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अथर्ववेद के काण्ड - 10 के सूक्त 9 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 9/ मन्त्र 24
    ऋषिः - अथर्वा देवता - शतौदना (गौः) छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - शतौदनागौ सूक्त
    1

    यत्ते॒ चर्म॑ शतौदने॒ यानि॒ लोमा॑न्यघ्न्ये। आ॒मिक्षां॑ दुह्रतां दा॒त्रे क्षी॒रं स॒र्पिरथो॒ मधु॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यत् । ते॒ । चर्म॑ । श॒त॒ऽओ॒द॒ने॒ । यानि॑ । लोमा॑नि । अ॒घ्न्ये॒ । आ॒मिक्षा॑म् । दु॒ह्र॒ता॒म् । दा॒त्रे । क्षी॒रम् । स॒र्पि: । अथो॒ इति॑ । मधु॑ ॥९.२४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यत्ते चर्म शतौदने यानि लोमान्यघ्न्ये। आमिक्षां दुह्रतां दात्रे क्षीरं सर्पिरथो मधु ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यत् । ते । चर्म । शतऽओदने । यानि । लोमानि । अघ्न्ये । आमिक्षाम् । दुह्रताम् । दात्रे । क्षीरम् । सर्पि: । अथो इति । मधु ॥९.२४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 10; सूक्त » 9; मन्त्र » 24
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    वेदवाणी की महिमा का उपदेश।

    पदार्थ

    (शतौदने) हे सैकड़ों प्रकार सींचनेवाली ! और (अघ्न्ये) हे न मारनेवाली ! [वेदवाणी] (यत्) जो (ते) तेरा (चर्म) चर्म और (यानि) जो (लोमानि) लोम हैं, वे सब (आमिक्षाम्) आमिक्षा [पकाये उष्ण दूध में दही मिलाने से उत्पन्न वस्तु], (क्षीरम्) दूध, (सर्पिः) घी (अथो) और भी (मधु) मधुज्ञान [ब्रह्मविद्या] (दात्रे) दाता को (दुह्रताम्) भरपूर करें ॥२४॥

    भावार्थ

    मन्त्र १३ के समान है ॥२४॥

    टिप्पणी

    २४−(शतौदने) म० १। हे बहुप्रकारसेचनशीले (अघ्न्ये) म० ३। हे अहिंसिके वेदवाणि। अन्यद् गतम्−म० १३ स्पष्टं च ॥

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    विषय

    वेदज्ञान व सात्विक अन्न

    पदार्थ

    १. (यत् ते मज्जा) = जो तेरी मज्जा [अस्थि की मींग] है, (यत् अस्थि) = जो हडी है, (यत् मांसम्) = जो मांस है (यत् च लोहितम्) = और जो रुधिर है। (यौ ते बाहू) = जो तेरी भुजाएँ हैं, (ये दोषणी) = जो भुजा के उपरले भाग हैं, (यौ अंसौ) = जो कन्धे है, (या च ते ककुत्) = और जो तेरा कुहान है। (या: ते ग्रीवा:) = जो तेरी गर्दन की हड्डियाँ हैं, (ये स्कन्धा:) = जो तेरे कन्धों की हड्डियाँ हैं, (याः पृष्टी:) = जो पीठ की हड्डियाँ हैं, (याः च पशर्व:) = और जो पसलियाँ हैं। (यौ ते उरू) = जो तेरी जाँचे हैं, (अष्ठीवन्तौ) = जो घुटने हैं, (ये श्रोणी) = जो कूल्हे हैं, (या च ते भसत) = जो तेरा पेड़ है, (यत् ते पुच्छम्) = जो तेरी पूँछ है, (ये ते बाला:) = जो तेरे बाल हैं, (यत् ऊध:) = जो तेरा दुग्धाशय है, (ये च ते स्तना:) = और जो तेरे स्तन हैं। (याः ते जंघा:) = जो तेरी जाँचे है, (याः कुष्ठिका:) = जो कुष्टिकाएँ हैं-खुट्टियाँ हैं [The mouth or openings], छिद्र हैं, (ऋच्छरा:) = खुट्टों के ऊपर के भाग [कलाइयाँ] है, (ये च ते शफा:) = और जो तेरे खुर हैं। हे (शतौदने) = शतवर्षपर्यन्त हमारे जीवनों को आनन्दसिक्त करनेवाली वेदधेनो! (यत् ते चर्म) = जो तेरा चाम है और है (अघ्न्ये) = अहन्तव्ये वेदधेनो! (यानि लोमानि) = जो तेरे लोम हैं। २. ये सब, अर्थात् सब लोक-लोकान्तरों का ज्ञान (दात्रे) = तेरे प्रति अपने को दे डालनेवाले के लिए (आमिक्षाम्) = श्रीखण्ड को, (क्षीरम्) = दूध को, (सर्पिः) = घृत को (अथो मधु) = और मधु को दहताम्-प्रपूरित करें।

    भावार्थ

    वेदधेनु के ज्ञानदुग्ध का पान करते हुए हम 'आमिक्षा, क्षीर, सर्पि व मधु' जैसे उत्तम पदार्थों का ही प्रयोग करनेवाले बनते हैं।

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    भाषार्थ

    (शतौदने) हे शतौदने ! (ते) तेरा (यत् चर्म) चमड़ा है, (अघ्न्ये) हे अहन्तव्ये ! (यानि लोमानि) जो लोम है, वे (दात्रे) दाता के लिये आमिक्षा, क्षीर, सर्पि:, और और मधु (दुह्रताम् दोहे, प्रदान करें।

    टिप्पणी

    [शतौदना= सैकड़ों प्रकार के ओदन आदि ओज्य पदार्थ देने वाली पारमेश्वरी माता,अघ्न्ये=अ+हन्+यक् (उणा० ४।१३)। चर्म=विश्वव्यचाः, विश्व में फैला हुआ आकाश या अन्तरिक्ष। लोमानि=ओषधयः (अथर्व० ९।१२(७)।१५), व्रह्माण्ड-गौ पक्ष में जिस की अधिष्ठात्री परमेश्वरी माता है। दाता= पारमेश्वरी माता का दर्शन करा देने वाला अध्यात्म गुरु।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Shataudana Cow

    Meaning

    Whatever is your skin cover, O cosmic mother of a hundred gifts of food and enlightenment, whatever is your hair, O sacred mother inviolable, let them all yield curd and cheese, milk, ghrta, and the honey sweets of life’s nourishments for the generous giver. (Shataudana Cow is Invioable.)

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    Translation

    May your this hide, O Sataudana, and these hairs, O inviolable one, yield to your donor mingled curd, milk, melted butter and honey as well.

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    Translation

    Let the skin and hair of this Shataudana, which is not to be killed pour Amiksha and the seet milk for the giver.

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    Translation

    O Non-violent Vedic Speech, Imparter of Hundred-fold knowledge, let thy principles and teachings grant for a charitably disposed person, curd, milk, butter and the knowledge of God.

    Footnote

    चर्म : Skin, principles लोमानि: Hair, teachings.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २४−(शतौदने) म० १। हे बहुप्रकारसेचनशीले (अघ्न्ये) म० ३। हे अहिंसिके वेदवाणि। अन्यद् गतम्−म० १३ स्पष्टं च ॥

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