Loading...
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 4/ मन्त्र 32
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप् सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त
    1

    स वै वा॒योर॑जायत॒ तस्मा॑द्वा॒युर॑जायत ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । वै । वा॒यो: । अ॒जा॒य॒त॒ । तस्मा॑त् । वा॒यु: । अ॒जा॒य॒त॒ ॥७.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स वै वायोरजायत तस्माद्वायुरजायत ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । वै । वायो: । अजायत । तस्मात् । वायु: । अजायत ॥७.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 32
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    परमात्मा और जीवात्मा के विषय का उपदेश।

    पदार्थ

    (सः) वह [कारणरूप ईश्वर] (वै) अवश्य (वायोः) [कार्यरूप] पवन से (अजायत) प्रकट हुआ है, (तस्मात्) उस [कारणरूप] से (वायुः) पवन (अजायत) उत्पन्न हुआ है ॥३२॥

    भावार्थ

    मन्त्र २९ के समान ॥३२॥

    टिप्पणी

    ३२−(वायोः) कार्यरूपात् पवनात् (वायुः) पवनः। अन्यद् गतम् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    'दिन व रात्रि में, अन्तरिक्ष व वायु में', धुलोक व दिशाओं में प्रभु का प्रकाश

    पदार्थ

    १. (स: वा) = वे प्रभु निश्चय से (अह्नः अजायत) = दिन से प्रादुर्भूत हो रहे हैं-दिन की रचना में प्रभु की महिमा का प्रकाश हो रहा है। (तस्मात्) = उस प्रभु से ही तो (अहः अजायत) = यह दिन प्रकट किया गया है। प्रभु ने दिन [अ-हन्] का निर्माण करके मनुष्यों को एक भी क्षण नष्ट न करते हुए आगे बढ़ने का अवसर दिया है। २. इसीप्रकार (सः वै) = वे प्रभु निश्चय से (रात्र्या अजायत) = रात्रि से प्रादुर्भूत हो रहे हैं। किस प्रकार रात्रि रमयित्री-हमारी सारी थकावट को दूर करके हमें प्रफुल्लित कर देती है। (तस्मात् रात्रिः अजायत) = उस प्रभु से ही यह रात्रि प्रादुर्भूत की गई है। ३. (सः वा) = वे प्रभु निश्चय से (अन्तरिक्षात् अजायत) = इस 'वायु चन्द्र, मेष व विद्युत् के आधारभूत अन्तरिक्ष से प्रकट हो रहे हैं। तस्मात्-उस प्रभु से ही अन्तरिक्ष अजायत्-यह अन्तरिक्ष प्रादुर्भूत किया गया है। ४. (सः वै) = वे प्रभु निश्चय से (वायो: अजायत) = वायु से प्रादुर्भूत हो रहे हैं। प्राणिमात्र के जीवन की कारणभूत ये वायु भी उस प्रभु की अद्भुत ही सृष्टि है। (तस्मात्) = उस प्रभु से ही (वायुः अजायत) = उस जीवनप्रद वायु का प्रादुर्भाव किया गया है। ५. (स: वै) = वे प्रभु निश्चय से (दिवः) = सूर्य के आधारभूत इस द्युलोक से (अजायत) = प्रादुर्भूत महिमावाले हो रहे हैं। सम्पूर्ण प्रकाशमय व प्राणशक्ति का स्रोत कितना अद्भुत है यह सूर्य! (तस्मात्) = उस प्रभु से ही (द्यौः) = सूर्य-प्रकाश से देदीप्यमान यह द्युलोक अध्यजायत उत्पन्न किया गया है। ६. (स: वै) = वे प्रभु निश्चय से (दिग्भ्यः) = इन प्राची आदि दिशाओं से (अजायत) = प्रादुर्भूत महिमावाले हो रहे हैं। उत्तर-दक्षिण में किस प्रकार चुम्बकीय शक्ति कार्य करती है और किस प्रकार सूर्यादि सब पिण्ड पूर्व से पश्चिम की ओर गति कर रहे हैं? यह सब-कुछ अद्भुत ही है। (तस्मात्) = इस प्रभु से (दिश: अजायन्त) = इन दिशाओं का प्रादुर्भाव किया गया है।

    भावार्थ

    दिन व रात्रि में, अन्तरिक्ष व वायु में, धुलोक व दिशाओं में सर्वत्र प्रभु की महिमा का प्रकाश हो रहा है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (सः वै) वह निश्चय से (वायोः) वायु से (अजायत) प्रकट हुआ है, क्योंकि (तस्मात्) उस से (वायुः) वायु (अजायत) पैदा हुई है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    परमेश्वर का वर्णन।

    भावार्थ

    (वै) इसी प्रकार (सः) वह परमेश्वरी शक्ति (वायोः) वायु से (अजायत) प्रादुर्भूत या प्रकट होती है। और (वायुः) यह वायु (तस्मात् अजायत) उस परमेश्वर से उत्पन्न होता है।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    २९, ३३, ३९, ४०, ४५ आसुरीगायत्र्यः, ३०, ३२, ३५, ३६, ४२ प्राजापत्याऽनुष्टुभः, ३१ विराड़ गायत्री ३४, ३७, ३८ साम्न्युष्णिहः, ४२ साम्नीबृहती, ४३ आर्षी गायत्री, ४४ साम्न्यनुष्टुप्। सप्तदशर्चं चतुर्थं पर्यायसूक्तम्॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Savita, Aditya, Rohita, the Spirit

    Meaning

    He is manifest from Vayu, sinceVayu is born of him through his manifestation.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    He, indeed, is born of the elemental wind; the elemental wind is born of him.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    He (as creator) comes to expression from Vayu, the Air, therefore, the Air emerges out from Him (as an efficient cause).

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    The existence of God is perceived by beholding Air, which in reality is created by Him.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ३२−(वायोः) कार्यरूपात् पवनात् (वायुः) पवनः। अन्यद् गतम् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top