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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 9 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 9/ मन्त्र 8
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - शान्तिः, मन्त्रोक्ताः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - शान्ति सूक्त
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    शं नो॒ भूमि॑र्वेप्यमा॒ना शमु॒ल्का निर्ह॑तं च॒ यत्। शं गावो॒ लोहि॑तक्षीराः॒ शं भूमि॒रव॑ तीर्य॒तीः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    शम्। नः॒। भूमिः॑। वे॒प्य॒मा॒ना। शम्। उ॒ल्का। निःऽह॑तम्। च॒। यत्। शम्। गावः॑। लोहि॑तऽक्षीराः। शम्। भूमिः॑। अव॑। ती॒र्य॒तीः ॥९.८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    शं नो भूमिर्वेप्यमाना शमुल्का निर्हतं च यत्। शं गावो लोहितक्षीराः शं भूमिरव तीर्यतीः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    शम्। नः। भूमिः। वेप्यमाना। शम्। उल्का। निःऽहतम्। च। यत्। शम्। गावः। लोहितऽक्षीराः। शम्। भूमिः। अव। तीर्यतीः ॥९.८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 9; मन्त्र » 8
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    मनुष्यों को कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (नः) हमारे लिये (वेप्यमाना) काँपती हुई (भूमिः) भूमि (शम्) शान्तिदायक, (च) और (यत्) जो कुछ (उल्का) उल्काओं से [रेखाकार आकाश से गिरते हुए तेजपुञ्जों, टूटते हुए तारों से] (निर्हतम्) नष्ट किया गया है, [वह] (शम्) शान्तिदायक [होवे]। (लोहितक्षीराः) रुधिरयुक्त दूध देनेवाली (गावः) गौएँ (शम्) शान्तिदायक [होवें] और (अव तीर्यतीः) धसकती हुई (भूमिः) भूमि (शम्) शान्तिदायक [होवे] ॥८॥

    भावार्थ

    दूरदर्शी मनुष्य भूकम्प, तारे टूटने, रोग के कारण दूध बिगड़ने, दलदल से पृथिवी के बैठ जाने आदि विघ्नों से बचने का उपाय करके सुखी होवें ॥८॥

    टिप्पणी

    ८−(शम्) शान्तिप्रदा (नः) अस्मभ्यम् (भूमिः) (वेप्यमाना) कम्पमाना (शम्) (उल्का) उल दाहे-क प्रत्ययः, विभक्तेर्डा। उल्काभिः। रेखाकारे गगनात् पतत्तेजःपुञ्जैः (निर्हतम्) विनष्टम् (च) (यत्) यत् किञ्चित् (शम्) (गावः) धेनवः (लोहितक्षीराः) रुधिरयुक्तदुग्धोपेताः (शम्) (भूमिः) (अवतीर्यतीः) तॄ प्लवनतरणयोः−शतृ, ङीप्। बहुवचनं छान्दसम्। अवतीर्यती। अवतीर्यमाणा जलबाहुल्येनाधोगमना ॥

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    विषय

    भूकम्प आदि से बचाव

    पदार्थ

    १. (वेप्यमाना) = किन्हीं भी प्राकृतिक उद्वेगों से कैंपायी गई (भूमिः नः शम्) = भूमि हमारे लिए शान्तिकर हो। हमें भूकम्प कष्टमग्न न करे (च) = और उल्का (निहतम्) = आकाश से भूमि पर गिरनेवाले पिण्डों का (यत्) = जो आघात है, वह भी (शम्) = शान्त हो। २. रोग के कारण (लोहितक्षीरा:) = रुधिर के समान दूध देनेवाली (गाव:) = गौएँ (शम्) = शान्ति दें। (अवतीर्यती:) = नीचे. समुद्र में धंसती हुई (भूमिः) = भूमि (शम्) = हमारे लिए कष्टकर न हो।

    भावार्थ

    'भूकम्प, उल्का निर्घात, भूमि का समुद्र में धंस जाना' आदि आधिदैविक कष्ट हमें पीड़ित न करें। हमारी गौओं के दूध में किसी प्रकार का विकार न आ जाए।

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    भाषार्थ

    (वेप्यमाना) भूचाल द्वारा काम्पती हुई (भूमिः) भूमि (नः) हमें (शम्) शान्तिदायक हो, हमें हानिकर न हो। (उल्काः) उल्काओं का पात (च) और (यत्) जो (निर्हतम्) निर्घात हैं, वे (शम्) शान्तरूप हों। (लोहितक्षीराः) रक्तमिश्रित दुग्धवाली (गावः) गौएं (शम्) शान्तरूप हों, अर्थात् इस रोग से मुक्त हो जायें। (अव तीर्यतीः) धसती हुई, या पर्वतों से नीचे की ओर ढलकती हुई (भूमिः) भूमि (शम्) शान्तिप्रद हो।

    टिप्पणी

    [निर्हतम्=निर्घातः=वायुना निर्हतो वायुर्गगनाच्च पतत्यधः। प्रचण्डघोरनिर्घोषो निर्घात इति कथ्यते। मन्त्र ७ में दी गई व्याख्या के साथ-साथ यह भी जानना चाहिए कि जैसे धार्मिक राजा के दण्ड व्यक्ति और समाज के सुधार और शान्ति के लिए होते हैं, वैसे ही सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान् और न्यायकारी परमेश्वर द्वारा प्राकृतिक घटनाओं द्वारा दिया गया कर्मानुरूप दण्ड भी व्यक्ति और समाज के सुधार द्वारा अन्ततः उसकी शान्ति के लिए ही होता है। अथवा—उल्कानिर्हतम्=उल्कापात द्वारा चोट खाया प्रदेश। लोहितक्षीराः—गौ के स्तनों और ऊध में क्षत आदि रोग के कारण दूध रक्त-मिश्रित हो जाता है। अथवा— इसका अर्थ है लोह-घटित दूधवाली गौएं। लोहघटित दूध स्वास्थ्यकर होकर शान्तिदायक होता है। खाद्यपेय वस्तुओं में लोहमात्रा स्वास्थ्यप्रद होता है।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Shanti

    Meaning

    Let the earthquakes be peaceable, not destructive, for us. Let the falling meteor and whatever is hit be peaceable, not destructive. Let the moving objects with a trail of red and white be peaceable, and let the land-slides be peaceable, not destructive.

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    Translation

    May the tremulous earth be gracious to us; gracious the meter that strikes (the earth); gracious be the cows yielding red milk; gracious be the earth cleaving apart.

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    Translation

    May this trembling earth be source of peace for us and may be free from disturbance whatever is called the stroke of flaming meteor, the atmospheric phenomenon. May the twelve Adityas, the months of a year (Gavah) which are the source of causing red water, the blood in the bodies be free from troubles for us and may the earth sliding and sinking be source of peace for us.

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    Translation

    May the trembling earth (due to earth-quake) be gracious to us. May the flaming meteor, striking the earth with a force, be peaceful to us. May the cows, with red milk (due to some disease) be comfortable to us. May the sinking earth be peaceful to us.

    Footnote

    All prayers in this verse can be fulfilled only when we know fully well how to ward off these natural calamities.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ८−(शम्) शान्तिप्रदा (नः) अस्मभ्यम् (भूमिः) (वेप्यमाना) कम्पमाना (शम्) (उल्का) उल दाहे-क प्रत्ययः, विभक्तेर्डा। उल्काभिः। रेखाकारे गगनात् पतत्तेजःपुञ्जैः (निर्हतम्) विनष्टम् (च) (यत्) यत् किञ्चित् (शम्) (गावः) धेनवः (लोहितक्षीराः) रुधिरयुक्तदुग्धोपेताः (शम्) (भूमिः) (अवतीर्यतीः) तॄ प्लवनतरणयोः−शतृ, ङीप्। बहुवचनं छान्दसम्। अवतीर्यती। अवतीर्यमाणा जलबाहुल्येनाधोगमना ॥

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