अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 130/ मन्त्र 19
ऋषिः -
देवता - प्रजापतिः
छन्दः - प्राजापत्या गायत्री
सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
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अथो॒ श्वा अस्थि॑रो भवन् ॥
स्वर सहित पद पाठअथो॑ । श्वा । अस्थि॑र: । भवन् ॥१३०.१९॥
स्वर रहित मन्त्र
अथो श्वा अस्थिरो भवन् ॥
स्वर रहित पद पाठअथो । श्वा । अस्थिर: । भवन् ॥१३०.१९॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।
पदार्थ
(अथो) अथवा (श्वा) कुत्ते [के समान] (अस्थिरः) चञ्चल स्वभाववाला (भवन्) होता हुआ ॥१९॥
भावार्थ
विद्वान् लोग गुणवती स्त्री के सन्तानों को उत्तम शिक्षा देकर महान् विद्वान् और उद्योगी बनावें। ऐसा न करने से बालक निर्गुणी और पीड़ादायक होकर कुत्ते के समान अपमान पाते हैं ॥१-२०॥
टिप्पणी
१९−(अथो) पक्षान्तरे। अथवा (श्वा) श्वन्नुक्षन्पूषन्०। उ० १।१९। टुओश्वि गतिवृद्ध्योः-कनिन्। कुक्कुरो यथा (अस्थिरः) चञ्चलप्रकृतिः (भवन्) सन् ॥
विषय
भोगप्रवणता व विनाश
पदार्थ
१. (अथ उ) = अब यदि निश्चय से (श्वा) = [शिव गतिवृद्ध्योः ] गतमन्त्र में वर्णित गति के द्वारा प्रवृद्ध ऐश्वर्यवाला यह व्यक्ति (अस्थिर:) = न स्थिर मनोवृत्तिवाला-चंचलवृत्तिवाला-भोगप्रवण (भवन) = होता है तो (उयम्) = दुःख की बात है कि निश्चय से ही [Alas, certainly] यह भोगासक्त पुरुष (यक-अंश-लोक का) = [यकन्-जिगर, अंश-विभाजने, लोक दर्शने] जिगर को टुकड़े टुकड़े होते हुए देखनेवाला होता है।
भावार्थ
धन के कारण भोगप्रवणता मनुष्य को अन्तत: विनाश व निराशा की ओर ले जाती है।
भाषार्थ
(अथ उ) और (श्वा भवन्) कुत्ता बन कर, (अस्थिरः) अस्थिर-प्रकृतिवाला हो जाता है।
इंग्लिश (4)
Translation
Or he be smart and active like dog.
Translation
Or he be smart and active like dog.
Translation
Shear it off. Completely shatter it (i.e., the evil).
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१९−(अथो) पक्षान्तरे। अथवा (श्वा) श्वन्नुक्षन्पूषन्०। उ० १।१९। टुओश्वि गतिवृद्ध्योः-कनिन्। कुक्कुरो यथा (अस्थिरः) चञ्चलप्रकृतिः (भवन्) सन् ॥
बंगाली (2)
मन्त्र विषय
মনুষ্যপুরুষার্থোপদেশঃ
भाषार्थ
(অথো) অথবা (শ্বা) কুকুর [এর মতো] (অস্থিরঃ) চঞ্চল প্রকৃতির (ভবন্) হয় ॥১৯॥
भावार्थ
বিদ্বানগণ গুণবতী স্ত্রী-এর সন্তানদের উত্তম শিক্ষাদান করে মহান বিদ্বান এবং উদ্যোগী করুক। এমনটা না করলে বালকরা/শিশুরা নির্গুণী এবং পীড়াদায়ক হয়ে কুকুরের সমান অপমানিত হয়।।১৫-২০॥
भाषार्थ
(অথ উ) এবং (শ্বা ভবন্) কুকুর হয়ে, (অস্থিরঃ) অস্থির-প্রকৃতির হয়ে যায়।
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