Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 10 के सूक्त 2 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 2/ मन्त्र 8
    ऋषिः - नारायणः देवता - ब्रह्मप्रकाशनम्, पुरुषः छन्दः - त्रिष्टुप् सूक्तम् - ब्रह्मप्रकाशन सूक्त
    0

    म॒स्तिष्क॑मस्य यत॒मो ल॒लाटं॑ क॒काटि॑कां प्रथ॒मो यः क॒पाल॑म्। चि॒त्वा चित्यं॒ हन्वोः॒ पूरु॑षस्य॒ दिवं॑ रुरोह कत॒मः स दे॒वः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    म॒स्तिष्क॑म् । अ॒स्य॒ । य॒त॒म: । ल॒लाट॑म् । क॒काटि॑काम् । प्र॒थ॒म: । य: । क॒पाल॑म् । चि॒त्वा । चित्य॑म् । हन्वो॑: । पुरु॑षस्य । दिव॑म् । रु॒रो॒ह॒ । क॒त॒म: । स: । दे॒व: ॥२.८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    मस्तिष्कमस्य यतमो ललाटं ककाटिकां प्रथमो यः कपालम्। चित्वा चित्यं हन्वोः पूरुषस्य दिवं रुरोह कतमः स देवः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    मस्तिष्कम् । अस्य । यतम: । ललाटम् । ककाटिकाम् । प्रथम: । य: । कपालम् । चित्वा । चित्यम् । हन्वो: । पुरुषस्य । दिवम् । रुरोह । कतम: । स: । देव: ॥२.८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 10; सूक्त » 2; मन्त्र » 8
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    मनुष्यशरीर की महिमा का उपदेश।

    पदार्थ

    (यतमः) जौन सा (प्रथमः) सब से पहिला (यः) नियन्ता (अस्य) इस (पुरुषस्य) मनुष्य के (मस्तिष्कम्) भेजे को, (ललाटम्) ललाट [माथे] को, (ककाटिकाम्) ककाटिका [शिर के पिछले भाग] को, (कपालम्) कपाल [खोपड़ी] को और (हन्वोः) दोनों जबड़ों के (चित्यम्) संचय को (चित्वा) संचय करके [वर्तमान है], (सः) वह (कतमः) कौन सा (देवः) देव [स्तुतियोग्य] (दिवम्) प्रकाश को (रुरोह) चढ़ा है ॥८॥

    भावार्थ

    प्रश्न है कि जिसने मनुष्यदेह के अति सुखदायी अङ्ग बनाये हैं, वह सब में कौन सा प्रकाशमान देव है ॥८॥

    टिप्पणी

    ८−(मस्तिष्कम्) अ० २।३३।१। मस्तकस्नेहम् (अस्य) मनुष्यस्य (यतमः) बहूनां मध्ये यः (ललाटम्) अ० ९।७।१। भ्रुवोरूर्ध्वभागम्। भालम् (ककाटिकाम्) क+कट गतौ-घञ्, स्वार्थे क प्रत्ययः, टाप्, अकारस्य इत्वम्। के शिरसि काटो गतिर्यस्याः ककाटिका ताम्। शिरःपश्चाद्भागम् (प्रथमः) (यः) यम्−ड। नियन्ता (कपालम्) अ० ९।८।२२। शिरोऽस्थि (चित्वा) चयनं कृत्वा (चित्यम्) चिञ् चयने-क्यप्, तुक्। चयनम् (हन्वोः) म० ७। (पुरुषस्य) (दिवम्) प्रकाशम् (रुरोह) आरूढवान् (कतमः) बहूनां मध्ये कः (सः) (देवः) स्तुत्यः ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    मस्तिष्कं ललाटं

    पदार्थ

    १. (यतमः प्रथम:) = जिस प्रथम देव ने-जिस सर्वव्यापक [प्रथ विस्तारे] देव ने (अस्य पूरुषस्य) = इस पुरुष के (मस्तिष्कं ललाटम्) = मस्तिष्क [भेजे] व ललाट [माथे] को (यः) = जिसने (ककाटिकाम्) = सिर के पिछले भाग को व (कपालम्) = खोपड़ी को तथा (हन्वो: चित्यम्) = दोनों जबड़ों के सञ्चय को (चित्त्वा) = चिनकर (दिवं रुरोह) = अपने प्रकाशमय रूप में आरोहण किया है, (सः देवः कतम:) = वह देव कौन-सा है?

    भावार्थ

    पुरुष के 'मस्तिष्क, ललाट, ककाटि, कपाल व हनुओं की रचना में उस अज्ञेय प्रभु की महिमा दृष्टिगोचर हो रही है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (यतमः) जिन देवों में (यः प्रथमः देवः) जो प्रथम देव, (अस्य पुरुषस्य) इस पुरुष के (मस्तिष्कम्) मस्तिष्क को (ललाटम्) माथे को, (ककाटिकाम्) सिर के पश्चाद् भाग को, (कपालम्) खोपड़ी को, तथा (हन्वोः) दो जबाड़ों के (चित्यम्) चयन को (चित्वा) चिन कर, (दिवम् रुरोह) द्युलोक पर आरोहण किये हुए है (सः) वह (कतमः) कौन है ?

    टिप्पणी

    [यतमः, कतमः–में “तमप्” प्रत्यय है, जोकि “बहुतों में से एक” का सूचक है। जीव, प्रकृति, तथा अन्य नाना दिव्यशक्तियां पुरुष के अवयवों के निर्माण में सहायक होती हैं, उन में सर्वप्रथम अर्थात् सब से पहिली या सर्वश्रेष्ठ शक्ति है, परमेश्वर देव “अग्निर्देवता वातो देवता सूर्यो देवता आदि मन्त्र (यजु० १४।२०) में १२ देवताओं का कथन हुआ है। इन सब देवताओं में प्रथम देव परमेश्वर है। यह उत्तर “कतमः स देवः” में भी समझा जा सकता है। अर्थात् “वह अत्यन्त सुखस्वरूप देव”। कम् सुखनाम (निघं० ३।६)]।

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Kena Suktam

    Meaning

    Who is that Deva, divine power and presence, first among all, which, having collected all that was to be collected, this man’s brain, forehead, back-head and skull, supported and placed all together in proper order on the two jaws and rose up to the high heavens of light, transcendent?

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Which was that deity, who first hāving made man’s skull, made the brain, the forehead, and the occiput, and having piled up the pile between his two jaws, ascendent to heaven? ( mastigka= skull lalāta= brain; kalātikā= occiput; kapāla = forehead; hanu-citva = pile for jaw).

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Who is that powerful wonderous force which fashioned the skull and brain and forehead and forming the pile that two jaws support and surpassed the heavenly region.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    God, Who first of all fashioned his brain, forehead, occiput and skull, exists supporting the pile of man’s two jaws. Who is that Adorable God Who has risen to the pinnacle of splendor.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ८−(मस्तिष्कम्) अ० २।३३।१। मस्तकस्नेहम् (अस्य) मनुष्यस्य (यतमः) बहूनां मध्ये यः (ललाटम्) अ० ९।७।१। भ्रुवोरूर्ध्वभागम्। भालम् (ककाटिकाम्) क+कट गतौ-घञ्, स्वार्थे क प्रत्ययः, टाप्, अकारस्य इत्वम्। के शिरसि काटो गतिर्यस्याः ककाटिका ताम्। शिरःपश्चाद्भागम् (प्रथमः) (यः) यम्−ड। नियन्ता (कपालम्) अ० ९।८।२२। शिरोऽस्थि (चित्वा) चयनं कृत्वा (चित्यम्) चिञ् चयने-क्यप्, तुक्। चयनम् (हन्वोः) म० ७। (पुरुषस्य) (दिवम्) प्रकाशम् (रुरोह) आरूढवान् (कतमः) बहूनां मध्ये कः (सः) (देवः) स्तुत्यः ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top