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अथर्ववेद के काण्ड - 9 के सूक्त 7 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 7/ मन्त्र 14
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - गौः छन्दः - साम्नी बृहती सूक्तम् - गौ सूक्त
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    न॒दी सू॒त्री व॒र्षस्य॒ पत॑य॒ स्तना॑ स्तनयि॒त्नुरूधः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    न॒दी । सू॒त्री । व॒र्षस्य॑ । पत॑य: । स्तना॑: । स्त॒न॒यि॒त्नु: । ऊध॑: ॥१२.१४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नदी सूत्री वर्षस्य पतय स्तना स्तनयित्नुरूधः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    नदी । सूत्री । वर्षस्य । पतय: । स्तना: । स्तनयित्नु: । ऊध: ॥१२.१४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 14
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    सृष्टि की धारणविद्या का उपदेश।

    पदार्थ

    [सृष्टि में] (नदी) नदी (सूत्री) जन्मदात्री [नाड़ी], (वर्षस्य पतयः) वर्षा के रक्षक [मेघ] (स्तनः) स्तन [दूध के आधार], (स्तनयित्नुः) गर्जन (ऊधः) भेड़ [दूध के छिद्र स्थान के समान है] ॥१४॥

    भावार्थ

    सृष्टि और शरीर के अवयवों का परस्पर सम्बन्ध स्पष्ट है ॥१४॥

    टिप्पणी

    १४−(नदी) सरित् (सूत्री) अमिचिमिशसिभ्यः क्त्रः। उ० ४।—१६४। षूङ् प्राणिगर्भविमोचने−क्त्र, ङीप्। उत्पादयित्री नाडी (वर्षस्य पतयः) वृष्टिरक्षका मेघाः (स्तनाः) दुग्धाधाराः (स्तनयित्नुः) अ० ४।१५।११। गर्जनम् (ऊधः) अ० ४।११।४। आपीनम् ॥

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    विषय

    नदी से निधन तक

    पदार्थ

    १. (नदी सूत्री) = नदी इस वेदधेनु की सूत्री [जन्म देनेवाली नाड़ी], (वर्षस्य पतय:) = वृष्टि के पालक मेघ (स्तना:) = स्तन हैं, (स्तनयित्नुः ऊधः) = गर्जनशील मेघ ऊधस् [औड़ी] है। (विश्वव्यचा:) = सर्वव्यापक आकाश (चर्म) = चमड़ा है, (ओषधयः लोमानि) = ओषधियाँ लोम हैं, (नक्षत्राणि रूपम्) = नक्षत्र उसके रूप, अर्थात् देह पर चितकबरे चिह्न हैं। २. (देवजना:) = देवजन [ज्ञानी लोग] (गुदा:) = गुदा हैं, (मनुष्याः आन्द्राणि) = मननशील मनुष्य उसकी आते हैं, (अत्ताः उदरम्) = अन्य खाने-पीनेवाले प्राणी उसके उदर हैं, (रक्षांसि लोहितम्) = राक्षस लोग रुधिर हैं, (इतरजना: ऊबध्यम्) = इतर जन अनपचे अन्न के समान हैं, (अभ्रम्) = मेघ (पीव:) = मेदस् [चर्बी] हैं, (निधनम्) = निधन (मज्जा) = मज्जा है [निधन-यज्ञ का अन्तिम प्रसाद]।

    भावार्थ

    वह वेदवाणी 'नदियों व निधन' सबका प्रतिपादन कर रही है।

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    भाषार्थ

    (नदी) नदी है (सूत्री) नाभिनाल, (वर्षस्य पतयः) वर्षा के पति हैं (स्तनाः) स्तनः, (स्तनयित्नु:) गर्जता मेघ है (ऊधः) दुग्धाशय।

    टिप्पणी

    [नदी, वर्षस्य पतयः और स्तनयित्नु हैं विश्व के अङ्ग। और सूत्री, स्तनाः और ऊधः हैं गौ के अङ्ग। इनमें परस्पर तादात्म्य दर्शाया है]।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Cow: the Cosmic Metaphor

    Meaning

    Streams are the umbilical cord, clouds of rain are breasts, thunder is the udders.

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    Translation

    River is the spermatic cord (sütri), the lords of rain the teats, and thunder-cloud (stanayitru) the udder (udhah).

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    Translation

    The river is like the womb, clouds are like its breasts and the thunder is like udder.

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    Translation

    The river is the womb, the clouds, the lords of rain are the breasts, the thunder is the udder.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १४−(नदी) सरित् (सूत्री) अमिचिमिशसिभ्यः क्त्रः। उ० ४।—१६४। षूङ् प्राणिगर्भविमोचने−क्त्र, ङीप्। उत्पादयित्री नाडी (वर्षस्य पतयः) वृष्टिरक्षका मेघाः (स्तनाः) दुग्धाधाराः (स्तनयित्नुः) अ० ४।१५।११। गर्जनम् (ऊधः) अ० ४।११।४। आपीनम् ॥

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