अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 2/ मन्त्र 18
ऋषिः - नारायणः
देवता - ब्रह्मप्रकाशनम्, पुरुषः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - ब्रह्मप्रकाशन सूक्त
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केने॒मां भूमि॑मौर्णो॒त्केन॒ पर्य॑भव॒द्दिव॑म्। केना॒भि म॒ह्ना पर्व॑ता॒न्केन॒ कर्मा॑णि॒ पुरु॑षः ॥
स्वर सहित पद पाठकेन॑ । इ॒माम् । भूमि॑म् । औ॒र्णो॒त् । केन॑ । परि॑ । अ॒भ॒व॒त् । दिव॑म् । केन॑ । अ॒भि । म॒ह्ना । पर्व॑तान् । केन॑ । कर्मा॑णि । पुरु॑ष:॥२.१८॥
स्वर रहित मन्त्र
केनेमां भूमिमौर्णोत्केन पर्यभवद्दिवम्। केनाभि मह्ना पर्वतान्केन कर्माणि पुरुषः ॥
स्वर रहित पद पाठकेन । इमाम् । भूमिम् । और्णोत् । केन । परि । अभवत् । दिवम् । केन । अभि । मह्ना । पर्वतान् । केन । कर्माणि । पुरुष:॥२.१८॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
मनुष्यशरीर की महिमा का उपदेश।
पदार्थ
(पुरुषः) मनुष्य ने (केन) प्रजापति [परमेश्वर] द्वारा (इमाम् भूमिम्) इस भूमि को (और्णोत्) ढका है, (केन) प्रजापति द्वारा (दिवम्) आकाश को (परि अभवत्) घेरा है। (केन) प्रजापति द्वारा (मह्ना) [अपनी] महिमा से (पर्वतान्) पर्वतों और (केन) प्रजापति द्वारा (कर्माणि) रचे हुए वस्तुओं को (अभि=अभि अभवत्) वश में किया है ॥१८॥
भावार्थ
मनुष्य परमेश्वर की उपासना से विवेक और आत्मिक बल द्वारा सृष्टि के सब पदार्थों को वश में करे ॥१८॥
टिप्पणी
१८−(केन) म० ५। कर्ता प्रजापतिना सह (इमाम्) (भूमिम्) (और्णोत्) आच्छादितवान् (केन) परमेश्वरेण (परि अभवत्) सर्वतो व्याप्तवान् (दिवम्) आकाशम् (केन) (अभि) अभ्यभवत्। व्याप्तवान् (मह्ना) महिम्ना (पर्वतान्) शैलान् (केन) (कर्माणि) कृतानि रचितानि वस्तूनि (पुरुषः) मनुष्यः ॥
विषय
भूमि-द्युलोक
पदार्थ
१. (पूरुषः) = उस परमपुरुष ने (केन मह्ना) = किस अद्भुत सामर्थ्य से (इमां भूमिं और्णोत्) = इस भूमि को आच्छादित किया है-बिछा-सा दिया है? (केन) = किस सामर्थ्य से (दिवं परि अभवत्) = द्युलोक को समन्तात् व्यास किया हुआ है ? (केन) = किस अद्भुत सामर्थ्य से (पर्वतान्) = पर्वतों को और (केन) = किस सामर्थ्य से (कर्माणि) = सब कमों को (अभि) = [अभवत्] अभिभूत-वशीभूत किया हुआ है?
भावार्थ
उस परमपुरुष ने भूमि को अपनी महिमा से बिछा-सा दिया है और द्युलोक को व्याप्त किया हुआ है। उसी ने पर्वतों व सब कर्मों को वशीभूत किया हुआ है।
भाषार्थ
(केन मह्ना) किस महिमा द्वारा (भूमिम्) भूमि को (और्णोत्) आच्छादित किया है, (केन) किस महिमा द्वारा (दिवम्) द्युलोक को (परि अभवत्) सब ओर से घेरे हुए हैं। (केन) किस महिमा द्वारा (पुरुषः) उस पुरुष ने (पर्वतान्) पर्वतों, मेघों पर (अभिअभवत्) प्रभुत्व प्राप्त किया है, (केन) किस महिमा द्वारा (कर्माणि) जगत् के नानाविध कर्मों तथा सर्जन धारण और प्रलय रूपी कर्मों पर (परि अभवत्) विजय पाई हुई है।
टिप्पणी
[मन्त्र में “पूरुषः” द्वारा परमेश्वर-पुरुष प्रतीत होता है। प्रकरण की दृष्टि से भी परमेश्वर-पुरुष का ही ग्रहण उचित है। यजुर्वेद अध्याय ३१ को “पुरुष सूक्त” कहते हैं। इस में पुरुष पद द्वारा परमेश्वर पुरुष का ही वर्णन है। योग में भी परमेश्वर को “पुरुष विशेषः” कहा है (योग १।२४)। तथा (अथर्व० १०।२।२८) में भी “पुरुष” द्वारा ब्रह्म पुरुष का ही कथन हुआ है। “पुरुष” शब्द का अर्थ है “पुरि शेते”। जीवात्मा शरीर-पुर् में शयन करता है इसलिये वह पुरुष है। ब्रह्म जगत्-पुर् में शयन करता है इस लिये वह भी पुरुष१ है। मन्त्र में परमेश्वर पुरुष की महिमा अर्थात् बढ़प्पन का वर्णन हुआ है “महि वृद्धौ” (भ्वादिः)। ब्रह्म ने ही भूमि को वायु द्वारा आच्छादित किया है, उस ने ही निज व्याप्ति द्वारा द्युलोक को घेरा हुआ है, उस ने ही निज सर्वशक्तिमत्ता से मेघों, पर्वतों पर प्रभुत्व पाया हुआ है, और वही जीवात्माओं पर कृपा दृष्टि के कारण सृष्टि की रचना आदि कर्मों, तथा जगत् के कर्मों पर विजय पाए हुए है। पर्वतान् मेघनाम (निघं० १।१०)]। [१. गीता में भी ईश्वर को उत्तमपुरुष तथा पुरुषोत्तम कहा है।]
इंग्लिश (4)
Subject
Kena Suktam
Meaning
Who covered this earth with atmosphere and greenery? Who vests and covers the heaven of light? By which power and grandeur does the Supreme Purusha vest the clouds and mountains with glory? How does the Purusha initiate and order the acts of existence such as creation, evolution and involution?
Translation
With what has he covered this earth? With what has he encompassed the sky ? With what has be surrounded the mountains with grandeur ? With what does the cosmic man perform his actions?
Translation
Through which power he bedeck the earth, through which He encompasses heavenly region, through which power He makes mountains and through which power the man performs his ferts.
Translation
Who has bedecked the Earth? Who has encompassed Heaven? Who through His might has covered the mountains? Through Whose help does man perform deeds?
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१८−(केन) म० ५। कर्ता प्रजापतिना सह (इमाम्) (भूमिम्) (और्णोत्) आच्छादितवान् (केन) परमेश्वरेण (परि अभवत्) सर्वतो व्याप्तवान् (दिवम्) आकाशम् (केन) (अभि) अभ्यभवत्। व्याप्तवान् (मह्ना) महिम्ना (पर्वतान्) शैलान् (केन) (कर्माणि) कृतानि रचितानि वस्तूनि (पुरुषः) मनुष्यः ॥
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