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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 47 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 47/ मन्त्र 8
    ऋषिः - इरिम्बिठिः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-४७
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    आ त्वा॑ ब्रह्म॒युजा॒ हरी॒ वह॑तामिन्द्र के॒शिना॑। उप॒ ब्रह्मा॑णि नः शृणु ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ । त्वा॒ । ब्र॒ह्म॒ऽयुजा॑ । हरी॒ इति॑ । वह॑ताम् । इ॒न्द्र॑ । के॒शिना॑ ॥ उप0951ग । ब्रह्मा॑णि । न॒: । शृ॒णु॒ ॥४७.८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आ त्वा ब्रह्मयुजा हरी वहतामिन्द्र केशिना। उप ब्रह्माणि नः शृणु ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आ । त्वा । ब्रह्मऽयुजा । हरी इति । वहताम् । इन्द्र । केशिना ॥ उप0951ग । ब्रह्माणि । न: । शृणु ॥४७.८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 47; मन्त्र » 8
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (इन्द्र) हे इन्द्र ! [बड़े ऐश्वर्यवाले राजन्] (ब्रह्मयुजा) धन के लिये जोड़े गये, (केशिना) सुन्दर केशों [कन्धे आदि के बालों] वाले (हरी) रथ ले चलनेवाले दो घोड़ों [के समान बल और पराक्रम] (त्वा) तुझको (आ) सब ओर (वहताम्) ले चलें। (नः) हमारे (ब्रह्माणि) वेदज्ञानों को (उप) आदर से (शृणु) तू सुन ॥८॥

    भावार्थ

    जैसे उत्तम बलवान् घोड़े रथ को ठिकाने पर पहुँचाते हैं, वैसे ही राजा वेदोक्त मार्ग पर चलकर अपने बल और पराक्रम से राज्यभार उठाकर प्रजापालन करे ॥८॥

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    विषय

    ब्रह्मयुजा केशिना' हरी

    पदार्थ

    १. हे (इन्द्र) = परमैश्वर्यशाली प्रभो! (त्वा) = आपको (हरी) = वे इन्द्रियाश्व (आवहताम्) = हमारे लिए प्राप्त कराएँ, जोकि (ब्रह्मयुजा) = ज्ञान के साथ मेलवाले हैं और अतएव प्रकाश की (केशिना) = रश्मियोंवाले हैं। २. हे प्रभो! आप (उप) = समीपता से (न:) = हमसे उच्चरित (ब्रह्माणि) = ज्ञानपूर्वक स्तुतिवचनों को (शृणु) = सुनिए।

    भावार्थ

    हम इन्द्रियों द्वारा ज्ञान प्राप्त करते हुए प्रकाश की रश्मियों से दीस जीवनवाले बनें। हम ज्ञानपूर्वक प्रभु के स्तोत्रों का उच्चारण करें। यही प्रभु-प्राप्ति का मार्ग है।

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    भाषार्थ

    (इन्द्र) हे परमेश्वर! (ब्रह्मयुजा) आप ब्रह्म के साथ मुझे जोड़ देनेवाले, (केशिना) ज्ञान का प्रकाश करनेवाले (हरी) विषयों से चित्त को हर लेनेवाले ऋक् और साम, अर्थात् स्तुतियों और सामगान (त्वा) आपको (आ वहताम्) हमें प्राप्त कराएँ। हे परमेश्वर! (उप) समीप होकर, हमारे हृदयों में प्रकट होकर, (नः) हमारी (ब्रह्माणि) ब्रह्म-प्रतिपादक स्तुतियाँ (शृणु) सुनिए।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Indra Devata

    Meaning

    Let the radiant waves of cosmic energy engaged in the service of divinity bring you here. Pray listen to our songs of prayer and adoration.

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    Translation

    O God Almighty, may two men (Hari) celebrated with spiritual knowledge and intention (the mystic and man of austerity) and who are illumined with rays of internal Spirit attain you in their hearts. You hear my invocations and prayers.

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    Translation

    O God Almighty, may two men (Hari) celebrated with spiritual knowledge and intention (the mystic and man of austerity) and who are illumined with rays of internal spirit attain you in their hearts. You hear my invocations and prayers.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    রাজপ্রজাকর্তব্যোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (ইন্দ্র) হে ইন্দ্র ! [অত্যন্ত ঐশ্বর্যসম্পন্ন রাজন্] (ব্রহ্ময়ুজা) ধনের জন্য সংযোজিত, (কেশিনা) প্রশস্ত কেশযুক্ত (হরী) রথ বহনকারী দুই ঘোড়া [এর সমান বল এবং পরাক্রম] (ত্বা) তোমাকে (আ) সবদিকে (বহতাম্) নিয়ে চলুক/বহন করুক। (নঃ) আমাদের (ব্রহ্মাণি) বেদজ্ঞান (উপ) আদরপূর্বক (শৃণু) তুমি শ্রবণ করো ॥৮॥

    भावार्थ

    শ্রেষ্ঠ শক্তিশালী ঘোড়া যেমন রথকে গন্তব্যে নিয়ে যায়, তেমনই রাজা বেদোক্ত মার্গ অনুসরণ করে নিজের শক্তি এবং সামর্থ্য দ্বারা রাজ্যের ভার নিয়ে প্রজাদের পালন করুক ॥৮॥

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    भाषार्थ

    (ইন্দ্র) হে পরমেশ্বর! (ব্রহ্ময়ুজা) আপনার [ব্রহ্মের] সাথে আমাকে সংযুক্তকারী, (কেশিনা) জ্ঞান প্রকাশকারী (হরী) বিষয়-সমূহ থেকে চিত্ত হরণকারী ঋক্ এবং সাম, অর্থাৎ স্তুতি-সমূহ এবং সামগান (ত্বা) আপনাকে (আ বহতাম্) আমাদের প্রাপ্ত করায়। হে পরমেশ্বর! (উপ) সমীপ হয়ে, আমাদের হৃদয়ে প্রকট হয়ে, (নঃ) আমাদের (ব্রহ্মাণি) ব্রহ্ম-প্রতিপাদক স্তুতি-সমূহ (শৃণু) শ্রবণ করুন।

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