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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 47 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 47/ मन्त्र 9
    ऋषिः - इरिम्बिठिः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-४७
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    ब्र॒ह्माण॑स्त्वा व॒यं यु॒जा सो॑म॒पामि॑न्द्र सो॒मिनः॑। सु॒ताव॑न्तो हवामहे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ब्र॒ह्माण॑: । त्वा॒ । व॒यम् । यु॒जा । सो॒म॒ऽपाम् । इ॒न्द्र॒ । सो॒मिन॑: । सु॒तऽव॑न्त: । ह॒वा॒म॒हे॒ ॥४७.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ब्रह्माणस्त्वा वयं युजा सोमपामिन्द्र सोमिनः। सुतावन्तो हवामहे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ब्रह्माण: । त्वा । वयम् । युजा । सोमऽपाम् । इन्द्र । सोमिन: । सुतऽवन्त: । हवामहे ॥४७.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 47; मन्त्र » 9
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (इन्द्र) हे इन्द्र ! [बड़े ऐश्वर्यवाले राजन्] (सोमपाम्) ऐश्वर्य के रक्षक (त्वा) तुझको (युजा) मित्रता के साथ (ब्रह्माणः) वेद जाननेवाले, (सोमिनः) ऐश्वर्यवाले, (सुतावन्तः) उत्तम पुत्र आदि सन्तानोंवाले (वयम्) हम (हवामहे) बुलाते हैं ॥९॥

    भावार्थ

    जिस राजा के सुप्रबन्ध से प्रजागण ज्ञानवान्, धनवान्, और सुशिक्षित सन्तानवाले होवें, उसको मित्र जानकर सदा स्मरण करें ॥९॥

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    विषय

    [ज्ञानी] सोमिनः [सोमरक्षक] सुतावन्तः [यज्ञशील]

    पदार्थ

    १. (ब्रह्माण:) = ज्ञान को वाणियोंवाले (वयम्) = हम (युजा) = योग के द्वारा-चितवृत्ति-निरोध के द्वारा (त्वा) = आपको (हवामहे) = पुकारते हैं। हे (इन्द्र) = शत्रुओं का विद्रावण करनेवाले प्रभो! (सोमिन:) = प्रशस्त सोमवाले-सोम को सुरक्षित करनेवाले हम (सोमपाम्) = सोम के रक्षक आपको पुकारते हैं। २. हे प्रभो। (सुतावन्तः) = प्रशस्त यज्ञोवाले हम आपको पुकारते हैं।

    भावार्थ

    प्रभु-प्राप्ति के तीन साधन हैं [१] ज्ञान को प्राप्त करना [२] सोम का रक्षण व [३] यज्ञशीलता। अगले तीन मन्त्रों का ऋषि मधुच्छन्दा: है-अत्यन्त मधुर इच्छाओंवाला। यह कहता है -

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    भाषार्थ

    (इन्द्र) हे परमेश्वर! (वयम्) हम (ब्रह्माणः) ब्रह्म के उपासक, (सोमिनः) भक्तिरस की भेंट लिए हुए, (सुतावन्तः युजाः) सन्तानों समेत, (सोमपां त्वा) भक्तिरस के रसिक आपको (हवामहे) पुकार रहे हैं।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Indra Devata

    Meaning

    Dedicated to divinity and the divine voice, meditating on the divine presence with concentrated mind and soul, living in truth the beauty of life and ex¬ pressing the ecstasy of soma, we invoke and wait for Indra, original maker and lover of soma, to come and bless us.

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    Translation

    We, the master of the vedic learnings, endowed with the attainments of mysticism (Yajna sominah) and blessed with children, invoke you, the guardian of knowledge.

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    Translation

    We, the master of the vedic learning’s, endowed with the attainments of mysticism (Yajna sominah) and blessed with children, invoke you, the guardian of knowledge.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    রাজপ্রজাকর্তব্যোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (ইন্দ্র) হে ইন্দ্র ! [অন্ত্যন্ত ঐশ্বর্যসম্পন্ন রাজা] (সোমপাম্) ঐশ্বর্যের রক্ষক (ত্বা) তোমাকে (যুজা) মিত্রতার সহিত (ব্রহ্মাণঃ) বেদজ্ঞানী, (সোমিনঃ) ঐশ্বর্যযুক্ত, (সুতাবন্তঃ) উত্তম পুত্রাদি [সন্তান] সম্পন্ন (বয়ম্) আমি (হবামহে) আহ্বান করছি॥৯॥

    भावार्थ

    যে রাজার সুব্যবস্থা দ্বারা প্রজাগণ জ্ঞানবান্, ধনবান এবং সুশিক্ষিত সন্তানসম্পন্ন হয়, প্রজাগণ তাঁকে মিত্রসমান জেনে সদা স্মরণ করুক॥৯॥

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    भाषार्थ

    (ইন্দ্র) হে পরমেশ্বর! (বয়ম্) আমরা (ব্রহ্মাণঃ) ব্রহ্মের উপাসক, (সোমিনঃ) ভক্তিরসের গ্রহণকারী, (সুতাবন্তঃ যুজাঃ) সন্তানদের সমেত, (সোমপাং ত্বা) ভক্তিরস স্বীকারকারী আপনাকে (হবামহে) আহ্বান করছি।

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