ऋग्वेद - मण्डल 8/ सूक्त 22/ मन्त्र 17
आ नो॒ अश्वा॑वदश्विना व॒र्तिर्या॑सिष्टं मधुपातमा नरा । गोम॑द्दस्रा॒ हिर॑ण्यवत् ॥
स्वर सहित पद पाठआ । नः॒ । अश्व॑ऽवत् । अ॒श्वि॒ना॒ । व॒र्तिः । या॒सि॒ष्ट॒म् । म॒धु॒ऽपा॒त॒मा॒ । न॒रा॒ । गोऽम॑त् । द॒स्रा॒ । हिर॑ण्यऽवत् ॥
स्वर रहित मन्त्र
आ नो अश्वावदश्विना वर्तिर्यासिष्टं मधुपातमा नरा । गोमद्दस्रा हिरण्यवत् ॥
स्वर रहित पद पाठआ । नः । अश्वऽवत् । अश्विना । वर्तिः । यासिष्टम् । मधुऽपातमा । नरा । गोऽमत् । दस्रा । हिरण्यऽवत् ॥ ८.२२.१७
ऋग्वेद - मण्डल » 8; सूक्त » 22; मन्त्र » 17
अष्टक » 6; अध्याय » 2; वर्ग » 8; मन्त्र » 2
Acknowledgment
अष्टक » 6; अध्याय » 2; वर्ग » 8; मन्त्र » 2
Acknowledgment
भाष्य भाग
संस्कृत (2)
पदार्थः
(मधुपातमा) हे अत्यन्तमधुपानशीलौ (नरा) नेतारौ (दस्रा) दर्शनीयौ (अश्विना) व्यापकगती ! (नः) अस्माकम् (वर्तिः) गृहम् (अश्वावत्) अश्वैर्युक्तम् (गोमत्) गवादियुक्तम् (हिरण्यवत्) सुवर्णमुद्राभूषणादियुक्तं संपाद्य (आयासिष्टम्) आयातम् ॥१७॥
विषयः
पुनस्तदनुवर्तते ।
पदार्थः
हे मधुपातमा=मधुपातमौ=मधूनां मधुराणां पदार्थानामतिशयेन पातारौ=रक्षितारौ । हे दस्रा=दस्रौ=दर्शनीयौ । अश्विना=राजानौ । नोऽस्माकम् । वर्तिः=गृहम् । आयासिष्टम्=आगतवन्तौ । तथा । अश्वावद्=अश्वयुक्तम् । गोमद्=गोयुक्तम् । हिरण्यवद्=हिरण्ययुक्तम् । धनञ्च दत्तवन्तौ । इति युवयोर्महती कृपास्ति ॥१७ ॥
हिन्दी (4)
पदार्थ
(मधुपातमा) हे अत्यन्त सोमपान करनेवाले (नरा) नेता (दस्रा) दर्शनीय (अश्विना) व्यापक गतिवाले ! आप (नः) हमारे (वर्तिः) गृह को (अश्वावत्) अश्वयुक्त (गोमत्) गोयुक्त (हिरण्यवत्) हिरण्यवत्=सुवर्णमय भूषण वा मुद्राओं सहित (आयासिष्टम्) आवें ॥१७॥
भावार्थ
हे दर्शनीय नेताओ ! आप हमारे यज्ञसदन को प्राप्त होकर हमें गौ तथा अश्वादि पशु अन्न और सुवर्णादि धन देकर सम्पत्तिशाली करें, ताकि हम प्रजाहितकारक कार्य्यों में दत्तचित्त होकर सफलता प्राप्त करते हुए अपने मनोरथ पूर्ण कर सकें ॥१७॥
विषय
पुनः वही विषय आ रहा है ।
पदार्थ
(मधुपातमा) हे मधुर पदार्थों के अतिशय रक्षक (दस्रा) हे दर्शनीय (अश्विना) राजन् तथा न्यायाधीशादि ! आप दोनों (नः) हमारे (वर्तिः) गृह पर (आ+यासिष्टम्) आये और आकर (अश्वावत्) अश्वयुक्त (गोमत्) गोयुक्त तथा (हिरण्यवत्) सुवर्णयुक्त धन भी दिया । अतः आपकी यह महती कृपा है ॥१७ ॥
भावार्थ
राजा, यदि उदारता दिखलावें, तो उनको हृदय से धन्यवाद देना चाहिये । यह शिक्षा इससे देते हैं ॥१७ ॥
विषय
missing
भावार्थ
( मधु-पातमा ) मधुर अन्न जल, आदि हर्षदायक पदार्थ और ज्ञान के उपभोग और रक्षा करने वाले ( नरा ) उत्तम स्त्री पुरुषो ! हे ( अश्विना ) जितेन्द्रिय जनो ! आप दोनों ( नः ) हमारे ( अश्वावत् ) अश्वों, ( गोमद् ) गौओं और ( हिरण्यवत् ) सुवर्ण से समृद्ध ( वर्त्तिः ) गृह में ( आ यासिष्टम् ) आओ, और हमारा आतिथ्य स्वीकार करो।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
सोभरिः काण्व ऋषिः॥ अश्विनौ देवते॥ छन्दः—१ विराङ् बृहती। ३, ४ निचृद् बृहती। ७ बृहती पथ्या। १२ विराट् पंक्ति:। ६, १६, १८ निचृत पंक्ति:। ४, १० सतः पंक्तिः। २४ भुरिक पंक्ति:। ८ अनुष्टुप्। ९,११, १७ उष्णिक्। १३ निचुडुष्णिक्। १५ पादनिचृदुष्णिक्। १२ निचृत् त्रिष्टुप्॥ अष्टादशर्चं सूक्तम्॥
विषय
मधुपातमा नरा [अश्विना]
पदार्थ
[१] हे (अश्विना) = प्राणापानो! आप (नः) = हमारे लिये (अश्वावदत्) = प्रशस्त कर्मेन्द्रियोंवाले [अनुवते कर्मसु ] (वर्तिः) = शरीर गृह को (आ यासिष्टम्) = सर्वथा प्राप्त कराओ। आप (मधुपातमा) = शरीर में अतिशयेन सोम [मधु] का रक्षण करनेवाले हैं और इस प्रकार (नरा) = हमें उन्नतिपथ पर आगे और आगे ले चलनेवाले हैं। [२] हे (दस्त्रा) = सब दुःखों व दारिद्र्यों का उपक्षय करनेवाले प्राणापानो! आप हमारे लिये (गोमत्) = [गमयन्ति अर्थान्] प्रशस्त ज्ञानेन्द्रियोंवाले तथा (हिरण्यवत्) = [हिरण्यं वै ज्योति:] ज्योतिर्मय ज्ञान की ज्योतिवाले शरीर गृह को प्राप्त कराइये।
भावार्थ
भावार्थ- प्राणसाधना से शरीर में सोम का रक्षण होकर सब प्रकार की उन्नति होती है। ये हमारे शरीर को 'उत्तम कर्मेन्द्रियों, ज्ञानेन्द्रियों व ज्ञान ज्योति' वाला बनाते हैं।
इंग्लिश (1)
Meaning
Ashvins, mighty blissful complementary twin powers of humanity in the social order, leading lights of life, commanding wealth of cows and horses, lands, culture and advancement, givers of success in high attainment, greatest protectors and promoters of the honey sweets of life and golden wealth of the world, come and bless us with the wealth we pray for.
मराठी (1)
भावार्थ
राजाने उदारता दर्शविल्यास त्याला अंत:करणपूर्वक धन्यवाद द्यावा. ही शिकवण यात आहे. ॥१७॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal