुम्) अमुकनामानम् (आमुष्यायणम्) म० ३६। अमुष्य पुरुषस्य पुत्रम् (अमुष्याः) अमुकजनन्याः (पुत्रम्) (अन्ने) अन्नसंयमने (प्राणे) वायुसंयमने (बधान) निगृहाण ॥
हिंगलिश (1)
Subject
Joint Family Values and Ties
Word Meaning
माता पिता द्वारा संतान और अपने कुट्म्ब के जनों को अन्नादि तथा जीवनोपयोगी सुविधाएं प्रदान करना एक राष्ट्र सर्वव्यापी नियम हो |
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