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अथर्ववेद के काण्ड - 10 के सूक्त 9 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 9/ मन्त्र 20
    ऋषिः - अथर्वा देवता - शतौदना (गौः) छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - शतौदनागौ सूक्त
    1

    यास्ते॑ ग्री॒वा ये स्क॒न्धा याः पृ॒ष्टीर्याश्च॒ पर्श॑वः। आ॒मिक्षां॑ दुह्रतां दा॒त्रे क्षी॒रं स॒र्पिरथो॒ मधु॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    या: । ते॒ । ग्री॒वा: । ये । स्क॒न्धा: । या: । पृ॒ष्टी: । या: । च॒ । पर्श॑व: । अ॒मिक्षा॑म् । दु॒ह्र॒ता॒म् । दा॒त्रे । क्षी॒रम् । स॒र्पि:। अथो॒ इति॑ । मधु॑ ॥९.२०॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यास्ते ग्रीवा ये स्कन्धा याः पृष्टीर्याश्च पर्शवः। आमिक्षां दुह्रतां दात्रे क्षीरं सर्पिरथो मधु ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    या: । ते । ग्रीवा: । ये । स्कन्धा: । या: । पृष्टी: । या: । च । पर्शव: । अमिक्षाम् । दुह्रताम् । दात्रे । क्षीरम् । सर्पि:। अथो इति । मधु ॥९.२०॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 10; सूक्त » 9; मन्त्र » 20
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    हिन्दी (3)

    विषय

    वेदवाणी की महिमा का उपदेश।

    पदार्थ

    (याः) जो (ते) तेरी (ग्रीवाः) गले की नाड़ियाँ, (ये) जो (स्कन्धाः) कन्धे की हड्डियाँ, (याः) जो (पृष्टीः) छोटी पसलियाँ (च) और (याः) जो (पर्शवः) बड़ी पसलियाँ हैं, वे सब (आमिक्षाम्) आमिक्षा ...... म० १३ ॥२०॥

    भावार्थ

    मन्त्र १३ के समान है ॥२०॥

    टिप्पणी

    २०−(ग्रीवाः) कण्ठस्थनाड्यः (स्कन्धाः) स्कन्धास्थीनि (पृष्टीः) अ० ९।७।६। पार्श्वस्थीनि (पर्शवः) अ० ९।७।६। पार्श्वाधःस्थास्थीनि। अन्यत् स्पष्टम् ॥

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    विषय

    वेदज्ञान व सात्विक अन्न

    पदार्थ

    १. (यत् ते मज्जा) = जो तेरी मज्जा [अस्थि की मींग] है, (यत् अस्थि) = जो हडी है, (यत् मांसम्) = जो मांस है (यत् च लोहितम्) = और जो रुधिर है। (यौ ते बाहू) = जो तेरी भुजाएँ हैं, (ये दोषणी) = जो भुजा के उपरले भाग हैं, (यौ अंसौ) = जो कन्धे है, (या च ते ककुत्) = और जो तेरा कुहान है। (या: ते ग्रीवा:) = जो तेरी गर्दन की हड्डियाँ हैं, (ये स्कन्धा:) = जो तेरे कन्धों की हड्डियाँ हैं, (याः पृष्टी:) = जो पीठ की हड्डियाँ हैं, (याः च पशर्व:) = और जो पसलियाँ हैं। (यौ ते उरू) = जो तेरी जाँचे हैं, (अष्ठीवन्तौ) = जो घुटने हैं, (ये श्रोणी) = जो कूल्हे हैं, (या च ते भसत) = जो तेरा पेड़ है, (यत् ते पुच्छम्) = जो तेरी पूँछ है, (ये ते बाला:) = जो तेरे बाल हैं, (यत् ऊध:) = जो तेरा दुग्धाशय है, (ये च ते स्तना:) = और जो तेरे स्तन हैं। (याः ते जंघा:) = जो तेरी जाँचे है, (याः कुष्ठिका:) = जो कुष्टिकाएँ हैं-खुट्टियाँ हैं [The mouth or openings], छिद्र हैं, (ऋच्छरा:) = खुट्टों के ऊपर के भाग [कलाइयाँ] है, (ये च ते शफा:) = और जो तेरे खुर हैं। हे (शतौदने) = शतवर्षपर्यन्त हमारे जीवनों को आनन्दसिक्त करनेवाली वेदधेनो! (यत् ते चर्म) = जो तेरा चाम है और है (अघ्न्ये) = अहन्तव्ये वेदधेनो! (यानि लोमानि) = जो तेरे लोम हैं। २. ये सब, अर्थात् सब लोक-लोकान्तरों का ज्ञान (दात्रे) = तेरे प्रति अपने को दे डालनेवाले के लिए (आमिक्षाम्) = श्रीखण्ड को, (क्षीरम्) = दूध को, (सर्पिः) = घृत को (अथो मधु) = और मधु को दहताम्-प्रपूरित करें।

    भावार्थ

    वेदधेनु के ज्ञानदुग्ध का पान करते हुए हम 'आमिक्षा, क्षीर, सर्पि व मधु' जैसे उत्तम पदार्थों का ही प्रयोग करनेवाले बनते हैं।

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    भाषार्थ

    (ते) तेरी (याः ग्रीवाः) जो गर्दन की अस्थियां या अवयव हैं, (ये स्कन्धाः) जो कन्धे की अस्थियां या अवयव है (याः पृष्टी) जो पार्श्व के अवयव है, (याः च पर्शवः), और जो छाती की अस्थियां हैं वे (दात्रे) दाता के लिये आमिक्षा, क्षीर, सर्पिः और मधु (दुह्रताम्) दोहे, प्रदान करें।

    टिप्पणी

    [ग्रीवाः= रेवतीः, रेवती नक्षत्र के तारे; कृत्तिका नक्षत्र के तारे (अथर्व० ९। १२(७)।३)। पर्शवः =उपसदः;पृष्टयः=देवानां पत्नीः (अथर्व० ९।१२(७)।६) ये व्रह्माण्ड=गौ के अङ्ग हैं।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Shataudana Cow

    Meaning

    Let your neck, your shoulders, the ribs and sides yield curd and cheese, milk, ghrta and the honey sweets of life’s nourishments for the generous giver.

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    Translation

    May your these neck-bones, these shoulder-bones, these sidebones and these ribs, yield to your donor mingled curd, milk, melted butter, and honey as well. (grivia néck bones; skandha = shoulder bone; prstih = side bones, parsavah=ribs)

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    Translation

    Let neck and nape and shoulder-joints of it, let the ribs and inter-costal parts of it pour Amiksa and the sweet milk for the giver.

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    Translation

    Let thy neck-bones, thy shoulder-bones, thy back-joints and ribs grant for a charitably disposed person, curd, milk, butter and the knowledge of God.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २०−(ग्रीवाः) कण्ठस्थनाड्यः (स्कन्धाः) स्कन्धास्थीनि (पृष्टीः) अ० ९।७।६। पार्श्वस्थीनि (पर्शवः) अ० ९।७।६। पार्श्वाधःस्थास्थीनि। अन्यत् स्पष्टम् ॥

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