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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 130 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 130/ मन्त्र 5
    ऋषिः - देवता - प्रजापतिः छन्दः - प्राजापत्या गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
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    ए॒तं पृ॑च्छ॒ कुहं॑ पृच्छ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ए॒तम् । पृच्छ॒ । कुह॑म् । पृ॑च्छ ॥१३०.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    एतं पृच्छ कुहं पृच्छ ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    एतम् । पृच्छ । कुहम् । पृच्छ ॥१३०.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 130; मन्त्र » 5
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।

    पदार्थ

    (एतम्) इस [प्रश्न] को (कुहम्) अद्भुत स्वभाववाले मनुष्य से (पृच्छ) पूछ, (पृच्छ) पूछ ॥॥

    भावार्थ

    मनुष्य विवेकी, क्रियाकुशल विद्वानों से शिक्षा लेता हुआ विद्याबल से चमत्कारी, नवीन-नवीन आविष्कार करके उद्योगी होवे ॥१-६॥

    टिप्पणी

    −(एतम्) प्रश्नम् (पृच्छ) (कुहम्) कुह विस्मापने-क। अद्भुतस्वभावं पुरुषम् (पृच्छ) ॥

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    विषय

    'परि प्रश्न' [परिप्रश्नेन]

    पदार्थ

    १. एतं पृच्छ गत चार मन्त्रों में वर्णित प्रश्न को तू पूछ। 'वीर्यरक्षण कैसे सम्भव है? उसका क्या लाभ है?' यह प्रश्न तू पूछ। (कुहं पृच्छ) = [कुह विस्मापने] अपने जान से औरों का विस्मापन करनेवाले ज्ञानी से तू इस प्रश्न को पूछ। २. (कुहाकम्) = ज्ञान के द्वारा आश्चर्यित करनेवाले महान् ज्ञानी से तू इस सोमयज्ञ-सम्बन्धी प्रश्न को (पृच्छ) = पूछ। (पक्वकम्) = ज्ञान-परिपक्व व्यक्ति से पूछ। यह परिप्रश्न तेरे ज्ञान का वर्धन करनेवाला होगा।

    भावार्थ

    हम परिपक्व ज्ञानवाले-आश्चर्यकारक ज्ञानवाले-ज्ञानियों से सोमरक्षण-सम्बन्धी प्रश्नों को पूछकर सोमयज्ञ करनेवाले बनें। शरीर में सुरक्षित सोम हमारे जीवन को शक्तिशाली व आनन्दमय बनाएगा।

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    भाषार्थ

    (एतम्) इन उपर्युक्त प्रश्नों को (पृच्छ) पूछ। (कुहम्) किसी विस्मापक अर्थात् विस्मय में डाल देनेवाले सद्गुरु से (पृच्छ) ये प्रश्न पूछ।

    टिप्पणी

    [कुहम्=कुह विस्मापने।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Prajapati

    Meaning

    Ask this of the man of the mystery of life.

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    Translation

    You ask the question and ask the man compitent.

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    Translation

    You ask the question and ask the man competent.

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    Translation

    Even those who are not amenable to anger, become angry, (i.e., lose control over themselves).

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    −(एतम्) प्रश्नम् (पृच्छ) (कुहम्) कुह विस्मापने-क। अद्भुतस्वभावं पुरुषम् (पृच्छ) ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    মনুষ্যপুরুষার্থোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (এতম্) এই [প্রশ্ন] (কুহম্) অদ্ভুত স্বভাবসম্পন্ন মনুষ্যকে (পৃচ্ছ) জিজ্ঞাসা করো, (পৃচ্ছ) জিজ্ঞাসা করো॥৫॥

    भावार्थ

    মনুষ্য বিবেকী, ক্রিয়াকুশল বিদ্বানদের থেকে শিক্ষা গ্রহণ করে বিদ্যাবল দ্বারা অবিশ্বাস্য, নতুন-নতুন আবিষ্কার করে উদ্যোগী হোক ॥১-৬॥

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    भाषार्थ

    (এতম্) এই উপর্যুক্ত প্রশ্ন (পৃচ্ছ) জিজ্ঞেস করো। (কুহম্) কোনো বিস্মাপক অর্থাৎ বিস্ময়ে প্রেরণকারী সদ্গুরুকে (পৃচ্ছ) এই প্রশ্ন জিজ্ঞেস করো।

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