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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 9 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 9/ मन्त्र 6
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - शान्तिः, मन्त्रोक्ताः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - शान्ति सूक्त
    1

    शं नो॑ मि॒त्रः शं वरु॑णः॒ शं विष्णुः॒ शं प्र॒जाप॑तिः। शं न॒ इन्द्रो॒ बृह॒स्पतिः॒ शं नो॑ भवत्वर्य॒मा ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    शम्। नः॒। मि॒त्रः। शम्। वरु॑णः। शम्। विष्णुः॑। शम्। प्र॒जाऽप॑तिः। शम्। नः॒। इन्द्रः॑। बृह॒स्पतिः॑। शम्। नः॒।भ॒व॒तु॒। अ॒र्य॒मा ॥९.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    शं नो मित्रः शं वरुणः शं विष्णुः शं प्रजापतिः। शं न इन्द्रो बृहस्पतिः शं नो भवत्वर्यमा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    शम्। नः। मित्रः। शम्। वरुणः। शम्। विष्णुः। शम्। प्रजाऽपतिः। शम्। नः। इन्द्रः। बृहस्पतिः। शम्। नः।भवतु। अर्यमा ॥९.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 9; मन्त्र » 6
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    मनुष्यों को कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (नः) हमारे लिये (मित्रः) सबका मित्र [परमेश्वर वा विद्वान् पुरुष] (शम्) शान्तिदायक, (वरुणः) सब में श्रेष्ठ (शम्) शान्तिदायक, (विष्णुः) सब गुणों में व्यापक (शम्) शान्तिदायक, (प्रजापतिः) प्रजापति [प्रजाओं का रक्षक] (शम्) शान्दिदायक [होवें]। (नः) हमारे लिये (इन्द्रः) परम ऐश्वर्यवान्, (बृहस्पतिः) बड़ी वेदविद्या का रक्षक (शम्) शान्तिदायक, (नः) हमारे लिये (अर्यमा) श्रेष्ठों का मान करनेवाला [न्यायकारी परमेश्वर वा विद्वान् पुरुष] (शम्) शान्तिदायक (भवतु) होवे ॥६॥

    भावार्थ

    जैसे सर्वहितकारी, सर्वश्रेष्ठ, सर्वगुणविशिष्ट परमेश्वर सब जगत् की रक्षा करता है, वैसे ही विद्वान् जन परस्पर स्नेह करके संसार का उपकार करें ॥६॥

    टिप्पणी

    यह मन्त्र कुछ भेद से ऋग्वेद में है−१।९०।९ और यजुर्वेद−३६।९ ॥ ६−(शम्) सुखकारी (नः) अस्मभ्यम् (मित्रः) ञिमिदा स्नेहने-क्त्र। सर्वस्नेही परमेश्वरो विद्वान् वा (शम्) (वरुणः) सर्वोत्कृष्टः (शम्) (विष्णुः) सर्वगुणेषु व्यापकः (शम्) (प्रजापतिः) प्रजानां पालकः (शम्) (नः) (इन्द्रः) परमैश्वर्ययुक्तः (बृहस्पतिः) बृहत्या वाचो विद्यायाः पतिः पालकः (शम्) (नः) (भवतु) (अर्यमा) श्रेष्ठानां मानकर्ता न्यायकारी परमेश्वरो मनुष्यो वा ॥

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    विषय

    शान्ति-प्राप्ति के उपाय

    पदार्थ

    १. (मित्र:) = सबके प्रति स्नेहवाला प्रभु-जो मित्र-ही-मित्र है, (नः शम्) = हमारे लिए शान्ति प्राप्त करानेवाला हो। (वरुण:) = सब पापों का निवारण करनेवाला-श्रेष्ठ प्रभु (शम्) = हमें शान्ति देनेवाला हो। (अर्यमा) = सब शत्रुओं का-काम-क्रोध-लोभ आदि का नियमन करनेवाला प्रभु (न:) = हमारे लिए (शं भवतु) = शान्ति देनेवाला हो। २. (विष्णु:) = [विष् व्याप्ती] सर्वव्यापक प्रभु (शम्) = हमें शान्ति दें और (प्रजापति:) = सब प्रजाओं के रक्षक प्रभु (शम्) = हमें शान्ति देनेवाले हों। (इन्द्रः) = परमैश्वर्यवान् व सर्वशक्तिमान् प्रभु (नः) = हमारे लिए (शम्) = शान्ति दें और (बृहस्पति:) = ब्रह्मणस्पति-ज्ञान के स्वामी प्रभु हमें शान्ति प्राप्त कराएँ।

    भावार्थ

    हम प्रभु को 'मित्र-वरुण-विष्णु-प्रजापति-इन्द्र-बृहस्पति व अर्यमा' नामों से स्मरण करते हुए स्वयं 'स्नेह, निष्पापता, उदारता, प्रजारक्षण, जितेन्द्रियता [शक्तिमत्ता] ज्ञान व काम-क्रोध आदि शत्रुओं के नियमन' को धारण करते हुए शान्त जीवनवाले बनें।

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    भाषार्थ

    (मित्रः)१ स्नेह करनेवाला, तथा अशिव भावनाओं द्वारा होनेवाली हिंसा से रक्षा करने वाला परमेश्वर (नः) हमें (शम्) शान्तिदायक हो। (वरुणः) पापों से निवारण करनेवाला परमेश्वर (शम्) शान्तिदायक हो। (विष्णुः) सर्वव्यापक परमेश्वर सब ओर से (शम्) शान्तिदायक हो। (प्रजापतिः) प्रजारक्षक परमेश्वर (शम्) शान्तिदायक हो। (इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् (बृहस्पतिः) महती वेदवाणी का पति (नः) हमें (शम्) शान्तिदायक हो। (अर्यमा) न्यायकारी परमेश्वर (नः) हम सबको (शम् भवतु) शान्तिदायक हो।

    टिप्पणी

    [मित्रः= मेदयतेः (मिद् स्नेहने); प्रमीतेः त्रायते (निरु० १०.२.२१), प्रमीतिः=हिंसा, मीञ् हिंसायाम+त्रैङ पालने। वरुणः= वारयतेः। विष्णुः=विष्लृ व्याप्तौ। इन्द्रः=इदि परमैश्वर्ये। बृहस्पतिः=बृहती वाक्, तस्याः पतिः। अर्यमा= योऽर्यान् स्वामिनो न्यायाधीशान् मिमीते मान्यान् करोति सोऽर्यमा। जो सत्य न्याय के करनेहारे मनुष्यों का मान्य, और पाप तथा पुण्य करनेवालों को पाप और पुण्य के फलों का यथावत् सत्य-सत्य नियमकर्त्ता है, इसी से उस परमेश्वर का नाम “अर्यमा” है (सत्यार्थप्रकाश) प्रथम समुल्लास)।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Shanti

    Meaning

    May Mitra, lord of divine love and friendship, be all peace for us. May Varuna, lord of divine judgement and protection, be all peace for us. May Vishnu, lord omnipresent, be all peace for us. May Prajapati, lord sustainer of his children of creation, be all peace for us. May Indra, lord omnipotent, and Brhaspati, lord of Infinity, be all peace for us. And may Aryama, lord of cosmic law, justice and guidance, be all peace for us.

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    Translation

    May the friendly Lord (Mitra) be peace-giving to us; peace- giving the venerable Lord (Varuna); peace-giving the pervading Lord; peace-giving the Lord of creatures. May the resplendent Lord and the Lord supreme be peace-giving to us; peace-giving to us be the ordainer Lord.

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    Translation

    May God, the friend of all be kind to us, May God, the worship able by all be gracious to us, May God pervading all be gracious and may the Lord of creation be kind for us. May He, the Master grand worlds and almighty be benevolent for us and May he asdispenser of justice be kind upon us.

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    Translation

    May God, friendly like the breath be gracious to us. May God, tranquilliser like water be soothing to us. May All-pervading God be comfortable to us. May God, the Protector of all the people be peaceful to us. May God, the Lord of all riches and Vedic learning be kind to us. May God, the Just be pleasant to us.

    Footnote

    cf. Rig, 1.90.9, Yajur, 36.9. Herein the various powers of God are invoked to shower peace and tranquility on the devotees.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    यह मन्त्र कुछ भेद से ऋग्वेद में है−१।९०।९ और यजुर्वेद−३६।९ ॥ ६−(शम्) सुखकारी (नः) अस्मभ्यम् (मित्रः) ञिमिदा स्नेहने-क्त्र। सर्वस्नेही परमेश्वरो विद्वान् वा (शम्) (वरुणः) सर्वोत्कृष्टः (शम्) (विष्णुः) सर्वगुणेषु व्यापकः (शम्) (प्रजापतिः) प्रजानां पालकः (शम्) (नः) (इन्द्रः) परमैश्वर्ययुक्तः (बृहस्पतिः) बृहत्या वाचो विद्यायाः पतिः पालकः (शम्) (नः) (भवतु) (अर्यमा) श्रेष्ठानां मानकर्ता न्यायकारी परमेश्वरो मनुष्यो वा ॥

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