अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 23/ मन्त्र 24
ऋषिः - अथर्वा
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - दैवी पङ्क्तिः
सूक्तम् - अथर्वाण सूक्त
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सू॒र्याभ्यां॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठसू॒र्याभ्या॑म्। स्वाहा॑ ॥२३.२४॥
स्वर रहित मन्त्र
सूर्याभ्यां स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठसूर्याभ्याम्। स्वाहा ॥२३.२४॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
ब्रह्मविद्या का उपदेश।
पदार्थ
(सूर्याभ्याम्) दो प्रेरकों [परमात्मा और जीवात्मा] के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] हो ॥२४॥
भावार्थ
मनुष्यों को परमेश्वरोक्त ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद द्वारा श्रेष्ठ विद्याएँ प्राप्त करके इस जन्म और पर जन्म का सुख भोगना चाहिये ॥२४॥
टिप्पणी
२४−(सूर्याभ्याम्) प्रेरकाभ्यां परमात्मजीवात्मभ्याम् ॥
विषय
सूर्य-वात्य-प्राजापत्य
पदार्थ
१. [रोहयति इति] (रोहितेभ्य:) = हमारा उत्थान करनेवाले इन वेदमन्त्रों के लिए (स्वाहा) = मैं अपना अर्पण करता हूँ। २. (सूर्याभ्यां स्वाहा) = वेद से प्रेरणा प्राप्त करके सूर्य की भाँति निरन्तर गतिशील [सरति] पति-पत्नी के लिए हम शुभ शब्द कहते हैं। उनका प्रशंसन करते हैं। हम भी उनसे अपना जीवन उन-जैसा बनाने की प्रेरणा लेते हैं। ३. (वात्याभ्याम्) = व्रतमय जीवनवाले पति-पत्नी के लिए हम (स्वाहा) = प्रशंसात्मक शब्द कहते हैं। हम भी उनकी भौति व्रती जीवनवाले होते हैं। ४. (प्राजापत्याभ्याम्) = सन्तानों का उत्तम रक्षण करनेवाले इन पति-पत्नी के लिए (स्वाहा) = हम प्रशंसात्मक शब्द कहते हैं और उनसे स्वयं भी सन्तानों के सम्यक् रक्षण की प्रेरणा लेते हैं।
भावार्थ
उन्नति के साधनभूत वेद-मन्त्रों का अध्ययन करते हुए हम निरन्तर गतिशील [सूर्य] व्रतमय जीवनवाले [ब्रात्य] व सन्तानों का सम्यक् रक्षण करनेवाले [प्राजापत्य] बनते हैं।
भाषार्थ
सूर्या के दो सूक्तों के लिये प्रशंसायुक्त वाणी हो।
टिप्पणी
[“सूर्याभ्याम्” द्वारा काण्ड १४ के दो सूर्या-सूक्तों का निर्देश किया है। सूर्यासूक्त सूर्या अर्थात् आदित्य ब्रह्मचारिणी के विवाहपरक सूक्त हैं। विवाह-पद्धतियों में इन्हीं दो सूक्तों से कई मन्त्र लिए गये हैं।]
इंग्लिश (4)
Subject
x
Meaning
For two Surya hymns, Svaha For two Surya hymns, Svaha. stmmw Wl^l' II ^ II
Translation
Svàhá to the two about Sürya (maiden to be married).
Translation
Let us gain knowledge of two Suryas, the two down and appreciate them.
Translation
Have a thorough knowledge of two anuvakas of Surya i.e., 14 Kanda.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
२४−(सूर्याभ्याम्) प्रेरकाभ्यां परमात्मजीवात्मभ्याम् ॥
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