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अथर्ववेद के काण्ड - 10 के सूक्त 3 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 3/ मन्त्र 2
    ऋषिः - अथर्वा देवता - वरणमणिः, वनस्पतिः, चन्द्रमाः छन्दः - भुरिक्त्रिष्टुप् सूक्तम् - सपत्नक्षयणवरणमणि सूक्त
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    प्रैणा॑ञ्छृणीहि॒ प्र मृ॒णा र॑भस्व म॒णिस्ते॑ अस्तु पुरए॒ता पु॒रस्ता॑त्। अवा॑रयन्त वर॒णेन॑ दे॒वा अ॑भ्याचा॒रमसु॑राणां॒ श्वः श्वः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्र । ए॒ना॒न् । शृ॒णी॒हि॒ । प्र । मृ॒ण॒ । आ । र॒भ॒स्व॒ । म॒णि: । ते॒ । अ॒स्तु॒ । पु॒र॒:ऽए॒ता । पु॒रस्ता॑त् । अवा॑रयन्त । व॒र॒णेन॑ । दे॒वा: । अ॒भि॒ऽआ॒चा॒रम् । असु॑राणाम् । श्व:ऽश्व॑: ॥३.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्रैणाञ्छृणीहि प्र मृणा रभस्व मणिस्ते अस्तु पुरएता पुरस्तात्। अवारयन्त वरणेन देवा अभ्याचारमसुराणां श्वः श्वः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    प्र । एनान् । शृणीहि । प्र । मृण । आ । रभस्व । मणि: । ते । अस्तु । पुर:ऽएता । पुरस्तात् । अवारयन्त । वरणेन । देवा: । अभिऽआचारम् । असुराणाम् । श्व:ऽश्व: ॥३.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 10; सूक्त » 3; मन्त्र » 2
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    हिन्दी (3)

    विषय

    सब सम्पत्तियों के पाने का उपदेश।

    पदार्थ

    (एनान्) इनको (प्रशृणीहि) कुचल डाल, (प्रमृण) मार डाल, (आ रभस्व) पकड़ ले, (मणिः) प्रशंसनीय [वैदिक बोध] (ते) तेरा (पुर एता) अगुआ (पुरस्तात्) सामने (अस्तु) होवे। (देवाः) देवताओं [विजयी लोगों] ने (वरणेन) वरण [श्रेष्ठ वैदिक बोध वा वरना औषध] से (असुराणाम्) सुरविरोधी [दुष्टों] के (अभ्याचारम्) विरुद्ध आचरण को (श्वः श्वः) एक आगामी कल से दूसरी कल को (अर्थात् पहिले से ही) (अवारयन्त) रोका था ॥२॥

    भावार्थ

    जैसे दूरदर्शी पूर्वज महात्माओं ने उत्तम ज्ञानों और उत्तम औषधों द्वारा आत्मिक और शारीरिक रोग मिटाये हैं, वैसे ही सब मनुष्य उत्तम गुणों और उत्तम ओषधियों के सेवन से उन्नति करें ॥२॥

    टिप्पणी

    २−(प्र) प्रकर्षेण (एनान्) शत्रून् (शृणीहि) नाशय (प्र) (मृण) (आरभस्व) (मणिः) (ते) तव (अस्तु) (पुर एता) अग्रगामी (पुरस्तात्) अग्रे (अवारयन्त) निवारितवन्तः (वरणेन) म० १। स्वीकरणीयेन। वैदिकबोधेन। वरुणौषधेन (देवाः) विजिगीषवः (अभ्याचारम्) विरुद्धाचरणम् (असुराणाम्) सुरविरोधिनाम् (श्वः श्वः) आगामिन्यागामिनि दिवसे। पूर्वविचारेणेत्यर्थः ॥

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    विषय

    असुरों के अत्याचार से रक्षण

    पदार्थ

    १. (एनान्) = शत्रुभूत रोगादि को (प्रशृणीहि) = नष्ट कर, (प्रमृण) = कुचल दे, (आरभस्व) = इन्हें निग्रहीत कर ले। यह (ते मणि:) = तेरी वीर्यमणि (पुरस्तात्) = सर्वप्रथम (पुरएता अस्तु) = आगे चलनेवाली हो, अर्थात् यह मणि ऊर्ध्व गतिवाली बने। २. (देवा:) = देववृत्ति के पुरुष (वरणेन) = इस वरणमणि के द्वारा-रोगों का निवारण करनेवाली मणि के द्वारा (असुराणाम्) = असुरों के (श्वः श्व:) = कल कल होनेवाले (अभ्याचारम्) = आक्रमणों को (अवारयन्त) = रोकते हैं। इस वीर्यमणि के रक्षण से आसुरभावों का आक्रमण नहीं होता।

    भावार्थ

    हम शरीर में वीर्यमणि को प्रथम स्थान देनेवाले बनें। यह हमें रोगों व आसुरभावों के आक्रमण से बचाए।

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    भाषार्थ

    (एनान्) इन शत्रुओं की (प्र शुणीहि) तू पूर्णतया हिंसा कर (प्र मृण) पूर्णतया इन्हें मार डाल, (आ रमस्व) इन्हें पकड़ ले, (ते) तेरा (मणिः) श्रेष्ठमणिरूप सेनाध्यक्ष (पुरस्तात्) शत्रु के सामने (पुरः एता) सेना से आगे-आगे (अस्तु) चले। (देवाः) विजिगीषु-सैनिक (वरणेन) शत्रुनिवारक इस सेनाध्यक्ष द्वारा (श्वः श्वः) आए दिन या प्रतिदिन होने वाले (असुराणाम्) असुरों के (अभ्याचारम्) अत्याचार को (अवारयन्त) निवारित करते रहे हैं।

    टिप्पणी

    [राजा की उक्ति सेना के सर्वोच्चाधिकारी के प्रति है, तथा वैद्य की उक्ति रोगी के प्रति है। छृणीहि शृणीहि, शृ हिंसायाम् (क्र्यादिः) मणि शब्द= यथा चन्द्रमणिः, राज्यरत्न, चरणकमल, पद्मभूषण आदि की तरह वस्तु की श्रेष्ठता का सूचक है। अवारयन्त तथा वरणः में एक ही धातु है, जिस का अर्थ है निवारण करना। देवाः = दिवु क्रीडा, विजिगीषा आदि (दिवादिः), तथा दिव्यगुणी वैद्यगण। असुराणाम् = प्राणवान् शक्तिमान् शत्रुसैनिक, तथा प्रबल रोग या रोगोत्पादक कारण। श्वः श्वः = इस द्वारा यह दर्शाया है कि सेनाध्यक्ष शत्रुनिवारण में परीक्षित है, तथा वरण-औषध रोग निवारण में परीक्षित है। श्वः श्वः= ह्यः ह्यः= गतेषु दिवसेषु। श्वः = टुओश्वि गतिवृद्ध्योः (भ्वादिः) गत्यर्थ में "गतेषु दिवसेषु" अर्थ उपपन्न हो सकता है। अवारयन्त में भूतकाल प्रतीत होता है, और श्वः श्वः में भविष्यत् काल। अतः श्वः श्वः = ह्यः ह्यः= हीनः कालः। अथवा "अवारयन्त", भूतकाल में निवारित करते रहे हैं, तथा "श्वः श्वः" भविष्यत् काल में भी निवारित करते रहेंगें]।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Warding off Rival Adversaries

    Meaning

    Crush these enemies, destroy them, engage them at once. Let this leading power advance up front. With this technique and strategy, noble people have been fighting out the onslaughts of destructive forces time and again.

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    Translation

    Slay them, crush them, capture them. May this blessing be your leader while moving forward. With the protective blessing the enlightened ones have been warding off the aggressions of the destroyers of life (asuras).

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    Translation

    Let this highly effectual plant be your foremost runner and break into pieces the diseases grasp them and destroy them. With this Varana plant the learned physician Ward off the continuous attack of the harmful diseases.

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    Translation

    O King break them to pieces, grasp them and destroy them. Let Vedic knowledge go before and lead thee. With Vedic knowledge have the sages warded off the daily misdeeds of the wicked.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २−(प्र) प्रकर्षेण (एनान्) शत्रून् (शृणीहि) नाशय (प्र) (मृण) (आरभस्व) (मणिः) (ते) तव (अस्तु) (पुर एता) अग्रगामी (पुरस्तात्) अग्रे (अवारयन्त) निवारितवन्तः (वरणेन) म० १। स्वीकरणीयेन। वैदिकबोधेन। वरुणौषधेन (देवाः) विजिगीषवः (अभ्याचारम्) विरुद्धाचरणम् (असुराणाम्) सुरविरोधिनाम् (श्वः श्वः) आगामिन्यागामिनि दिवसे। पूर्वविचारेणेत्यर्थः ॥

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