अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 7/ मन्त्र 17
रक्षां॑सि॒ लोहि॑तमितरज॒ना ऊब॑ध्यम् ॥
स्वर सहित पद पाठरक्षां॑सि । लोहि॑तम् । इ॒त॒र॒ऽज॒ना: । ऊब॑ध्यम् ॥१२.१७॥
स्वर रहित मन्त्र
रक्षांसि लोहितमितरजना ऊबध्यम् ॥
स्वर रहित पद पाठरक्षांसि । लोहितम् । इतरऽजना: । ऊबध्यम् ॥१२.१७॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
सृष्टि की धारणविद्या का उपदेश।
पदार्थ
(रक्षांसि) राक्षस [दुष्ट जीव] (लोहितम्) रुधिर रोग, (इतरजनाः) पामर लोग (ऊबध्यम्) कुपचे अन्न [के समान हैं] ॥१७॥
भावार्थ
मन्त्र १४ के समान है ॥१७॥
टिप्पणी
१७−(रक्षांसि) दुष्टजीवाः (लोहितम्) अ० ६।१२७।१। रुधिरविकारः (इतरजनाः) अ० ८।१०(५)।९। पामराः (ऊबध्यम्) अ० ९।४।१६। अजीर्णमन्नम् ॥
विषय
नदी से निधन तक
पदार्थ
१. (नदी सूत्री) = नदी इस वेदधेनु की सूत्री [जन्म देनेवाली नाड़ी], (वर्षस्य पतय:) = वृष्टि के पालक मेघ (स्तना:) = स्तन हैं, (स्तनयित्नुः ऊधः) = गर्जनशील मेघ ऊधस् [औड़ी] है। (विश्वव्यचा:) = सर्वव्यापक आकाश (चर्म) = चमड़ा है, (ओषधयः लोमानि) = ओषधियाँ लोम हैं, (नक्षत्राणि रूपम्) = नक्षत्र उसके रूप, अर्थात् देह पर चितकबरे चिह्न हैं। २. (देवजना:) = देवजन [ज्ञानी लोग] (गुदा:) = गुदा हैं, (मनुष्याः आन्द्राणि) = मननशील मनुष्य उसकी आते हैं, (अत्ताः उदरम्) = अन्य खाने-पीनेवाले प्राणी उसके उदर हैं, (रक्षांसि लोहितम्) = राक्षस लोग रुधिर हैं, (इतरजना: ऊबध्यम्) = इतर जन अनपचे अन्न के समान हैं, (अभ्रम्) = मेघ (पीव:) = मेदस् [चर्बी] हैं, (निधनम्) = निधन (मज्जा) = मज्जा है [निधन-यज्ञ का अन्तिम प्रसाद]।
भावार्थ
वह वेदवाणी 'नदियों व निधन' सबका प्रतिपादन कर रही है।
भाषार्थ
(रक्षांसि) राक्षसस्वभाव के लोग हैं (लोहितम्) गौ का खून, (इतरजनाः) उपर्युक्त कथितों से भिन्न लोग हैं, (ऊबध्यम्) गौ का गोबररूप, सामाजिक जीवन में अल्पोपयोगी।
टिप्पणी
[राक्षस खूनी स्वभाव वाले होते हैं, अतः इन्हें खून कहा है]
इंग्लिश (4)
Subject
Cow: the Cosmic Metaphor
Meaning
Ogres are the blood, the rest of the peope are the dung.
Translation
The demoniac persons (raksansi) are his blood, and otherfolks (itara-janah) his undigested food in the bowels.
Translation
Rakshaas are like its blood while other folk are the contents of its stomach.
Translation
Devils are the blood, low, wicked, stupid persons are the undigested contents of the stomach.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१७−(रक्षांसि) दुष्टजीवाः (लोहितम्) अ० ६।१२७।१। रुधिरविकारः (इतरजनाः) अ० ८।१०(५)।९। पामराः (ऊबध्यम्) अ० ९।४।१६। अजीर्णमन्नम् ॥
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