अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 23/ मन्त्र 5
ऋषिः - अथर्वा
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - दैवी त्रिष्टुप्
सूक्तम् - अथर्वाण सूक्त
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अ॑ष्ट॒र्चेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठअ॒ष्ट॒ऽऋ॒चेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२३.५॥
स्वर रहित मन्त्र
अष्टर्चेभ्यः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठअष्टऽऋचेभ्यः। स्वाहा ॥२३.५॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
ब्रह्मविद्या का उपदेश।
पदार्थ
(अष्टर्चेभ्यः) आठ [यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान समाधि, आठ योग के अङ्गों] की स्तुतियोग्य विद्यावाले [वेदों] के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] हो ॥५॥
भावार्थ
मनुष्यों को परमेश्वरोक्त ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद द्वारा श्रेष्ठ विद्याएँ प्राप्त करके इस जन्म और पर जन्म का सुख भोगना चाहिये ॥५॥
टिप्पणी
५−(अष्टर्चेभ्यः) म०१। अष्टानां यमनियमादीनां स्तुत्या विद्या येषु वेदेषु तेभ्यः। यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽष्टावङ्गानि। पातञ्जलयोगदर्शने, २।२९॥
विषय
आठ योगांग व वसु, नवद्वार, दस धर्मलक्षण, एकादश रुद्र
पदार्थ
१. (अष्टचेभ्य:) = योग के आठ अंगों अथवा शरीरस्थ आठ चक्रों का स्तवन करनेवाले व आठ वसुओं का प्रतिपादन करनेवाले मन्त्रों के लिए हम (स्वाहा) = प्रशंसात्मक शब्द कहें। इनके अध्ययन से आठों योगाङ्गों व आठों वसुओं को समझें। २. (नवर्षेभ्यः स्वाहा) = [अष्टाचक्रा नवद्वारा] इस शरीररूप देवपुरी के नव द्वारों का स्तवन करनेवाले मन्त्रों के लिए हम शुभ शब्द कहते हैं। इनके अध्ययन से इनको उत्तम बनाने की प्रेरणा लेते हैं। ३. (दशर्षेभ्यः स्वाहा) = धर्म के दश लक्षणों [धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः । धीविद्या सत्यमक्रोधः] के प्रतिपादक मन्त्रों के लिए हम शुभ शब्द कहते हैं। इनके अध्ययन से इन दश लक्षणों को समझकर इन्हें अपनाने के लिए यत्नशील होते हैं। ४. (एकादशर्चेभ्यः स्वाहा) = ११ रुद्रों [दश प्राण+जीवात्मा] के प्रतिपादक मन्त्रों के लिए प्रशंसात्मक शब्द कहते हैं। इनके अध्ययन से इन रुद्रों की शक्ति के वर्धन के लिए यत्नशील होते हैं।
भावार्थ
योग के आठ अंगों, शरीर के नवद्वारों, धर्म के दश लक्षणों व एकादश रुद्रों को समझकर इनको अपनाने व शक्तिशाली बनाने का यत्न करते हुए हम अपने जीवनों को प्रशस्त बनाते हैं।
भाषार्थ
८ ऋचाओं वाले सूक्तों के लिये प्रशंसायुक्त वाणी हो।
इंग्लिश (4)
Subject
x
Meaning
For eight-verse hymns (on the adorable eight Vasus and eight-fold Prakrti), Svaha.
Translation
Svahà to the eight-versed ones.
Translation
Let us gain knowledge from the scats of eight verse and appreciate them.
Translation
Thoroughly study the suktas, with eight Richas.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
५−(अष्टर्चेभ्यः) म०१। अष्टानां यमनियमादीनां स्तुत्या विद्या येषु वेदेषु तेभ्यः। यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽष्टावङ्गानि। पातञ्जलयोगदर्शने, २।२९॥
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