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अथर्ववेद के काण्ड - 9 के सूक्त 7 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 7/ मन्त्र 17
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - गौः छन्दः - साम्न्युष्णिक् सूक्तम् - गौ सूक्त
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    रक्षां॑सि॒ लोहि॑तमितरज॒ना ऊब॑ध्यम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    रक्षां॑सि । लोहि॑तम् । इ॒त॒र॒ऽज॒ना: । ऊब॑ध्यम् ॥१२.१७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    रक्षांसि लोहितमितरजना ऊबध्यम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    रक्षांसि । लोहितम् । इतरऽजना: । ऊबध्यम् ॥१२.१७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 17
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    हिन्दी (3)

    विषय

    सृष्टि की धारणविद्या का उपदेश।

    पदार्थ

    (रक्षांसि) राक्षस [दुष्ट जीव] (लोहितम्) रुधिर रोग, (इतरजनाः) पामर लोग (ऊबध्यम्) कुपचे अन्न [के समान हैं] ॥१७॥

    भावार्थ

    मन्त्र १४ के समान है ॥१७॥

    टिप्पणी

    १७−(रक्षांसि) दुष्टजीवाः (लोहितम्) अ० ६।१२७।१। रुधिरविकारः (इतरजनाः) अ० ८।१०(५)।९। पामराः (ऊबध्यम्) अ० ९।४।१६। अजीर्णमन्नम् ॥

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    विषय

    नदी से निधन तक

    पदार्थ

    १. (नदी सूत्री) = नदी इस वेदधेनु की सूत्री [जन्म देनेवाली नाड़ी], (वर्षस्य पतय:) = वृष्टि के पालक मेघ (स्तना:) = स्तन हैं, (स्तनयित्नुः ऊधः) = गर्जनशील मेघ ऊधस् [औड़ी] है। (विश्वव्यचा:) = सर्वव्यापक आकाश (चर्म) = चमड़ा है, (ओषधयः लोमानि) = ओषधियाँ लोम हैं, (नक्षत्राणि रूपम्) = नक्षत्र उसके रूप, अर्थात् देह पर चितकबरे चिह्न हैं। २. (देवजना:) = देवजन [ज्ञानी लोग] (गुदा:) = गुदा हैं, (मनुष्याः आन्द्राणि) = मननशील मनुष्य उसकी आते हैं, (अत्ताः उदरम्) = अन्य खाने-पीनेवाले प्राणी उसके उदर हैं, (रक्षांसि लोहितम्) = राक्षस लोग रुधिर हैं, (इतरजना: ऊबध्यम्) = इतर जन अनपचे अन्न के समान हैं, (अभ्रम्) = मेघ (पीव:) = मेदस् [चर्बी] हैं, (निधनम्) = निधन (मज्जा) = मज्जा है [निधन-यज्ञ का अन्तिम प्रसाद]।

    भावार्थ

    वह वेदवाणी 'नदियों व निधन' सबका प्रतिपादन कर रही है।

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    भाषार्थ

    (रक्षांसि) राक्षसस्वभाव के लोग हैं (लोहितम्) गौ का खून, (इतरजनाः) उपर्युक्त कथितों से भिन्न लोग हैं, (ऊबध्यम्) गौ का गोबररूप, सामाजिक जीवन में अल्पोपयोगी।

    टिप्पणी

    [राक्षस खूनी स्वभाव वाले होते हैं, अतः इन्हें खून कहा है]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Cow: the Cosmic Metaphor

    Meaning

    Ogres are the blood, the rest of the peope are the dung.

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    Translation

    The demoniac persons (raksansi) are his blood, and otherfolks (itara-janah) his undigested food in the bowels.

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    Translation

    Rakshaas are like its blood while other folk are the contents of its stomach.

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    Translation

    Devils are the blood, low, wicked, stupid persons are the undigested contents of the stomach.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १७−(रक्षांसि) दुष्टजीवाः (लोहितम्) अ० ६।१२७।१। रुधिरविकारः (इतरजनाः) अ० ८।१०(५)।९। पामराः (ऊबध्यम्) अ० ९।४।१६। अजीर्णमन्नम् ॥

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