अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 130/ मन्त्र 6
ऋषिः -
देवता - प्रजापतिः
छन्दः - प्राजापत्या गायत्री
सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
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कुहा॑कं पक्व॒कं पृ॑च्छ ॥
स्वर सहित पद पाठकुहा॑कम् । पक्व॒कम् । पृ॑च्छ ॥१३०.६॥
स्वर रहित मन्त्र
कुहाकं पक्वकं पृच्छ ॥
स्वर रहित पद पाठकुहाकम् । पक्वकम् । पृच्छ ॥१३०.६॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।
पदार्थ
(कुहाकम्) अद्भुत स्वभाववाले, (पक्वकम्) पक्के [दृढ़ चित्तवाले] से (पृच्छ) पूछ ॥६॥
भावार्थ
मनुष्य विवेकी, क्रियाकुशल विद्वानों से शिक्षा लेता हुआ विद्याबल से चमत्कारी, नवीन-नवीन आविष्कार करके उद्योगी होवे ॥१-६॥
टिप्पणी
६−(कुहाकम्) बहुलमन्यत्रापि। उ० २।३७। कुह विस्मापने-क्वुन्, वृद्धिः। यद्वा, पिनाकादयश्च। उ० ४।१। कुह-आकप्रत्ययः। अद्भुतस्वभावम् (पक्वकम्) दृढचित्तम् (पृच्छ) ॥
विषय
'परि प्रश्न' [परिप्रश्नेन]
पदार्थ
१. एतं पृच्छ गत चार मन्त्रों में वर्णित प्रश्न को तू पूछ। 'वीर्यरक्षण कैसे सम्भव है? उसका क्या लाभ है?' यह प्रश्न तू पूछ। (कुहं पृच्छ) = [कुह विस्मापने] अपने जान से औरों का विस्मापन करनेवाले ज्ञानी से तू इस प्रश्न को पूछ। २. (कुहाकम्) = ज्ञान के द्वारा आश्चर्यित करनेवाले महान् ज्ञानी से तू इस सोमयज्ञ-सम्बन्धी प्रश्न को (पृच्छ) = पूछ। (पक्वकम्) = ज्ञान-परिपक्व व्यक्ति से पूछ। यह परिप्रश्न तेरे ज्ञान का वर्धन करनेवाला होगा।
भावार्थ
हम परिपक्व ज्ञानवाले-आश्चर्यकारक ज्ञानवाले-ज्ञानियों से सोमरक्षण-सम्बन्धी प्रश्नों को पूछकर सोमयज्ञ करनेवाले बनें। शरीर में सुरक्षित सोम हमारे जीवन को शक्तिशाली व आनन्दमय बनाएगा।
भाषार्थ
और उस (कुहाकम्) विस्मय में डाल देनेवाले सद्गुरु से (पृच्छ) पूछ, जो कि (पक्वकम्) परिपक्व बुद्धिवाला है।
टिप्पणी
[कुहाकम्=कुहां विस्मापनं करोतीति। कुहयति विस्मयं कारयतीति “कुहकः” (उणादि कोष २.३८), रामलाल कपूर ट्रस्ट।]
इंग्लिश (4)
Subject
Prajapati
Meaning
Ask this of the veteran man of the mysteries of existence.
Translation
You ask your question to the man who is compitent and mature.
Translation
You ask your question to the man who is competent and mature.
Translation
Even those, with wealth of precious stones, get bereft of these, (and thus become penniless).
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
६−(कुहाकम्) बहुलमन्यत्रापि। उ० २।३७। कुह विस्मापने-क्वुन्, वृद्धिः। यद्वा, पिनाकादयश्च। उ० ४।१। कुह-आकप्रत्ययः। अद्भुतस्वभावम् (पक्वकम्) दृढचित्तम् (पृच्छ) ॥
बंगाली (2)
मन्त्र विषय
মনুষ্যপুরুষার্থোপদেশঃ
भाषार्थ
(কুহাকম্) অদ্ভুত স্বভাবযুক্ত, (পক্বকম্) প্রাজ্ঞকে [দৃঢ় চিত্তের অধিকারীকে] (পৃচ্ছ) জিজ্ঞাসা করো ॥৬॥
भावार्थ
মনুষ্য বিবেকী, ক্রিয়াকুশল বিদ্বানদের থেকে শিক্ষা গ্রহণ করে বিদ্যাবল দ্বারা অবিশ্বাস্য, নতুন-নতুন আবিষ্কার করে উদ্যোগী হোক ॥১-৬॥
भाषार्थ
এবং সেই (কুহাকম্) বিস্ময়ে প্রেরণকারী সদ্গুরুকে (পৃচ্ছ) জিজ্ঞেস করো, যে (পক্বকম্) পরিপক্ব বুদ্ধিসম্পন্ন।
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