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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 136 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 136/ मन्त्र 2
    ऋषिः - देवता - प्रजापतिः छन्दः - निचृदनुष्टुप् सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
    1

    यदा॑ स्थू॒लेन॒ पस॑साणौ मु॒ष्का उपा॑वधीत्। विष्व॑ञ्चा व॒स्या वर्ध॑तः॒ सिक॑तास्वेव॒ गर्द॑भौ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यदा॑ । स्थू॒लेन॒ । पय॑सा । अणो । मु॒ष्कौ । उप॑ । अ॒व॒धी॒त् ॥ विष्व॑ञ्चा । व॒स्या । वर्धत॒: । सिक॑तासु । ए॒व । गर्द॑भौ ॥१३६.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यदा स्थूलेन पससाणौ मुष्का उपावधीत्। विष्वञ्चा वस्या वर्धतः सिकतास्वेव गर्दभौ ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यदा । स्थूलेन । पयसा । अणो । मुष्कौ । उप । अवधीत् ॥ विष्वञ्चा । वस्या । वर्धत: । सिकतासु । एव । गर्दभौ ॥१३६.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 136; मन्त्र » 2
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (यदा) जब (स्थूलेन) बड़े (पससा) राज्य प्रबन्ध के साथ (अणौ) सूक्ष्म न्याय के बीच (मुष्कौ) दोनों चोरों [स्त्री और पुरुष चोरों वा राति और दिन के चोरों] को (उप अवधीत्) वह [राजा] मार डालता है। (विष्वञ्चा) सब ओर पूजनीय (वस्या) अति श्रेष्ठ दोनों [स्त्री और पुरुष], (सिकतासु) रेतवाले देशों में (गर्दभौ एव) दो श्वेत कमलों के समान, (वर्धतः) बढ़ते हैं ॥२॥

    भावार्थ

    जब राजा सूक्ष्म विचार के साथ सब दुष्ट चोरों को मिटा देता है, तभी श्रेष्ठ गुणवान् स्त्री-पुरुष बढ़ते हैं, जैसे बालू के स्थानों में श्वेत कमल बढ़ता है ॥२॥

    टिप्पणी

    २−(यदा) (स्थूलेन) महता (पससा) अथ० ४।४।६। पस बन्धे बाधे च−असुन्। पसः=राष्ट्रम्−दयानन्दभाष्ये, यजु० २३।२२। राज्यप्रबन्धेन (अणौ) सूक्ष्मे न्याये (मुष्कौ) म० १। तस्करौ (उप) व्याप्तौ (अवधीत्) हन्ति। नाशयति (विष्वञ्चा) विषु+अञ्चु गतिपूजनयोः−क्विन्। सर्वतः पूज्यौ (वस्या) वसु−ईयसुन्, ईकारलोपः। सुपां सुलुक्०। पा० ७।१।३९। विभक्तेर्डा। वसीयसौ। अतिश्रेष्ठौ स्त्रीपुरुषौ (वर्धतः) (सिकतासु) पृषिरञ्जिभ्यां कित्। उ० ३।१११। सिक सेचने−अतच्। बालुयुक्तभूमिषु (एव) सादृश्ये। इव (गर्दभौ) कॄशॄशलिकलिगर्दिभ्योऽभच्। उ० ३।१२२। गर्द शब्दे−अभच्। द्वे श्वेतकुमुदे ॥

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    विषय

    व्यापार-समृद्धि

    पदार्थ

    १. (यदा) = जब (स्थूलेन) = [stout] बड़े मजबूत (पससा) = [राष्ट्र वा पसः श०] राष्ट्र-प्रबन्ध के द्वारा (अणौ) = सूक्ष्मतम अपराधों के होने पर राजा (मुष्का) = चोरों व डाकुओं को (उपावधीत) = दण्डित करता है तब (अस्या:) = इस राष्ट्र की प्रजा के नर-नारी (विष्वञ्चौ) = [विसु अञ्च] विविध दिशाओं में उत्तम गतिवाले होते हुए (वर्धतः) = इसप्रकार वृद्धि को प्राप्त होते हैं (इव) = जैसे (आ सिकतासु) = चारों ओर रेतीले प्रदेशों में (गर्दभौ) = गर्दभ । रेतीले प्रदेशों में घोड़े-गधे आदि पशु अधिक शक्तिशाली होते हैं। २. अरब में व राजस्थान में घोड़े उत्तम होते हैं। इसीप्रकार चोरों से शुन्य राष्ट्र में प्रजा के नर-नारी उत्तम स्थिति में होते हैं। वे नि:शङ्क इधर-उधर जाते हुए समृद्ध व्यापारवाले बनते हैं।

    भावार्थ

    चोरी आदि का भय न होने पर राष्ट्र में प्रजा समृद्ध व्यापारवाली होती है।

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    भाषार्थ

    (यदा) जब कुमारी, (स्थूलेन) शक्तिशाली (पससा) सतीत्वरूपी विनाशक-साधन द्वारा, (मुष्कौ अणौ) प्राणशक्तिसम्पन्न दो मुष्टण्डों का (उपावधीत्) लगभग हनन कर देती है, तब (अस्याः) इस कुमारी के वे दोनों मुष्टण्डे (विश्वञ्चा) इधर-उधर फड़कते हुए (वर्धतः) इस प्रकार लम्बे लेट जाते हैं, (एव=एवम्) मानो कि (सिकतासु) रेत या मिट्टी में (गर्दभौ) दो गधे लोट-पोट रहे हों।

    टिप्पणी

    [पससा=पस् नाशने+असुन्। अणौ=अनौ=अनू, अन् प्राणने। अनवः मनुष्याः (निघं০ २.३)।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Prajapati

    Meaning

    When by the strong force of the law of the dominion the ruler punishes the thieves, men and women both, even in the smallest cases of violation, all citizens of the dominion rise and grow, enjoying happily, like white flowers on the sandy beach sprinkled with water.

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    Translation

    When the king in the eye of law and justice by his administration punishes these man and woman thieves all the pairs of men and women who are praisable and under good control of the king flourish as the two asses in the place covered with sands.

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    Translation

    When the king in the eye of law and justice by his administration punishes these man and woman thieves all the pairs of men and women who are praisable and under good control of the king flourish as the two asses in the place covered with sands.

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    Translation

    When the king punishes the thief-like guilty men and women for a small crime even, by his highly efficient administration, the people with high aspirations, spread far and wide in every nook and corner of the land, feel highly elated like the donkeys revelling in the sandy places, where they lie flat quite gleefully.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २−(यदा) (स्थूलेन) महता (पससा) अथ० ४।४।६। पस बन्धे बाधे च−असुन्। पसः=राष्ट्रम्−दयानन्दभाष्ये, यजु० २३।२२। राज्यप्रबन्धेन (अणौ) सूक्ष्मे न्याये (मुष्कौ) म० १। तस्करौ (उप) व्याप्तौ (अवधीत्) हन्ति। नाशयति (विष्वञ्चा) विषु+अञ्चु गतिपूजनयोः−क्विन्। सर्वतः पूज्यौ (वस्या) वसु−ईयसुन्, ईकारलोपः। सुपां सुलुक्०। पा० ७।१।३९। विभक्तेर्डा। वसीयसौ। अतिश्रेष्ठौ स्त्रीपुरुषौ (वर्धतः) (सिकतासु) पृषिरञ्जिभ्यां कित्। उ० ३।१११। सिक सेचने−अतच्। बालुयुक्तभूमिषु (एव) सादृश्ये। इव (गर्दभौ) कॄशॄशलिकलिगर्दिभ्योऽभच्। उ० ३।१२२। गर्द शब्दे−अभच्। द्वे श्वेतकुमुदे ॥

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    बंगाली (2)

    मन्त्र विषय

    রাজপ্রজাকর্তব্যোপদেশঃ

    भाषार्थ

    (যদা) যখন (স্থূলেন) বড়ো (পসসা) রাজ্যপ্রবন্ধের সহিত (অণৌ) সূক্ষ্ম ন্যায়বিচারের মাধ্যমে (মুষ্কৌ) উভয় চোরকে [স্ত্রী এবং পুরুষ চোর বা রাত এবং দিনের চোরকে] (উপ অবধীৎ) সে [রাজা] নাশ করে। (বিষ্বঞ্চা) সর্বত্র পূজনীয় (বস্যা) অতি শ্রেষ্ঠ উভয় [স্ত্রী এবং পুরুষ], (সিকতাসু) বালুকাময় দেশে (গর্দভৌ এব) দুটি শ্বেত কমলের ন্যায়, (বর্ধতঃ) বৃদ্ধিপ্রাপ্ত হয় ॥২॥

    भावार्थ

    যখন রাজা সূক্ষ্ম বিচার দ্বারা সমস্ত দুষ্ট চোরদের শাস্তি দেয়, তখন শ্রেষ্ঠ গুণবান স্ত্রী-পুরুষ বৃদ্ধিপ্রাপ্ত হয়, যেমন বালুময় স্থানগুলোতে শ্বেত কমল বৃদ্ধি পায় ॥২॥

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    भाषार्थ

    (যদা) যখন কুমারী, (স্থূলেন) শক্তিশালী (পসসা) সতীত্বরূপী বিনাশক-সাধন দ্বারা, (মুষ্কৌ অণৌ) প্রাণশক্তিসম্পন্ন দুজন বলিষ্ঠের (উপাবধীৎ) প্রায় হনন করে দেয়, তখন (অস্যাঃ) এই কুমারীর দুই বলবান (বিশ্বঞ্চা) এদিক-ওদিক ছটফট করে (বর্ধতঃ) এমনভাবে শুয়ে পড়ে/শায়িত হয়, (এব=এবম্) মানো (সিকতাসু) বালি বা মাটিতে (গর্দভৌ) দুই গাধা গড়াগড়ি খাচ্ছে।

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